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कचरे वाली लड़की की कहानी

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आज मेडिकल कॉलेज में डिग्री डिस्ट्रीब्यूशन का दिन था। समारोह मे शहर के नामी डॉक्टर और बड़े बड़े लोग थे। हॉल पूरा मेहमानों और मीडिया से भरा था। समारोह शुरू हुआ, सारी औपचारिकता के बाद डिग्री डिस्ट्रीब्यूशन शुरू हुआ। जैसे ही प्रिया का नाम सेकंड रैंक के लिए पुकारा गया हॉल तालियों कि आवाज से गूंज उठा। प्रिया स्टेज पर आई उसने सबका अभिवादन किया और कहा “मैं चाहतीं हूंं कि आज मुझे जो डिग्री मिलने वाली है वो मुझे मेरी मां के हाथों से मिले।” स्टेज पर एक जवान महिला (जिसकी उम्र ३३-३५ होगी) को आता देख सब आश्चर्य करते हैं कि इसकी इतनी बड़ी बेटी कैसे हो सकती है? प्रिया बोली “मैं आप सबको एक कहानी सुनाती हूंं।

 

 

 

सर्दियों का मौसम था ठंड इतनी जोर की थी कि कोहरे में एक हाथ को दूसरा हाथ दिखाई नही दे रहा था। सुबह के ७ बज गए थे पर अभी भी अंधेरा था, नीतू स्कूल के लिए तैयार होते होते बोली मम्मी मेरी स्कूल फीस रचना (नीतू की मम्मी) ने नीतू को ढाई हजार रुपए दिए और बोली संभाल कर ले जाना और स्वेटर पहनना मत भूलना,नीतू ने हां कहा और बाय बोल कर तेजी से निकल गई। रास्ते मे उसके दो तीन सहेलियां मिल गई और सब साथ स्कूल के लिए निकल गए। रास्ते में कचरे के डिब्बे से किसी बच्चे के रोने की आवाज सुन कर सब रुक गई। नीतू बोली “ये आवाज़ तो किसी बच्चे के रोने की है चलो देखते है।”

 

 

 

नीतू की सहेलियां बोली “नही यार पहले ही बहुत देर हो चुकी है” पर नीतू नहीं मानी तो बाकी सब सहेलियां बोली” अच्छा तूं आ हम लोग निकलते हैं। नीतू ने हां कहा और आवाज़ की तरफ चल दी। नीतू ने देखा की नवजात बच्ची को कोई कचरे के ढेर में छोड़ कर चला गया है। बच्ची बुरी तरह से रो रही थी, बाजार में ठंड होने के बावजूद बहुत चहल पहल थी पर बच्ची को बिलखते देखकर भी किसी को दया नही आ रही थी।

सब आते जाते रुकते बच्ची को देखते और आगे बढ़ जाते। नीतू से बच्ची की हालत देखी नहीं जा रही थी। उसने बच्ची को हाथ लगाया तो देखा की उसको तो तेज बुखार है। नीतू की समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करे बच्ची को रोते देख नीतू भी रोने लगी और उसने बच्ची को गोद में लेकर गले से लगा लिया। गले लगते ही जैसे बच्ची की जान में जान आई। बच्ची को उसने अपना स्वेटर मे लपेट दिया। उसने अपने दोनों नन्हे नाजुक हाथ नीतू के गाल पर रख दिए और आंंखे बंद कर ली। नीतू बच्ची को गले लगाकर बहुत रो रही थी। रोते रोते उसने बच्ची को बंद आंंख किये देखा तो उसके होश उड़ गए। वो जोर जोर से बच्ची को हिलाने लगी पर बच्ची ने आंंख नहींं खोली तो नीतू ने ऑटो रोक कर हॉस्पिटल चलने को कहा।

 

 

 

हॉस्पिटल पहुंचकर नीतू दौड़ कर अंदर गई और डॉक्टर को देखने को कहा (नीतू की उम्र दस बारह साल की होगी ) डॉक्टर ने नीतू की गोद में बच्ची को देखकर पूछा “बेटी तुम्हारे साथ बड़ा कौन है?” बोली “कोई नहीं।” डॉक्टर बोला “फिर ये बच्ची कौन है? तुम कौन हो?” नीतू बोली “ये मेरी बहन है। मेरे घर पर बड़ा कोई नहीं है। मेरी बहन को बहुत बुखार है। आप प्लीज जल्दी से इसे ठीक कर दीजिये। डॉक्टर आश्चर्य से नीतू को देख कर बच्ची को चेक करने लगा। बच्ची को तेज बुखार था और वो बेहोश थी।

