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“जल” हूँ मैं

जनजागृति मंच
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जल हूँ मैं
मैं जीवन का आधार भी हूँ
मेरी जरूरत के बारे में उनसे पूछो
जिनको सुलभ नहीं हूँ मैं

जल हूँ मैं
मैं प्रकृति का संचालक भी हूँ
मेरी आवश्यकता के बारे में उनसे पूछो
जो प्यास से व्याकुल हों

जल हूँ मैं
मैं सभ्यता एवम् संस्कृति का संवाहक भी हूँ
सभी सभ्यताएं बड़ी नदियों के किनारे ही तो विकसित हुईं

जल हूँ मैं
मैं सभ्यताओं के विनाश का कारण भी हूँ
याद रखिये! जब कोई नदी विलुप्त होती है तो एक सभ्यता का विनाश होता है

जल हूँ मैं
मैं देशों-प्रदेशों में तकरार का कारण भी हूँ
बहुत से स्थानों पर मैं सीमा निर्धारक हूँ।

जल हूँ मैं
मैं जलवायु परिवर्तन का प्रमुख कारण भी हूँ
मेरी तड़प के बारे में उनसे पूछो
जहाँ चारो ओर विशाल जलराशि तो है
परंतु पीने लायक पानी नहीं है।

जल हूँ मै
मैं अथाह ताकत का स्वामी भी हूँ
विनाश के लिए मैं सुनामी हूँ
विकास के लिए मैं ऊर्जा हूँ
प्यासे के लिए मैं जीवन हूँ
अमृत के लिए मैं गंगा हूँ

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