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हैप्पी न्यू ईयर डार्लिग!: Hindi Story

Jagran Sakhi
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My love (Hindi Story) 31 दिसंबर की रात को मैं पुराने साल का बखेडा समेट कर रात 9 बजे ही चैन की नींद सो गया था। अचानक पत्नी ने झिंझोड कर मुझे जगाया और मैं घबराया सा उठकर बैठ गया। नींद में घडी देखी तो आधी रात के बारह बज रहे थे। मैंने पत्नी से कहा, भागवान क्या बात है? मैं तो वैसे ही चिंताओं की वजह से नींद की गोली लेकर सोता हूं और तुमने आधी रात में ही जगा दिया है, आखिर मामला क्या है?


पत्नी बोली, आपको कुछ याद भी रहता है या हमेशा नींद में ही रहते हो। नया साल आ गया है और मैं आपको नववर्ष की ढेर सारी शुभकामनाएं देती हूं, हैप्पी न्यू ईयर डार्लिग। नींद से जागो एक जनवरी आ गई है।

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मैं बोला, तुमने मुझे हैप्पी न्यू ईयर के लिए जगा दिया, यह काम तो सुबह सात बजे भी हो सकता था। इसके लिए मुझ सोते हुए को जगाने की क्या आवश्यकता थी? तुम जानती हो, मेरी तबीयत वैसे ही ठीक नहीं रहती। खैर सेम टु यू। अब मैं सो जाऊं?


अरे यह आपने सोना-सोना क्या लगा रखा है! पूरी कॉलोनी ही नहीं, पूरा शहर जाग गया है। कल दिन के प्रोग्राम्स को फाइनल टच दिया जा रहा है। हम भी तो कल एंजॉय करेंगे। बताओ कैसे क्या करें?


मैंने कहा, देखो प्रिये, यह नया साल अंग्रेजों का और पश्चिम का है। हमारा नया साल तो मधुमास के बाद आएगा। इसलिए हम तब इसे धूमधाम से मनाएंगे। अभी तो हम आराम से सोते हैं। मैंने पत्नी को टालना चाहा। लेकिन उसके सिर पर न्यू ईयर का भूत सवार था। वह थोडा तैश में बोली, कमाल करते हैं आप। किस नए साल की बात कर रहे हो? नया साल तो आ चुका है। पूरे साल में एक बार आता है, उस पर भी बैकफुट हो रहे हैं! अरे इसका दिल खोलकर स्वागत करिए। उल्लास और उमंग भर लीजिए अपने भीतर। कल हम मॉल चलेंगे, शापिंग करेंगे, घूमेंगे-फिरेंगे, ऐश करेंगे और क्या?


पत्नी की बात सुनकर मेरी नींद पूरी तरह चली गई। मैं घबरा सा गया। उसकी शॉपिंग का मतलब मैं खूब अच्छी तरह जानता हूं। शॉपिंग का सीधा-सा अर्थ है दस-बीस हजार रुपयों से हाथ धोना। मैं धीरे से बोला, लेकिन अभी तो सेलरी भी नहीं मिली है। कल सेलरी के चांसेज हैं नहीं। तुम्हारा यह न्यू ईयर बिना सेलरी के क्या कर लेगा?


