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लोग खाना सिर्फ भूख लगने पर ही नहीं खाते, कई बार इच्छा को शांत करने के लिए भी खाते हैं। कभी अचानक किसी खास व्यंजन को देख कर जी ललचाता है और अनायास हाथ फ्रिज में कुछ खोजने लगते हैं। इसे फूड क्रेविंग कहते हैं। नुकसान यह है कि इसमें लोग अकसर ऐसी चीजें खा लेते हैं जो फैट या शुगर से भरपूर होती हैं। यह क्रेविंग आमतौर पर पिज्जा, चॉकलेट, स्वीट्स या जंक फूड की ही होती है।
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क्यों होती है इच्छा
फूड क्रेविंग क्यों होती है, इस बारे में सटीक जवाब नहीं दिया जा सकता। यह कई कारणों से हो सकती है। शरीर में बायो-केमिकल प्रक्रिया की कुछ कॉम्प्लेक्स मिक्सिंग के अलावा भावनात्मक या हॉर्मोनल वजहों से फूड क्रेविंग हो सकती है। कुछ अध्ययन बताते हैं कि इसके पीछे विज्ञापनों और कल्पनाओं का भी बडा हाथ है। किसी लजीज व्यंजन का फोटो या विज्ञापन देख कर या उसकी कल्पना करते ही उसे खाने की इच्छा होने लगती है। इच्छा होते ही उस खास व्यंजन की इमेज आंखों के आगे आ जाती है। फूड क्रेविंग के कुछ सामान्य कारण हैं।
असंतुलित ब्लड शुगर
इसमें शरीर ग्लूकोज को सही ढंग से संतुलित नहीं कर पाता, जिसका परिणाम होता है फूड क्रेविंग, प्यास, सिर दर्द, थकान, मूड स्विंग।
क्या करें : नियमित स्वास्थ्य जांच कराएं। खासतौर पर शुगर और ब्लड प्रेशर जांच करवाएं। कोई भी परिवर्तन नजर आने पर डॉक्टर की सलाह लें और खानपान ठीक रखें।
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इमोशनल ईटिंग
भोजन संबंधी आदतें व्यक्ति के व्यवहार से भी प्रभावित होती हैं। कई बार अत्यधिक दबाव, तनाव या बोरियत से बचने के लिए व्यक्ति कंफर्ट के लिए भोजन की ओर बढता है। लेकिन ऐसी स्थिति लंबे समय तक बनी रहे तो यह मनोवैज्ञानिक रोग बन सकता है। कुछ मामलों में क्रेविंग के कारण लगातार खाने की आदत भी पड जाती है। इससे वजन बढता है, ईटिंग डिसॉर्डर और भावनात्मक समस्याएं होने लगती हैं।
क्या करें : अकेलेपन या खालीपन से बचें, व्यस्त रहें और मनचाहे खाद्य पदार्थो को अपने पास न रखें। लगातार खाने की इच्छा बढ रही है तो एक्सपर्ट की सलाह लें।
पोषण की कमी
शरीर में पोषक तत्वों की कमी के कारण भी क्रेविंग होती है। अगर शरीर में मिनरल्स की कमी हो तो सॉल्टी फूड्स की क्रेविंग होती है। इसके अलावा पोषक तत्वों की कमी से चटपटे, पोषण-रहित खाद्य पदार्थो या जंक फूड की क्रेविंग भी होती है।
क्या करें : ऐसे खाद्य पदार्थो का सेवन करें जिनमें मिनरल्स हों। मीट, पॉल्ट्री प्रोडक्ट्स, लाल मसूर की दाल, ब्रॉक्ली, बींस, मटर, गोभी, गाजर, पालक, जुकीनी, ऑलिव्स, केले, कीवी, अंगूर, तरबूज-खरबूजाऔर डेयरी उत्पादों का नियमित सेवन करें। भोजन संतुलित हो और उसमें पर्याप्त पोषक तत्व हों।
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हॉर्मोनल बदलाव
प्रेग्नेंसी या पीरियड्स से पहले अमूमन स्त्रियों को कुछ खास खाने की इच्छा जाग्रत होती है। ये कारण बताते हैं कि हॉर्मोनल बदलावों का भोजन संबंधी व्यवहार पर प्रभाव पडता है। प्रेग्नेंसी में विटमिंस व मिनरल्स की कमी के कारण ही फूड क्रेविंग होती है।
क्या करें : पीएमएस के दौरान मीठा खाने की तीव्र इच्छा हो तो चॉकलेट का एक छोटा सा टुकडा मुंह में लें और उसे धीरे-धीरे खाएं। कुछ देर बाद एक ग्लास पानी पी लें। प्रेग्नेंसी में स्त्रियों की फूड क्रेविंग को सामान्य समझा जाता है और उन्हें खाने से नहीं रोका जाता, लेकिन इस दौरान ओवरईटिंग से ओवरवेट होने का खतरा रहता है। इसलिए जो भी खाएं, उसकी मात्रा का ध्यान अवश्य रखें।
पानी की कमी
कई बार ऐसा लगता है कि भूख लग रही है और पेट खाली है। ऐसा आमतौर पर तब होता है, जब काफी देर से पानी न पिया जाए। पर्याप्त पानी न पीने से डिहाइड्रेशन होता है। ऐसे में कई बार भूख का एहसास होता है।
क्या करें : क्रेविंग महसूस हो तो पहले एक ग्लास पानी पी लें, ताकि बॉडी हाइड्रेट हो सके। लेकिन अत्यधिक पानी भी न पिएं, क्योंकि इससे भी क्रेविंग बढ जाती है।