 

 

 

डॉक्टर ने कहा “बेटी आपके परिवार मे कोई तो बड़ा होगा?” नीतू बोली “डॉक्टर साहब मेरे घर मे कोई बड़ा नहीं है मैं ही बड़ी हूंं।” डॉक्टर  बोला “पैसे कौन देगा इलाज के ?” नीतू बोली “मैं दूंगी।” डॉक्टर ने कहा “दो हजार लगेंगे।” नीतू ने रुपए निकाले और डॉक्टर को देने लगी डॉक्टर ने काउंटर पर जमा करने को कहा और  बच्ची को एडमिट कर इलाज शुरू कर दिया।

 

 

 

नीतू स्कूल पहुंची, लेट होने के कारण उसे पुरे दिन टीचर ने खड़े रखा खड़े खड़े कब शाम हो गई पता ही नहींं चला। स्कूल छूटा तो नीतू की सहेलियों ने नीतू से पुछा कि उसे इतनी देर कैसे हुई? तो नीतू ने उनको पूरी बात बताई और फिर नीतू स्कूल से सीधे हॉस्पिटल गई। बच्ची अब ठीक थी। नीतू ने बच्ची को बड़े प्यार से उठा कर गले लगाया और उससे बात करने लगी। बच्ची भी जैसे नीतू को काफी पहले से जानती हो उसको देखकर खिलखिलाने लगी फिर अचानक उसने रोना शुरू कर दिया।

 

 

 

नीतू दौड़ कर डॉक्टर के पास गई डॉक्टर ने उसे दूध पिलाने के लिए कहा। सुन कर नीतू परेशान हो गई। वह दौड़ कर कैंटीन गई और बच्ची को दूध पिलाया। डॉक्टर ने उसे बच्ची को ले जाने कि लिए कहा नीतू ने डिस्चार्ज लिया और घर आकर दरवाजा खटखटाया तो नीतू की मम्मी (रचना) ने दरवाजा खोला। रचना कुछ बोलतीं उसके पहले ही नीतू बच्ची को लेकर सीधी अपने कमरे में चली गई। नीतू कि गोद में बच्चे को देखकर रचना बोली “ये किसको घर लाई है नीतू? कौन है ये बच्ची?”

नीतू बोली “मेरी बहन है ये, इसका नाम प्रिया है। रचना बोली “क्या बहन? कहां से आ गई तेरी बहन? नीतू पूरी बात बता” पर नीतू कुछ नहींं बोली। रचना ने नीतू के पापा को कॉल लगाया और पूरी बात बताई। नीतू के पापा (उमंग) बोले किसी फ्रेंड के यहां से ले आई होगी। रचना बोली क्या बोल रहें है आप? नवजात लड़की है, कोई ऐसे कैसे नीतू को ले जाने देगा अपनी बेटी को? रचना की बात सुन उमंग बोले “ठीक है,मैं आकर बात करता हूंं तुम चिंता मत करो।”

 

 

 

कुछ देर मे उमंग आ गए, आते ही रचना और उमंग दोनों नीतू के पास जाकर प्रिया के बारे में पूछने लगे। नीतू ने मम्मी पापा को सब सच सच बता दिया। रचना और उमंग दोनों माथा पकड़ कर बैठ गए। नीतू पर दोनों बहुत नाराज भी हुए पर नीतू चुप चाप सुनती रही। रचना बोली “ऐसे चुप रहने से काम नहींं चलेगा नीतू, कल इसको जहां से लाई है वही रख आना चुप चाप।” नीतू बोली “प्रिया कहीं नहीं जाएगी।” सुन कर रचना को गुस्सा आया और उसका नीतू पर हाथ उठ गया।

 

 

 

नीतू रोते रोते बोली “इस नन्ही सी जान को मैं कैसे कचरे मे छोड़ आऊं मां ? तुझे पता है प्रिया कचरे में पड़े पड़े कितनी बिलख बिलख कर रो रही थी ? क्या सब मां ऐसी ही होती है? पर तुम तो ऐसी नहींं हो, क्या तुम भी मुझे कचरे के ढेर मे फेंक आओगी प्रिया की मां के जैसे ? बोलो न मां! प्रिया कि मां ने प्रिया को वहां क्यों फेंक दिया?” नीतू की बात सुन कर रचना की आंंखों मे आंसू आ गये वो बोली “नहींं मेरी बच्ची तुम तो हमारी जान हो हम तुम को कैसे कहीं छोड़ देंगे?” और रचना ने नीतू को गले लगा लिया।