अरे क्या सेलरी का रोना लेकर बैठ गए। गुप्ता जी ने कभी आपको उधार के लिए मना किया है क्या? जाना और ले आना। हम उनका उधार चुका देंगे। चलो अब सो जाओ, पत्नी यह कह कर लिहाफ तानकर खर्राटे भरने लगी और मेरी आंखों से नींद पता नहीं कहां चली गई। सोचने लगा, कल क्या होगा। इस महंगाई में जब घर चलाना मुश्किल हो गया है, यह नया साल क्या करेगा। रुपया वैसे ही लुढक गया है, बाजार में उसकी कीमत न के बराबर रह गई है। दाल-रोटी खाना कठिन होता जा रहा है। रोज पेट्रोल और रसोई गैस के दाम बढ जाते हैं, जिससे बाजार लगातार महंगा होता जा रहा है। कोई तरकारी साठ रुपये किलो से कम नहीं है, दालें पहले से ही महंगी चली आ रही हैं, गुप्ता जी से पैसा ले भी आया तो चुकाऊंगा कहां से? इस आमदनी में तो रोटी, कपडा और मकान का सलटारा नहीं हो रहा है। ऋण पहले ही क्या कम ले रखे हैं! होम लोन खा गए, पूरा पी.एफ. चट कर गए और मित्रों से उधार ले रखा है, उसकी गिनती डायरी याद दिलाती है। यह नए साल का लफडा तो जीना मुहाल कर देगा। दोनों बच्चों की स्कूल फीस अलग से इसी महीने में ही देनी है। यह उत्साह और उमंग तक तो बात समझ में आती है, लेकिन धूमधाम से इसे मनाना तो उडता तीर लेना है।


इसी ऊहापोह में मेरी पता नहीं फिर कब आंख लग गई। पत्नी चाय लेकर आ गई तब उठा तो आठ बज रहे थे। पत्नी को देखते ही मेरे भीतर बारह बज गए।


पत्नी फिर बोली, हैप्पी न्यू ईयर डार्लिग, लो गर्मा-गर्म चाय पिओ और नहा-धोकर गुप्ता जी को पकडो। वे निकल गए तो सारा न्यू ईयर चौपट हो जाएगा और हमारा पूरा नया साल मुफलिसी में गुजरेगा। गुप्ता जी का नाम सुनते ही मेरी सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई और मैं फिर विचार मग्न हो गया। गुप्ता क्या कम चालू है, पहले का उधार मांगेगा और नए उधार पर ब्याज की रेट अलग से बढा देगा। पत्नी ने ही तंद्रा तोडी, अरे इस पहली जनवरी को क्या मनहूस शक्ल बना ली। लो चाय तो पी लो। चाय का कप लेते हुए मेरे हाथ कांप रहे थे। कडवी दवा की तरह मीठी चाय पी और नहा-धोकर स्कूटर लेकर गुप्ता जी के घर की ओर लपका। गुप्ता जी घर पर ही थे। मुझे देखते ही बोले, हैप्पी न्यू ईयर सरमा, कहो कैसे हो? आज सुबह-सुबह ही कैसे हांफ रहे हो?

हांफने की वजह यह न्यू ईयर ही है गुप्ता जी। पत्नी ने इसे धूमधाम से मनाने का निश्चय किया है और मैं बिना सेलरी के क्या खाकर मनाऊं? इसलिए मन मारकर आपकी शरण में आना पडा है। दस हजार उधार दे दो तो काम बन जाए। शॉपिंग भी करनी है और लंच भी बढिया रेस्तरां में लेना है। क्या करूं, पत्नी की जिद के आगे कुछ किया भी तो नहीं जा सकता।


वह तो कोई बात नहीं, एक तो आपकी पहले की मासिक किस्तें नियमित नहीं हैं, दूसरा महंगाई के साथ-साथ मैंने अपनी ब्याज दर नए साल से पांच रुपये सैकडा कर दी है। पैसे तो पडे हैं, ले जाओ। भाई न्यू ईयर पर तुम्हें क्या मना करूं? पत्नी और बच्चों को ऐश कराओ। बोलो मेरा ब्याज दे पाओगे?


लेकिन यह पांच प्रतिशत तो बहुत ज्यादा है सर! दो से एकदम पांच, बहुत अधिक नहीं है? मैंने कहा तो गुप्ता जी बोले, तो छोडो सरमा, नया साल मनाना डॉक्टर ने थोडे ही बताया है। भीतर उत्साह और उमंग भर लो। मुफ्त की चीज है, कोई ब्याज नहीं लगेगा। वैसे भी जमाने की देखा-देखी में रखा क्या है?