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ब्रेकफस्ट ठीक से न करना
फूड एक्सपर्ट्स और डायटीशियंस का कहना है कि ब्रेकफस्ट बहुत लाइट नहीं होना चाहिए और इसमें सभी जरूरी पोषक तत्व होने चाहिए। सुबह पाचन क्रिया सही रहती है। ब्रेकफस्ट कम होगा तो लंच से पहले कुछ न कुछ खाने की इच्छा जरूर जागेगी।
क्या करें : ब्रेकफस्ट जरूर करें और ध्यान रखें कि यह इतना लाइट न हो कि एकाध घंटे में ही भूख लगने लगे। ब्रेकफस्ट में स्प्राउट्स, वेजटेबल टोस्ट, उबले अंडे, बेसन का चीला, इडली-सांभर जैसे व्यंजन लिए जा सकते हैं। सुबह ठीक से खाने का फायदा यह है कि बार-बार भूख का एहसास कम होगा और बीच में स्नैक्स खाने से बच सकेंगे।
मौसम में बदलाव
मौसम में तब्दीली होती है तो शरीर भोजन के जरिए खुद को मौसम से एडजस्ट करने की कोशिश करता है। गर्मी में जूस, सैलेड या ठंडे पेय पदार्थ की क्रेविंग होती है। विंटर्स में गर्म सूप, मीट-बेस्ड डिशेज, डेजर्ट्स और भरवां पराठे की क्रेविंग होती है। एक से तीन प्रतिशत लोगों में कार्बोहाइड्रेट की क्रेविंग होती है और उन्हें पिन्नी, गाजर का हलवा जैसे खाद्य पदार्थो की इच्छा होती है। ये सारे कंफर्ट फूड हैं। मॉनसून में कॉफी, मसाला टी या हॉट डिशेज का मजा अलग होता है। त्यौहारों के दौरान भी क्रेविंग होती है। इसमें मिठाइयां, चॉकलेट्स या डेजर्ट्स की इच्छा होती है। मौसम बदलने से ब्रेन केमिस्ट्री बदलती है और बॉडी की बायोलॉजिकल क्लॉक में भी बदलाव आता है।
क्या करें : क्रेविंग होने पर खाएं मगर मात्रा का ध्यान रखें। सर्दी में शारीरिक गतिविधियां कम होती हैं, इसलिए कैलरी को लेकर सजग रहें, ताकि वजन नियंत्रण में रहे।
वेटलॉस
अधिकतर लोग वजन कम करने के लिए डाइटिंग करते हैं। इसकी जरूरी शर्त है कार्ब्स और शुगर कम करना। यह कम होने से शरीर के मेटाबॉलिज्म पर प्रभाव पडता है। शरीर में असंतुलन होते ही फूड क्रेविंग होने लगती है।
क्या करें : डाइटिंग सोच-समझ कर करें। शरीर के स्वस्थ विकास के लिए हर तरह का खाना चाहिए। सीमित मात्रा में थोडे-थोडे अंतराल पर खाने की आदत डालें, ताकि शरीर को पूरा पोषण मिले और वजन भी न बढे।
डॉक्टर के पास जाएं यदि
– लगातार फूड क्रेविंग हो रही हो और उससे लडने में असमर्थ हों।
– भोजन में पर्याप्त पोषक तत्व न हों और ईटिंग डिसॉर्डर से ग्रस्त हों।
– लंबे समय से तनाव या अवसाद से जूझ रहे हों।
– व•ान एकाएक घटे या बढे।
क्रेविंग से बचने के टिप्स
1. क्रेविंग से बचने के लिए खालीपन से बचें। किताब पढें, टीवी देखें या पसंदीदा काम करें। क्रेविंग होने पर चिप्स का पैकेट उठाने के बजाय न्यूजपेपर उठाएं, कोई रोचक खबर पढना शुरू कर दें।
2. नियमित व्यायाम से स्ट्रेस हॉर्मोस जैसे कॉर्टिसोल का स्तर कम होता है। साथ ही इससे मूड बूस्टिंग हॉर्र्मोस जैसे एंडोर्फिस में वृद्धि होती है। एंडोर्फिस वे केमिकल्स हैं, जिनसे फील गुड की भावना पैदा होती है। व्यायाम से खुशी बढाने वाले हॉर्मोस जैसे सेरोटोनिन, डोपेमाइन और एड्रेनालाइन के स्तर में भी इजाफा होता है।
3. जब भी क्रेविंग हो, एक ग्लास पानी पिएं। कई बार डिहाइड्रेशन के कारण भी क्रेविंग होती है। कुछ-कुछ समय के अंतराल पर पानी पीते रहें।
4. फूड क्रेविंग को पूरी तरह नियंत्रित कर पाना मुश्किल काम है। खुद को पूरी तरह न रोकें। अगर मीठा खाने का मन है तो गुड का छोटा सा पीस भी इच्छा को शांत कर सकता है। शीरे से भरा गुलाबजामुन खाने के बजाय गुड का छोटा सा टुकडा खाना एक हेल्दी विकल्प है। मात्रा का ध्यान हमेशा रखें।
5. प्रोसेस्ड फूड को न कहें। रेडी मील्स स्वादिष्ट, सुविधाजनक तो होते हैं, लेकिन इनमें नमक, फैट, शुगर और केमिकल्स की अधिक मात्रा होती है। कभीकभार ऐसा भोजन ठीक है, लेकिन इसकी आदत न पडे तो अच्छा है।
6. मिनरल क्रोमियम की कमी से भी फूड क्रेविंग होती है। समस्या लगातार बनी रहे तो कंप्लीट मल्टीविटमिन और मिनरल सप्लीमेंट्स के लिए अपने डॉक्टर की सलाह लें।
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