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हिंदी दिवस पर पखवारे का आयोजन एक सराहनीय कदम है और इस प्रकार के हर आयोजनों को और बढ़ावा मिलना चाहिए
. हिंदी दिवस पर ‘पखवारा’ के आयोजन हिंदी के प्रति प्रेम तथा समर्पित भाव रखने वालो ही नहीं वरन अन्य लोगो को भी इस भागती दौड़ती जिन्दगी मे कुछ लम्हे कुछ पल देता है और इंसान अपने मानव जीवन के एक और सुखद पहलु — रचनात्मकता-, के लिए भी सोचता है |
मानव तथा अन्य जीवधारियो मे प्रमुख अंतर यही है की इंसान ही धरती पर वह जीवधारी है जो सोचता है | नयी कृतियों और नयी कलात्मकता के साथ अनवरत प्रयत्नशील है |
एक किवदंती के अनुसार ब्रम्हा जी ने स्रष्टि की रचना की परन्तु यहाँ रहने वाले जीवधारी इस स्रष्टि के आनंद से अछूते रहे तब उन्होंने सरस्वती जो की ज्ञान की देवी मानी जाती है उनसे अपनी समस्या कही — तब कहा जाता है की देवी सरस्वती ने मानव के अन्दर रचनात्मकता की नीव डाली इस प्रकार संपूर्ण जीवधारियो मे मानव ही अपने विचारो को व्यक्त करने की क़ाबलियत रखता है | इस प्रकार मै यह बताना चाहती हू की खाना पीना और सोना और जिन्दा रहेना यह तो सभी जीवधारियो का गुढ़ है परन्तु मानव ही मात्र विचार प्रकट कर सकता है और इस प्रकार के पख्वारो का आयोजन आम आदमी को इसी रचनात्मकता और आनंद के लिए प्रेरित करते है |
किसी भी कार्य को एक लक्ष्य तथा मंजिल तक पहुचाने के लिए विशेषकर जिसमे आपको एक जनसमुदाय को साथ लेकर चलना है इस प्रकार के कार्यो की सफलता का श्रेय गोष्टियों तथा पख्वारो को ही जाता है| जो आम जनमानस को आपस मे जोड़ते है और हम किसी भी पैगाम को — ” हिंदी का प्रयोग और हम —” को आसानी से लोगो तक पंहुचा पाते है ज्यादा न सही कम से कम उन्हें उन विषयों पर सोचने को विवश तो कर सकते है |
यदि हम इतिहास पर नज़र डाले तो किसी भी मानव सभ्यता को समझने के लिए उस काल के विकास के दौर को जानने का एक मात्र जरिया उस काल मे प्रयुक्त भाषा मे लिखा साहित्य | आप सभी इस बात से जरुर सहमत होंगे इस तरह के पखवारे बुधिजीवियो को तथा आम आदमी को भी लेखन या विचारो के आदान प्रदान से अपनी सभ्यता को सहेजने मे प्रेरित करते है |
इस तरह की गोष्टिया चाहे वो मात्र २ घटो की ही क्यों न हो तब भी समाज की विकासधारा पर अपना एक प्रभाव डालती है और जब इस तरह के आयोजन एक हफ्ते या एक महीने या कुछ काल तक आयोजित होते है तो ये हर वर्ग को अपने साथ जोड़ते है जिनके पास समय की कमी भी होती है वो भी किसी न किसी समय इन आयोजनों के साथ कुछ पल के लिए जुड़ते है और एक बड़ा वर्ग इससे लाभान्वित होता है |
ये आयोजन युवा पीढ़ी को एक नयी उर्जा देते है| युवा पीढ़ी अपनी नयी सोच तथा नयी क्रिया शीलता के साथ हिंदी साहित्य को नया आयाम देने को प्रेरित होती है | इन आयोजनों के द्वारा जाने अनजाने एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक शब्दकोष विचार ,साहित्य ,संचित ज्ञान विज्ञानं स्थान्तरित होता है, और सभ्यता का प्रवाह नए आयाम तय करता है | इस प्रकार के पखवारे हमारे समाज को हिंदी भाषा के रस और साहित्य से परिचित कराते है और हमे अपनी भाषा से प्रेम करना सिखाता है |
हिंदी दिवस पर वैचारिक गोष्टिया के माध्यम से हम उन मूर्धन्य तथा बुधिजिवियो को सम्मानित भी करते है जो अपनी लेखनी के माध्यम से अनवरत हिंदी साहित्य को संजो ने तथा सहेजने मे अपने जीवन का योगदान देते है इस बात की महत्ता को स्वीकारते हुए भारत ही नहीं वरन विश्व की सरकारे भी भाषा के विकास मे योगदान देने वाले साहित्यकारों को प्रेरित करने के लिए पुरुस्कार भी देती है |
इन आयुजनो के दूरगामी तथा सशक्त प्रभवो को देखते हुए आज दूरदर्शन आदि पर भी वैचारिक गोष्टियो का आयोजन हो रहा है जिसमे समाज मे नित नए परिवर्तनो पर चर्चा होती है ये सभी पखवारे हिंदी भाषा के विकास मे एहम भूमिका निभा रहे है |
अंतत: यही कहना चाहती हू मुझे जागरण जंक्शन के इस मंच से जुड़ कर गर्व हो रहा है तथा उनके इस कदम पर उनकी प्रशंसा करना चाहती हू की इस माध्यम से उन्होंने सभी वर्गों सभी प्रान्तों यहाँ तक की महिलाओ तक को एक मंच प्रदान किया और इस के द्वारा अनेक लोगो को लेखनी के लिए प्रेरित किया और इस तरह के आयोजनों को और बढ़ावा मिलना चाहिए |
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