मुझे लगा खाली हाथ गया तो फिर कहां जाऊंगा। पत्नी की खुशियों को लगे परों का क्या होगा? बच्चों को भी एंजॉय करना है। घर की ऊंच-नीच सोचकर मैं बोला, चलो लाओ, करूंगा कुछ। गुप्ता जी प्रत्युत्तर में बोले, देखो सरमा, इस तरह कब तक घर चलाओगे? हो सके तो इस महंगाई को काबू करने के लिए अपनी इनकम बढाओ।


इनकम क्या बढाओ? मिलती तो कोरी सेलरी ही है। ऊपर की जो कमाई थी, वह अन्ना आंदोलन के बाद से ठप्प हो गई है। लोग ठसके से आते हैं और मुफ्त में काम करा ले जाते हैं। फिर थोडा मैंने भी अपने आप को अमेंड कर लिया है कि देश के लिए और कुछ नहीं तो भ्रष्टाचार करना तो त्यागो। इससे रह जाता है उधार, अभी तो आप दो, मैं पत्नी को भी समझाने की कोशिश करूंगा कि इस तरह तो हम डूब जाएंगे। कहीं के नहीं रहेंगे।


गुप्ता जी बोले, घर की बात तो यही है सरमा। जितनी चादर हो उतना ही पांव पसारो। अभी जीवन बहुत लंबा है। इस दिखावे में क्या धरा है? सबको कांग्रेच्यूलेट करो और डे सेलिब्रेट करो। आप ठीक कह रहे हैं गुप्ता जी। आप पैसे रहने दें, मैं घर में ही मनाऊंगा यह न्यू ईयर। यह कहकर मैं उत्साह और उमंग के साथ हंसमुख चेहरा लेकर घर में घुसा तो पत्नी की बांछें खिल गई। वह बोली, मिल गए गुप्ता जी?


अरे भागवान गुप्ता जी तो मिल गए, लेकिन मैं उनसे उधार लाया नहीं। हम लोग न्यू ईयर घर में ही मनाएंगे। मेरा मतलब न तो शॉपिंग होगी और न ही किसी रेस्टोरेंट में लंच-डिनर। हम बच्चों के साथ घर में ही आनंद करेंगे। जितनी बडी चादर हो पांव उतने ही फैलाने चाहिए। उधार लेकर न्यू ईयर मनाना किसने बताया है और मैं तो यह कहता हूं कि पैसा अपने खुद के पास भी हो तो उसकी बदखर्ची नहीं करनी चाहिए। थोडी बचत करना जरूरी है। पता नहीं कब क्या काम पड जाए। ऋण पहले ही कम नहीं है। इसलिए मैं नहीं लाया पैसा। हम घर में ही नई डिश बनाएंगे और मनाएंगे न्यू ईयर। इस महंगाई में कोहनी मुंह में वैसे ही नहीं आती। इसलिए अपने बूते पर जो हो जाए, वही करो।


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श्रीमती भी मेरी बात सुनकर चुप हो गई और फिर बोलीं, आप सच कह रहे हैं। ऋणं कृत्वा घृतं पिबेत का फलसफा बहुत दिन नहीं चल सकता। हम खुशी से अपने घर में ही न्यू ईयर मनाएंगे। मैंने पत्नी को बांहों में भरकर कहा, आज पहली दफा घर में नया साल आया है। साल आता है, चला जाता है, लेकिन दिन-दिन जटिल होती जिंदगी को इस तरह नहीं ढोया जा सकता।


घर में पहली जनवरी को ऐसी खुशी समाई कि मैं फूला नहीं समा रहा था। मैंने रसोई में काम कर रही पत्नी के कान में हंसते हुए कहा, हैप्पी न्यू ईयर डार्लिग।


पत्नी ने भी हंसकर मुझे सेम टु यू कहा और खिलखिलाकर हंस पडी। पूरन सरमा

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