 उमंग बोला “बच्ची है थोड़े दिन रहने दो फिर हम इसे बडे से घर मे छोड आएंगे जहांं इसका ध्यान रखने वाले लोग होंगे।” नीतू बोली “ये कहीं नहीं जायेगी और अगर इसे वहांं भेजा तो मुझे भी वहीं छोड़़ आना।” उमंग बोला “तुम अपने मांं पापा के बिना रह लोगी?” नीतू बोली “फिर ये मेरे बिना कैसे रहेगी? जैसे आप लोग मुझे हॉस्पिटल से लेकार आए, मैं भी तो इसे लेकर आई हूंं। ये भी तो मेरी बेटी हुई और मैं इसकी मां।” रचना बोली “इसकी बातें तो सुनो एक तो गलती करती है ऊपर से बड़ों की सुनना नहीं। ये सब आपके लाड़ प्यार का नतीजा है। नाक में दम कर रखा है लड़की ने।”

 

 

 

उमंग बोला अब छोड़ो भी रचना, रचना बोली “क्या छोड़ो ? बड़ी बोल रही है न ये कि प्रिया यही रहेगी तो इसकी देखभाल कौन करेगा ? नीतू बोली मैं करूंगी प्रिया की देखभाल।” रचना बोली “लो और सुनो पिद्दी सी छोरी इसकी देखभाल करेगी। अरे पहले खुद की देखभाल तो कर लो। एक प्लेट तो इधर से उधर रखने में जान निकलती है मैडम की, बस बाते करवालो।” थोड़ी देर तक रचना यूं ही चिल्लाती रही फिर बोली “अच्छा ये बता इसका खर्चा कहां से लाएगी?” नीतू बोली “ट्यूशन लूंगी और मेरी फ्रेंड्स अपनी अपनी पॉकेटमनी मुझे देंगी। उस से प्रिया का खर्चा उठाउंगी।” नीतू की बात सुन कर रचना बोली “लो और सुन लो महारानी की प्लानिंग।”

 

 

 

 

उमंग बोला “रचना जब नीतू इतनी छोटी होकर इस बच्ची के लिए इतनी प्लानिंग कर सकती है तो फिर हम तो इतने बड़े और पढ़े लिखे हैं। क्या हम हिम्मत नही कर सकते एक बिन मां की बच्ची की देखभाल के लिये?” उमंग की बात सुनकर रचना भी सोच में पड़ गई। उसने प्रिया की तरफ देखा, बड़ी प्यारी लग रही थी अब वो रचना को। रचना ने उसे गोद मे लिया तो नीतू दौड़ कर रचना के गले लग गई और रोते रोते मां से थैंक्यू बोली।

 

 

 

रचना बोली “हां ठीक है देखते है क्या कर सकते हैं, फिर रचना ने प्रिया को दूध पीला कर सुला दिया और सब सोने चले गये। दूसरे दिन नीतू सबसे पहले उठी और उसने प्रिया को दूध पिलाया फिर फ्रेश होकर स्कूल के लिए तैयार होने लगी,थोड़ी देर मे रचना उठी और नीतू के कमरे मे झांक कर देखा तो प्रिया बिस्तर पर लेटी हुए थी और नीतू उसका नैपकिन बदल रही थी। रचना को बहुत आश्चर्य हुआ ये देखकर की जो लड़की बार बार उठाने पर भी नहीं उठती थी और तैयार होने में जान निकाल देती थी आज वो अपने आप उठ कर ये सब काम करने लगी पर रचना ने नीतू को कुछ नही कहा और चुपचाप आकर किचन में काम करने लगी l

 

 

 

नीतू खुशी खुशी स्कूल गई और उसने पूरी बात अपनी फ्रेंड्स को बताई  नीतू की फ्रेंड्स भी सुन कर बहुत खुश हुई फिर सब फ्रेंड्स मिलकर अकेले पढाई करने लगी। सब ने ट्यूशन बंद कर दिया और ट्यूशन के पैसे और पॉकेट मनी के पैसे बचा बचा कर जमा करने लगींं। देखते देखते दो साल बीत गए प्रिया थोड़ी बड़ी हो गई। अब वो थोड़ा थोड़ा चलने लगी थी और जब उसका दूसरा जन्मदिन आया तो नीतू ने अपनी फ्रेंड्स को बुलाया। सब ने मिलकर नीतू के पापा को एक एनवेलप दिया, उमंग ने देखा उसमे लगभग बीस से पच्चीस हजार रूपए थे। उमंग ने पुछा “ये क्या है? इतने सारे पैसे तुम लोगोंं के पास कहांं से आये और ये तुम लोग मुझे क्यों दे रहे हो?”

