sakhiwithfeelings
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जब शब्द शून्य हो जाते है
मन बैचनी में जीता है
कुछ प्यासे लम्हें पीता है
फिर शब्द मौन हो जाते है
और अर्थ गोण हो जाते है
तब कोई अंदर अंदर ही
कुछ शब्द सुई से सीता है.
जब शब्द शून्य हो जाते है
मन बैचेनी में जीता है.
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