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पैसा जरूरी है या जमीर ???

Meri udaan mera aasman
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“पैसे के कारण इंसान क्या से क्या बन जाता है
इंसान बस इंसान नही रहता बाकि सब बन जाता है “


पिछले दिनों एक शादी में जाने का मौका मिला (आप लोग भी सोचेंगे कि मैं ये रोज-रोज कहाँ से शादी पर आकर अटक जाती हूँ ) लेकिन इस बार मैं शादी के बारे में बात नही करूंगी, इस लेख को लिखने का ख्याल मेरे मन में एक शादी फंक्शन में ही आया था तो बस इसीलिए लिखना पड़ा !


पिछले दिनों एक शादी में जाने का मौका मिला, काफी महंगी शादी थी, शानदार शादी, जिस में जमकर पैसा खर्च किया गया था ! यहाँ मैं दहेज़ की बात नही करुँगी मगर हाँ बात पैसो की ही करूंगी !
अमूमन शादियों में “डी जे” का चलन है, किसी की कम बजट की शादी हो या ज्यादा बजट की “डी जे” हर किसी की शादी में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाता मिलेगा !
लेकिन “डी जे” के साथ-साथ अब महंगी शादियों में एक और नया फैशन चला है – किसी “डांसिंग पार्टी” को बुलाने का ! जिस शादी में हमे जाने का सुअवसर मिला वहां भी एक पंजाबी डांसिंग पार्टी को बुलाया गया था ! इस “डांसिंग पार्टी” में कुछ मेल डांसर थे जो हर दस-पंद्रह मिनट में आकर भांगड़ा डांस कर जाते थे ! उसके बाद आती थी लड़कियों जो विभिन्न बॉलीवुड डांस नंबर्स पर डांस कर रही थी !
शादी में “बारातियो से लेकर बाकि सभी मेहमानो तक” सभी डांस फ्लोर के आगे ही जमा थे ! वैसे जनरली शादी ब्याह में लोगो की नज़र “दूल्हे दुल्हन” पर होती है मगर यहाँ सबकी नज़र डांस फ्लोर पर डांस कर रही लड़कियों पर थी !
रात के लगभग 1 बजे तक यह डांस प्रोग्राम चला ! डांस फ्लोर पर जो लडकिया डांस कर रही थी उन सभी की उम्र लगभग 21 से 28 वर्ष के बीच रही होगी ! शादी में सभी “लाइव डांस शो” देखकर खुश हो रहे थे लेकिन मैं अपनी आदत से मजबूर ! मुझे वहां हो रहे डांस से कोई मतलब नही था, मैं वहां बैठी थी तो बस उन लड़कियों के चेहरों के एक्सप्रेशंस पढ़ने के लिए !
“उन लड़कियों व उनकी ड्रेस को देख कर सबसे पहले मन में ये ख्याल आया की “पैसा इंसान से कुछ भी करवा सकता है” … ! आजकल पैसा इंसान के लिए नही बल्कि इंसान पैसे के लिए जीता है ! कुछ हो न हो बस साथ में पैसा हो !
“जब मैं विचारो की गहराई में जाती हूँ तो सोचती हूँ कि पैसा आखिर है क्या ? -सिर्फ कागज़ के कुछ टुकड़े, जिनपर महात्मा गांधी जी की फोटो छपी है, गवर्नर ऑफ़ इंडिया के सिग्नेचर प्रकाशित हैं, और एक शायद सिल्वर की पतली सी रेखा है जिस पर इंग्लिश में RBI व हिंदी में भारत लिखा हुआ है और जो केंद्रीय सरकार द्वारा प्रत्याभूत है ! जिसे देकर हम कोई भी सामान खरीद सकते हैं, कोई भी सर्विस ख़रीद सकते हैं, खाना खरीद सकते हैं, कपडे खरीद सकते हैं ! एक तरह से अगर माना जाये तो पैसे से हम सब कुछ खरीद सकते हैं ! पैसा इंसान की जरूरत है,  पैसे के बिना मनुष्य जीवन पॉसिबल नही है – शायद !
अगर हमारे पास बिलकुल भी पैसे न हों, इतने भी नही कि हम खाना भी न खरीद सके, पानी भी न खरीद सके, कपडे भी न खरीद सके तो शायद हम ऐसी सिचुएशन में मर जाये ! लेकिन अगर हमारे पास इतने पैसे हैं कि हम आराम से अपनी “जायज जरुरतो” को पूरा कर सके तो मुझे नही लगता कि जीवन को जीने में हमे किसी कठिनाई का सामना करना पड़ेगा !
“जायज जरुरतो” से यहाँ मेरा अभिप्राय “खाने, पानी, कपडे, शिक्षा और स्वास्थ्य” से हैं ! यह मेरा अपना मत है, मुझे बड़े ही विश्वाश के साथ ऐसा महसूस होता है कि अगर हम मेहनत से काम करे तो अपनी सभी “जायज जरुरतो” को पूरा कर सकते है ! इसके लिए हमे कभी भी कोई भी गलत काम करने की जरूरत नही है !


मैं यह नही कहना चाहती की डांस करना गलत है लेकिन गलत समय व गलत जगह पर डांस करना गलत है ! मुझे नही लगता कि वो लड़कियां अपनी ख़ुशी से रात के १-२ बजे तक ऐसे शादियों में, पार्टियो में जाकर, छोटे-छोटे कपडे पहनकर डांस करने जाती हैं, शायद इसके पीछे पैसा एक कारण रहा हो ! शायद उन्हें पैसो की जरूरत हो इसीलिए वो ऐसा करती हैं !
लेकिन अगर बात पैसे की ही है तो ऊपर मैंने लिखा ही है की इंसान मेहनत से पैसे कमाकर भी अपनी जरुरतो को पूरा कर सकता है फिर पैसे के लिए ये रास्ता अपनाना कहाँ तक सही है ??

या फिर सच्चाई जो मैं सोचती हूँ, जो शायद हम सोचते हैं उससे बिलकुल अलग हो ? यहाँ बात ख़ुशी की नही बल्कि सिर्फ और सिर्फ पैसो और स्टेटस की हो ?

गर बात ज्यादा से ज्यादा पैसे कमाने और समाज में एक ऊँचा स्टेटस पाने की ही है तो “क्या ऐसा करने वाले लोगो को (स्त्री हो या पुरुष) कभी आत्मसंतुष्टि मिलती होगी ! क्या उनका जमीर उन्हें हर समय यह एहसास नही दिलाता होगा कि जिंदगी में इतना पैसा कमाने के बाद भी उनके पास कुछ नही है ! शायद रोड पर सोने वाले लोगो से भी ज्यादा गरीब ऐसे लोग होते होंगे जो पैसे के लिए अपने जमीर तक को बेच देते हैं !

“पैसा इंसान की जरूरत हो सकता है लेकिन जिंदगी कभी नही होता”

“इंसान जिये तो जिंदगी के लिए, जरुरतो के लिए तो जानवर भी जीते ही हैं”

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