 

 

 

 

नीतू ने उमंग को बताया की नीतू और उसकी फ्रेंड्स ने ये पैसे ट्यूशन और पॉकेट मनी से बचाये हैं। प्रिया के लिए तो उमंग बहुत खुश हुआ पर उसने पैसे लेने से मना कर दिया। इतने मे उमंग ने देखा की नीतू की सहेलियों के पेरेंट्स भी वहां आये है। सब ने बताया की वो लोग ये देखने आये थे कि उनके बच्चे उनको बिना बताये पैसे बचा कर आखिर कर क्या रहें है? जब उन्होंने नीतू की बातें सूनी तो उनकी आंंखे भर आईंं ये देखकर की एक बिन मां की बच्ची की देखभाल करने के लिए पैसे जोड़ रही है उनकी बात सुन कर उमंग और रचना ने भी उनको पूरी बात बताई। सब ने नीतू की बहुत तारीफ की फिर सब ने मिलकर प्रिया का जन्मदिन मनाया।

 

 

 

 

अब प्रिया धीरे धीरे झाड़ू लगाने लगी। कभी कभी उमंग के जूते साफ करने लगती तो उमंग उसे मना करते हुए गले लगा लेता। फिर घर में बिखरे बर्तन उठा उठा कर सिंक में डालती, इस तरह प्रिया घर के छोटे मोटे काम करने लगी। उमंग ने उसका स्कूल में एडमिशन करवा दिया। प्रिया अब घर के काम के साथ साथ पढ़ाई मे भी एक्सपर्ट हो गई। पहले स्कूल और फिर कॉलेज मे प्रिया ने टॉप किया। देखते देखते प्रिया ने छात्रवृत्ति मे मेडिकल की पढ़ाई मे भी टॉप किया। पूरे शहर मे प्रिया टॉप टेन में दूसरे नंबर पर थी।

 

 

 

वर्तमान: कॉलेज में डिग्री डिस्ट्रीब्यूशन के दिन रचना, उमंग ,नीतू और उसकी फ्रेंड्स प्रिया के कॉलेज आये थे। प्रिया ने बताया की उसको इस मुकाम तक लाने में नीतू ने कितनी मेहनत की है, अगर नीतू नहींं होती तो प्रिया कचरे के ढेर में ही दम तोड़ चुकी होती। प्रिया बोली मुझे ये तो नहीं पता की मां क्या होती है पर अगर मुझे नीतू जैसी मां मिले तो में हर जन्म मे कचरे के ढेर में गिरने के लिए तैयार हूंं। उसके बाद उसने नीतू के पेरेंट्स का आभार माना की उन्होंने अपनी बेटी नीतू की एक कचरे के ढेर में से उठाई हुई लड़की को जिन्दगी देने में और उसे कामयाब बनाने मे मदद की।

 

 

 

प्रिया ने नीतू की फ्रेंड्स का भी आभार माना जिन्होंने अपनी पॉकेट मनी और ट्यूशन फीस बचा बचा कर अपनी दोस्त की नेक काम में मदद की। प्रिया बोली वैसे तो नीतू मेरी बहन है पर मेरी इस बहन को मैं मां मानती हूंं इसलिए मैं चाहतीं हूंं कि आज मुझे जो डिग्री मिलने वाली है वो मुझे मेरी नन्ही मां के हाथोंं से मिले। उसकी बात सुनकर वहां उपस्थित सभी लोगोंं की आंंखों मे आंसू आ गये। सब ने तालियों से नीतू का सम्मान किया और नीतू ने उसके हाथों से प्रिया को मेडिकल की डिग्री प्रदान की।

 

 

 

 

नोट : यह लेखक के निजी विचार हैं, इनके लिए वह स्‍वयं उत्‍तरदायी है। संस्‍थान का इससे कोई लेना-देना नहीं है।

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