संबोधन
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संदीप कुमार मिश्र: आखिरकार आतंक का पर्याय रहा छोटा राजन पुलिस के हत्थे चढ़ ही गया।किसी ने सच ही कहा है कि कानुन से कोई भाग तो सकता है लेकिन बच नहीं सकता,और छोटा राजन के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ।बड़ा सवाल ये उठता है कि मुंबई की संकरी गलियों में पैदा हुआ एक साधारण बालक,मजदूर का बेटा डान बना कैसे..?कहते हैं अंत भला तो सब भला,खैर इंडोनेशिया से पुलिस की गिरफ्त में आए छोटा राजन से अब उम्मीद की जा सकती है कि गुनाह की दुनिया के उन तमाम काले चेहरों से नकाब हटाने में मदद मिलेगी जिनकी सिक्का मायानगरी पर चलता है। READ MORE
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