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जरा सोचिए, अगर जिंदगी में प्रयोग न हों, तो कैसा होगा इसका जायका? शायद एकदम फीका। जिंदगी में जिंदादिली बनी रहे, इसके लिए जरूरी है प्रयोगधर्मिता और जो लोग प्रयोगधर्मी होते हैं, उनके जीवन के हर पहलू से इसकी झलक मिलती है। चाहे वह खाने का मामला हो, या फिर फैशन, या व्यवसाय का। मनोवैज्ञानिकों का भी यही मानना है। दिल्ली विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग की अध्यक्ष प्रोफेसर अशुम गुप्ता बताती हैं, मेरे एक परिचित हैं जिनकी अपनी एक सीमित दुनिया है। कनाट प्लेस स्थित एक रेस्टोरेंट में ही खाना खाते हैं। इडली-सांभर के अलावा शायद ही उन्होंने कभी कुछ और ऑर्डर किया हो। उनकी जिंदगी नाइन-टु-फाइव के हाइवे पर पिछले कई सालों से एक ही रफ्तार से दौड रही है। वहीं उनके दोस्त का स्वभाव उनसे एकदम फर्क है। यह महाशय हमेशा अलग-अलग रेस्टोरेंट्स में खाना खाते हैं। उनकी कोशिश रहती है, ऐसी डिश ऑर्डर करने की जो उन्होंने पहले कभी न खाई हो। खाने की तरह उनकी जिंदगी भी प्रयोगों से भरी पडी है। डेंटिस्ट्री की प्रैक्टिस के दौरान ही उन्हें कार्टून बनाने का शौक चढा और उन्होंने डेंटिस्ट्री छोड दी। आज वह एक मल्टीनेशनल कंपनी में कार्टूनिस्ट हैं। साथ ही गिटार के लाइव शो भी करते हैं। प्रयोगधर्मिता का ग्राफ तेजी से चढ रहा है। अच्छी बात यह है कि इसे मनोवैज्ञानिक अच्छा संकेत मानते हैं।
शेफ स्पेशल की मांग बढी
दस्तरख्वान पर बढ रही प्रयोगधर्मिता का सबसे बडा संकेत है रेस्टोरेंट्स के शेफ स्पेशल और रेस्टोरेंट स्पेशल मेन्यू में आए दिन हो रही तब्दीली। गुडगांव स्थित होटल 32 माइलस्टोन के कॉर्पोरेट शेफ अवतार सिंह बताते हैं, एक दौर था जब चाइनीज पसंद करने वाला चाऊमीन-हॉट एण्ड सॉर सूप, मुगलई पसंद करने वाला बिरयानी-कबाब, इंडियन पसंद करने वाला कडाही पनीर-मिस्सी के अलावा कोई नई चीज ऑर्डर नहीं करता था। पर अब ऐसे लोगों की तादाद काफी बढ गई है जो पूछते हैं, फलां क्विजीन में नया क्या है?, शेफ स्पेशल मेन्यू में क्या खास है? वहीं मुगलई क्विजीन के शेफ इरफान कुरैशी इस बारे में कहते हैं,रेस्टोरेंट्स में हो रहे इन प्रयोगों की वजह बनी है लोगों की प्रयोगों के प्रति दीवानगी।
जुदा होता है नजरिया
अब सवाल उठता है कि क्या हर इंसान में प्रयोगधर्मिता होती है? या फिर यह गुण सिर्फ कुछ विशेष लोगों में होता है? इस बारे में मनोवैज्ञानिक विचित्रा दर्गन आनंद कहती है, इंसान में रिस्क लेने की प्रवृत्ति या तो होती है, या नहीं होती। ऐसे में जो लोग खाने को लेकर प्रयोगधर्मी होते हैं, वे जिंदगी के नए जायके भी बखूबी चखते हैं। उनका नजरिया कुछ ऐसा होता है, यह तो नई चीज है, इसे ट्राई करके देखता हूं।
कामकाजी स्त्रियों को लुभाते हैं प्रयोग
यह भी देखा गया है कि जिंदगी में प्रयोग करने की प्रवृत्ति 25-32 साल की नौकरीपेशा स्त्रियों में सबसे ज्यादा होती है। दिल्ली के साउथएक्स में रहने वाली 28 वर्षीया जिया भी ऐसी ही एक प्रयोगधर्मी हैं। जितना शौक उन्हें नई डिशेज ट्राई करने का है, उतना ही जिंदगी के नए-नए जायके चखने का भी है। आइआइटी मुंबई से बी.टेक कर चुकी जिया जॉब के दौरान ही एक थिएटर आर्टिस्ट ग्रुप से मिलीं और कुछ नया ट्राई करने की ललक में खुद भी इसमें शामिल हो गई।
