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क्या फिर से शुरुआत कर सकते है ?

Jagran Sakhi
Jagran Sakhi
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love coupleकहने को चाहे कोई कुछ भी कह ले, पर यह सच है कि अपनी चाहत के अनुसार सब कुछ कर पाने का मौका कम लोगों को ही मिल पाता है। ऐसे लोग बहुत हैं, जिन्हें अपनी इच्छानुसार सब कुछ करने का अवसर नहीं मिल पाता है। यह कभी घर-परिवार की स्थितियों के कारण होता है तो कभी अपनी सीमाओं के कारण और कभी समाज या समय भी इसका कारण बन जाता है। ऐसे हालात के शिकार हो गए लोगों में से अधिकतर परिस्थितियों से समझौता कर लेते हैं और जीवन भर अपने को, परिवार को, समाज को या फिर हालात को कोसते रहते हैं। कुछ लोग बिलकुल समझौता नहीं करते। वे हालात से जूझते हैं। यह संघर्ष कुछ दिनों का भी हो सकता है और कुछ वर्षो का भी। ऐसे संघर्ष में कुछ लोग जीत जाते हैं और कुछ हार भी जाते हैं। इन दो से भिन्न एक तीसरे प्रकार के लोग भी होते हैं। वे फौरी तौर पर समझौता कर लेते हैं, लेकिन इस फौरी समझौते के बावजूद अपने पवित्र उद्देश्यों की अग्नि को अपने भीतर जीवित बनाए रखते हैं। वे तब तक वही करते रहते हैं, जो कर पाने का उन्हें उस समय अवसर मिलता है। उनके लिए यह अपने आपमें एक तरह का संघर्ष होता है, अपने अस्तित्व को बचाए रखने का संघर्ष। बाद में वे जैसे ही उचित अवसर और परिस्थितियां हासिल कर पाते हैं, अस्तित्व को बचाए रखने का संघर्ष छोड कर, अपने अस्तित्व का महत्व स्थापित करने के संघर्ष में जुट जाते हैं। जब वे अपने इस महत्व को स्थापित कर लेते हैं तो दुनिया इसे एक बडे बदलाव के रूप में देखती है। जरूरी नहीं कि यह बदलाव हमेशा सकारात्मक ही हो। कई बार यह बदलाव नकारात्मक भी होता है और कभी-कभी तो अपने को ही या दूसरों को तोडने वाला भी, पर होता तो है और बदलाव से इनकार नहीं किया जा सकता।

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प्रतिभा की पहचान

बदलाव की यह प्रक्रिया केवल उचित परिस्थितियां न मिल पाने के कारण घटित होती हो, ऐसा भी नहीं है। ऐसा कई बार अपनी प्रतिभा और अपनी क्षमताओं को ठीक से पहचान न पाने के कारण भी होता है। कुछ लोग बने कुछ और करने के लिए होते हैं, लेकिन करने कुछ और लगते हैं। जो करने के लिए वे बने होते हैं, वह करने की प्यास भी उनके भीतर तब तक नहीं जगती, जब तक कि परिस्थितियां ही उन्हें इसका एहसास न कराएं। अपनी प्रतिभा या काम के बजाय वे लाभ या उपलब्धियों को अधिक महत्व देने लगते हैं। कई बार समसामयिक स्थितियों को महत्व देने के कारण भी ऐसा हो जाता है। बाद में जब उनके जीवन में ऐसा कुछ घटित होता है, जिससे उन्हें अचानक अपनी वास्तविक प्रतिभा की पहचान होती है, तब जाकर उन्हें जीवन की सही दिशा का बोध होता है।


संबंधों की त्रासदी

बदलाव उन स्थितियों में उतना कष्टप्रद नहीं होता, जबकि संबंधित व्यक्ति अपनी जडों से जुडे रहते हुए ही किसी नए स्थान या व्यवसाय में स्थापित होने का प्रयास करे। सबसे जोखिम भरा होता है यह उन स्थितियों में जब किसी को अपनी जडें छोडकर बिलकुल नए सिरे से स्थापित होने की कोशिश करनी पडती है। इसमें भी सबसे त्रासदीपूर्ण अनुभव होता है रिश्तों में बदलाव का। क्योंकि पहले दो बदलावों में सारा संघर्ष बाहरी होता है। अकसर भीतर से उसे सहारा देने के लिए उसके अपने लोग होते हैं। जो हर हाल में उसका हौसला बनाए रखते हैं। किसी भी संघर्ष में कई बार ऐसी स्थितियां आती हैं जब व्यक्ति अपना धैर्य खोता हुआ महसूस करने लगता है। ऐसी स्थिति में वे उसे धैर्य बंधाते हैं। जरूरत पडते पर साहस, संयम, आत्मविश्वास और समझ भी देते हैं। लेकिन संबंधों में बदलाव की स्थिति ऐसी होती है जब व्यक्ति भीतर का सहारा चूक जाता है। संबंधों का टूटने पर, चाहे वह जीवनसाथी से हो या भाई-बहन या मित्र से, हर हाल में व्यक्ति अपना भरोसा खोता हुआ दिखाई देता है। खासकर जीवनसाथी से अलगाव की स्थिति उसे एक अपराध बोध से भी भर देती है।


Tags: love and romance, relationship, happy relationship, life and passion, जीवनसाथी,रोमांस

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