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ईश्वर भी ‘आह’ भरता होगा……

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कैसी है ये अफरा तफरी,
क्यों मचा है इतना शोर,
क्या घटी है कोई दुर्घटना,
या पकड़ा गया है कोई चोर,
मानवता की हुई है हत्या,
प्रेम की दी जाएगी बलि,
मै हूँ नफरत का देवता,
ये सब हैं मेरे अनुयायी,
मै हूँ समाज का ठेकेदार,
ये है मेरा साम्राज्य,
नहीं पनपने दूंगा मै प्रेम यहाँ,
ये सब हैं मुझसे भयभीत,
कोई नहीं कर सकता मेरा विरोध,
मै हूँ नफरत का देवता,
तू प्रेम फैलाने आया है,
कुचल कर रख दिया जायेगा,
तू यहाँ नहीं टिक पायेगा,
तू देख यहाँ का मंजर,
कोई दिखता है हिम्मतवाला……
हा हा हा हा हा हा हा
मै हूँ नफरत का देवता,
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हे महापुरुष , क्यों बनता है तू अज्ञानी,
प्रेम की खुशबु तेरे पास नहीं आनी,
तू नफरत का देवता,
मै हूँ प्रेम का पुजारी,
ये नफरत ही तो है तेरी लाचारी,
भाग जाएगी तेरी कायरों की सेना,
ना रहेगा तेरा साम्राज्य
ना होगा यहाँ अन्धकार,
प्रेम की शक्ति से तू नहीं है वाकिफ,
हटा दे ये नफरत का पर्दा,
मै प्रेममय हूँ, प्रेम ही बांटूंगा,
खोल अपनी ज्ञानेन्द्रियों को,
पहचान इसे,
प्रेम बिन संभव नहीं जीवन,
त्याग दे ये नफरत,
बन जा प्रेम का पुजारी,
ले सीख तू मुझसे,
त्याग दे ये नफरत,
बनता है तू समाज का ठेकेदार,
तो फैला अच्छाई को,
पहचान सच्चाई को,
झूठ अहंकार से कुछ ना पायेगा,
अपने साथ सिर्फ ये प्रेम ही ले जायेगा!!

Paulo Coelho ne apni ek book me kaha hai “Love is an untamed force,when we try to control it, it destroys us. When we try to imprison it, it enslaves us. When we try to understand it, it leaves us feeling lost and confused.”

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