संबोधन
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संदीप कुमार मिश्र: मित्रों समय के साथ त्योहार भी अब नए-नए रुप रंग में मनाए जाने लगे। पहले दीवाली के त्योहार की तैयारीयां महिनो पहले शुरु हो जाती थी।गोलू जहां अपने दीवालीघर को बनाने के लिए मिट्टी इकट्ठा करता था तो वहीं गुडिया अपनी मां का धर की साफ सफाई में हाथ बंटाती थी।मां भी गुडिया के इस बदलाव पर समझ जाती थी कि गुजिया क्या चाह रही है READ MORE
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