सलेब्रिटीज भी पीछे नहीं
कई सलेब्रिटीज तो खाने से लेकर अपनी प्रोफेशनल जिंदगी तक में प्रयोगधर्मिता के लिए ही जाने जाते हैं। होटल हायत के शेफ द पार्टी दीपक बताते हैं, क्रिकेटर विराट कोहली सूशी की नई वैराइटीज चखना पसंद करते हैं। जाहिर है वह पिच पर भी अपनी प्रतिभा के नए-नए रंग दिखाते रहते हैं। ऐक्ट्रेस करिश्मा कपूर को प्रॉन की नई-नई वैरायटी ट्राई करना अच्छा लगता है। अरशद वारसी और हिमेश रेशमिया को भी खाने में प्रयोग पसंद हैं। ये सभी जिंदगी में भी रिस्क लेने से नहीं घबराते।
मुश्किल है डगर
हालांकि प्रयोगधर्मियों को कई बार परिवार की नाराजगी भी झेलनी पडती है। इस नाराजगी को आपसी समझ या काउंसलिंग से दूर किया जा सकता है। प्रोफेसर अशुम बताती हैं, कुछ माह पहले 32 साल की एक युवती मेरे पास अपने पति के साथ आई। वह पिछले 12 साल से शिक्षिका थी, लेकिन कॉर्पोरेट जॉब करना चाह रही थी। उनके पति को इस पर ऐतराज था। लेकिन जब मैंने उन्हें समझाया कि आगे बढने के लिए रिस्क जरूरी है, तो वह मान गए। प्रयोगधर्मिता की डगर मुश्किल तो है, लेकिन इसके बगैर जिंदगी का लुत्फ लेना भी मुमकिन नहीं है।
सोच-समझ कर लें रिस्क
प्रयोगों से बचने वाले लोग मुसीबत आने पर घबरा जाते हैं क्योंकि वह इनके लिए तैयार नहीं होते। हालांकि प्रयोग करते समय सावधानी बरतना भी बेहद जरूरी है। विचित्रा कहती हैं,कुछ लोग प्रयोग के नाम पर बिना सोचे-समझे रिस्क ले लेते हैं। वहीं कुछ लोग यह तय करने के बाद रिस्क लेते हैं कि अगर उन्हें इससे नुकसान हो, तो वह इससे आसानी से उबर सकें।
लुभाता है खाने और जिंदगी में प्रयोगकरीना कपूर
पंजाबी खानदान की बेबो परांठों की दीवानी हैं। हर सुबह नाश्ते में उन्हें विभिन्न प्रकार के परांठे चाहिए होते हैं। करीना का पसंदीदा क्विजीन इटैलियन है और वह हमेशा अलग-अलग किस्म की इटैलियन डिशेज खाना पसंद करती हैं। असल जिंदगी में भी करीना ने काफी प्रयोग किए हैं। जब वी मेट और 3 इडियट्स जैसी फिल्मों के साथ ही उन्होंने चमेली और तलाश जैसी फिल्मों में लीक से हटकर रोल भी निभाए हैं। ऑप्शन देने से बच्चे बनते हैं प्रयोगधर्मी जिस तरह खाने में नया ट्राई करने पर कभी-कभार मुंह का स्वाद ख्ाराब भी होता है, उसी तरह जिंदगी में भी रिस्क लेने पर कभी-कभार कटु अनुभव होते हैं। लेकिन इन कटु अनुभवों से बडी सीख भी मिलती है। जिन परिवारों में बच्चों को देखो, हम भी ऐसा ही करते हैं और शुरू से ऐसा ही होता आ रहा है जैसे कारण बताकर काम कराए जाते हैं, उनमें बच्चों का दायरा काफी हद तक सीमित हो जाता है। वहीं जिन परिवारों में बच्चों को हर काम से जुडे ऑप्शन दिए जाते हैं, वहां बच्चों में प्रयोगधर्मिता विकसित होती है।
अहम मैच से पहले पास्ता खाना पसंद
महेश भूपति
दुनिया के सर्वश्रेष्ठ टेनिस खिलाडियों में शुमार महेश भूपति भी अकसर नई-नई डिशेज ट्राई करते रहते हैं। मैच से एक रात पहले वह पास्ता खाना पसंद करते हैं। चीन के एक रेस्टोरेंट में तो उन्हें जिंदा सांप दिखाकर पूछा गया था, क्या आप इसे खाना पसंद करेंगे? असल जिंदगी में भी महेश खासे प्रयोगधर्मी हैं। साल 2010 में उन्होंने अपनी पत्नी लारा दत्ता के साथ बिग डैडी प्रोडक्शंस नाम की प्रोडक्शन कंपनी भी खोली है।
सच में जिंदगी इम्तिहान लेती है !!
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