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मेरी माँ, तेरी माँ…..

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मुझे लड़कियों की एक बात बहुत पसंद आती है वह जिससे चाहे अपने मन का काम करवाने में सक्षम होती हैं… प्यार से समझा कर, डांट कर, गुस्सा दिखा कर और अगर इन सबसे भी बात न बने तो अपना ब्रम्हास्त्र छोड़ देती हैं….. मतलब अपने बेशकीमती मोती जैसे आंसू गिराकर… 🙂
हर किसी ने “अपनी अपनी माँ” के लिए बहुत अच्छा अच्छा लिखा और कोई क्यों न लिखे माँ होती ही ऐसी है… लगभग अपनी चौथाई उम्र हम सब माँ के साथ ही तो बिताते हैं और अब तो इतना भी नहीं होता बच्चा 16 – 17 साल का हुआ नहीं कि कही और भेज दिया जाता है पढने के लिए…. और जब वो माँ हमसे दूर होती है तब वो हमे और भी ज्यादा प्यारी लगने लगती है! शायद यही मनुष्य का स्वभाव है जो है हमारे पास हम उसकी परवाह नहीं करते और जो नहीं है उसके लिए रोते रहते हैं…… योगेश जी ने कही कही बड़ा सटीक प्रश्न पूछा है…. भारत में माताओ की हालत इतनी ख़राब क्यों है..जबकि हर कोई अपि माँ को इतना ज्यादा प्यार करता है….? योगेश जी मैं बताती हूँ…. क्यों कि हर कोई अपनी माँ को इतना ज्यादा प्यार करता है…. एक लड़की जब विदा होकर अपने ससुराल जाती है तो वहां उसे एक और माँ मिलती है अब फिर से यहाँ वही बात आती है की जो पास है वो ख़ास नहीं और जो ख़ास है वो पास नहीं…. यही सबसे बड़ा कारण है कि भारत माता के देश में माताएं दुखी रहती हैं….. !! कही पर भी किसी ने ये नहीं लिखा कि “माँ तूने मुझे इतना डांटा मुझे भला बुरा कहा फिर भी मै तुझसे प्यार करता रहा/ करती रही” हम सब बड़े गर्व से कहते हैं न कि कानून ये कहता है कानून वो कहता है (जब बात अपने मतलब कि होती है तब) फिर इस कानूनी माँ( mother -in -law ) से इतना दूर क्यों भागते हैं…. अपनी माँ के कुछ भी बोलने पर हम कहते हैं ये उनका अधिकार है लेकिन इन क़ानूनी माँ के कुछ कहने पर वो “सास” बन जाती हैं! मैं यहाँ पर सिर्फ लड़कियों की बात नहीं कर रही हूँ लड़के भी ऐसा ही करते हैं कितनी उम्मीदे रखते हैं वो अपनी “सास” से….. उनके लिए तो शायद उनकी पत्नी की माँ का कोई आस्तित्व ही नहीं होता…. इसीलिए “माँ” परेशान रहती है…. !!

मैंने सबसे पहले ब्रम्हास्त्र की बात इसलिए लिखी है कि कुछ समय बाद ये ब्रम्हास्त्र ओजहीन हो जाता है जब एक बेटे को अपनी माँ के आंसू नहीं दिखते…. और एक बेटी जो इन्ही आंसुओ का प्रयोग न जाने कहाँ कहाँ करती है, वो भी नहीं देखना चाहती….!!

“मेरी दादी माँ को कैंसर था मेरी माँ ने उनकी खूब सेवा की… हम सबको कानपुर में छोड़ कर वो गाँव दादी के साथ ही चली गयी क्योंकि दादी गाँव में रहना चाहती थी…. जब उनका अंतिम समय नज़दीक था तो वो किसी को पहचान नहीं रही थी हर कोई उनके पास जा कर पूछ रहा था अम्मा बताओ हम कौन हैं…. लेकिन अम्मा सबको भूल चुकी थी यहाँ तक की अपने पति, बेटे और बेटियों को भी…. जब मेरी माँ उनके पास गयीं तो दादी ने कहा तुम मेरे लाला की बहू हो….” शायद इसलिए कि पूरी लाइफ मेरी माँ ने अपनी क़ानूनी माँ को बहुत प्यार किया और लास्ट stage तक करती रहीं!!

mother-8

माँ मैं क्या कहूं
मेरे पास देने को तो
कुछ भी नहीं है
मुझे अपने जैसा बना दो बस
ताकि मैं तेरा नाम
रोशन करू
एक और माँ के पास जाकर!!
bride

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