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बंद आँखों से न जाने कैसे ……(कांटेस्ट)

Meri udaan mera aasman
Meri udaan mera aasman
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बंद आँखों से न जाने कैसे
बूंद बूंद करके
बहते रहते हैं आंसू
बंद आँखों से न जाने कैसे ……


एक दिल के कारण
और भी न जाने क्या क्या
टूटता है रोज ही मेरे अंदर ……


गुजरा हुआ वक़्त
फिर से गुजर जाता है
सब कुछ होता सा नज़र आता है
बंद आँखों से भी न जाने कैसे …


बचपन की यादे हँसा देती हैं कभी
तो कभी माँ की कहानियां
जागती सी आँखों को
देती हैं नींद की थपकियाँ
आती है नज़र माँ भी
कभी खाना बनाते,
कभी हमारी बात पे मुस्कुराते
कभी घर के कामो में तल्लीन
कभी खाने की हमसे
फरमाइश पूछते
बंद आँखों से भी न जाने कैसे ……

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