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silbatta (सिलबट्टा)

sakhiwithfeelings
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पहले गणेश जी आये और १० दिन तक सब अपने अपने घर में गणेश जी की पूजा अर्चना में लगे रहे , फिर श्राद्ध (पित्र पक्ष) ने आकर सब नए काम बंद कर दिये ..और बंद हो गया अपना भी काम धंधा फिर ये दुर्गा पूजा ने आकर पूजा पाठ में लोग बागों को व्यस्त कर दिया | अब रमेश और तेरे बाबा कित्ते दिन से कुछ न लाये कमा के | अब बेचारा मजदूर जीवन यापन के लिए करे तो करे क्या ? चिंतित हो सास बहु से बैठे- बैठे कह रही थी |
बहू ने सूनी आँखों से सास की ओर देखा |
सास ने फिर बहू की और प्रश्न वाचक दृष्टि उठाई और बोली क्या बनाएगी आज खाने में सुमन ?
बहू बोली -अम्मा घर में कोई साग सब्जी नहीं है और दाल के तो भाव मत पूछो , अब कहा दाल रोटी की बात गरीब इंसान करे, दाल के भाव तो आसमान से जा मिले है | प्याज के संग भी रोटी खाने की सोचो तो प्याज लाने के पैसे भी नहीं है , टमाटर की भी कीमत इतनी है की चटनी बनाने से पहले सोचना पड़ेगा |
अब सोच रही हूँ की का बने खाने में जो सब दो रोटी वा के संग खा सके आराम से |
सास ने फिर बहु से कहा – जा सुमन लाल मिर्च और नमक लहसुन ले आ गरीब की गरीबी को यही एक सहारा है | पर जेई सबसे ज्यादा पसंद है तेरे बाबा को | आज सबकी ही दावत हो जाएँ |
और फिर सास बहु के संग सिलबट्टा भी बात करने लगा |
सखी सिंह, मुंबई

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