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नमस्कार,
मैंने कई ब्लॉग, कई कहानियां पढ़ी जिसमे पुरुष स्त्री को दोष देता है और स्त्री पुरुष को लेकिन ये कहाँ तक सही है ?
आज ही एक ब्लॉग पढ़ा “इस तरह के पुरुषों को आप क्या कहेंगे?” मुझे ऐसा लगता है अगर किसी लड़की के साथ कुछ बुरा हो रहा है तो कही न कही वो लड़की भी ज़िम्मेदार है उस बुरे बर्ताव के लिए… आजकल लड़कियां इतनी बुद्धिहीन नहीं हैं की किसी को समझ न पायें… यह तो असंभव जान पड़ता है की कोई लड़का अचानक से किसी लड़की को छोड़कर किसी और से शादी कर ले… चार साल तक क्या वह प्यार का नाटक करता रहा? चार सालो में क्या उसने कभी अपना सच्चा चेहरा उसे नहीं दिखाया? एक तरफ महिलायें अपनी बराबरी पुरुषों से करती हैं वही दूसरी तरफ वो ladies सीट भी मांगती हैं…. यह कहा तक न्यायसंगत है? मतलब तो यही हुआ की “चित भी अपनी पट भी अपनी” ….
जबकि जीवन की सच्चाई यह है की स्त्री और पुरुष एक दुसरे के पूरक हैं और यह बात हर रिश्ते पे लागू होती है! मुझे लगता है एक दुसरे को दोष देने के बजाय अगर सम्मान दिया जाए तो स्थिति बेहतर होगी!
हाँ एक बात मैं और कहना चाहूंगी मैं नियमित लेखिका नहीं हूँ यह मेरा पहला प्रयास है अपने विचारों को आप लोगों तक पहुंचाने का!
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