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एक दिन बच्चे टीवी देख रहे थे, मैं भी वहीं पास में बैठा हुआ अखबार पढ़ रहा था। तभी उसमें जो कार्टून चल रहा था उसमें कायजन शब्द का दो से तीन बार उल्लेख हुआ। मैंने ध्यान दिया तो यह शब्द मुझे कुछ नया लगा। मन में थोड़ी उत्सुकता हुई कि इस शब्द का मतलब क्या होता है। मैंने कंप्यूटर पर कायजन शब्द का अर्थ ढूंढने का प्रयास किया और वहां मुझे पता लगा काइजेन जापानी भाषा का शब्द है, जो ऐसी व्यापारिक गतिविधियों में प्रयुक्त होता है, जहां व्यापार को छोटे-छोटे सुधारों द्वारा मजबूत बनाया जाता है और इसी प्रकार व्यक्तिगत जीवन में सुधार हेतु भी छोटे-छोटे कदमों का प्रयोग किया जाता है।
इस प्रकार काइजेन शब्द के बारे में और ढूंढा तो एक बात निकलकर आई कि यह जापानी संस्कृति का अभिन्न अंग है। इसी कारण आज जापान बहुत छोटा देश होने के बावजूद एक समृद्ध देश है और तकनीकी के क्षेत्र में और व्यवसाय के क्षेत्र में अग्रणी है। क्योंकि वहां की संस्कृति के अनुसार हर काम यदि हम छोटे-छोटे कदमों से किंतु व्यवस्थित तरीके से करें तो सफलता अवश्य मिलती है।
यह सब वर्णन पढ़ कर मुझे बहुत अच्छा लगा और एक नई जानकारी मिली। फिर मुझे यह भी याद आया कि यह तो हमारी संस्कृति में भी उपलब्ध है जैसे बूंद बूंद से घड़ा भरता है ,और जाने-अनजाने हम भी इसका प्रयोग करते हैं किंतु यह हमारी स्थाई आदत नहीं बन सका है।जिसके कारण आज जापानियों में और हम भारतीयों में बहुत अंतर देखने को मिलता है।
फिर मुझे अपना एक क्लासरूम अनुभव याद आया पिछले वर्ष दिसंबर का महीना था और लगभग दो महीने बाद बच्चों की परीक्षाएं प्रारंभ होने वाली थी। कक्षा 12वीं के कुछ बच्चे आए और कहने लगे सर मात्र दो महीने बचे हैं और हमारा कोर्स ठीक से नहीं हो पाया है,हम समझ नहीं पा रहे हैं इसे कैसे पूर्ण करें।इससे हमें बहुत घबराहट हो रही है, हम इसके लिए क्या करें।
मैंने थोड़ा विचार किया, फिर उसके बाद मेरी उनसे बात होने लगी कि आप लोगों के पांच विषय है और प्रत्येक विषय में लगभग 50 प्रश्न अति महत्वपूर्ण है, हमारे पास इस प्रकार पांचोंं विषय में लगभग 250 प्रश्न होते हैं। हमारे पास आज से दो महीनों अर्थात 60 दिन का समय है। यदि हम प्रतिदिन लगभग 5 प्रश्नों को तैयार करें तो हम आसानी से अभी भी शेष दो माह में अपना संपूर्ण विषय काफी अच्छे से तैयार सकते हैं।
इस प्रकार हमने संपूर्ण विषय को बहुत छोटे-छोटे टुकड़ों में बांटा महीनों को दिनों में, और दिनों को घंटों में, बांटा बच्चों ने यह देखा तो उन्हें बहुत अच्छा लगा फिर बोले हां सर इस तरीके से तो हम कर सकते हैं। यदि हम प्रतिदिन 5 घंटे या 6 घंटे भी अच्छे से तैयारी करते हैं तो हमारे बहुत अच्छे नंबर आ सकते हैं और बच्चे संतुष्ट होकर चले गए।
इसी प्रकार हमारे जीवन में हम हमेशा कायजेन तकनीक का अर्थात छोटे-छोटे कदमों का उपयोग करते हैं,किंतु अनजाने में।यदि हम इसे आदत बना लें और प्रतिदिन इनका हर काम में उपयोग करें तो सभी काम बहुत आसान हो जाएंगे और कुछ भी असंभव नहीं होगा।
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