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दुनिया में जिस तेजी से परिवर्तन हो रहा है उसमें व्यक्ति का एक-दूसरे से संपर्क बहुत आसान हो गया है,लेकिन इसका जो सबसे आश्चर्य जनक परिवर्तन हुआ है वो यह है की यह व्यक्ति को खुद में ही बहुत अकेला कर दिया है | तकनीक की अंधी दौड़ ने हमें दुनियां से तो बहुत बहुत करीब कर दिया ,लेकिन हमारे अपनों से ही हमें दूर कर दिया | हम भीड़ के बीच अकेले रह गए ,जहां टी.वी है, कंप्यूटर है ,मोबाइल है,आई पैड है और भी न जाने कितने अनगिनत तकनीकी यंत्र है फिर भी हम अंदर से अशांत और खुद में खोये बस ज़िंदगी को जिये जा रहे हैं |
आज जब गौर से देखें तो पाएंगे कि हर व्यक्ति के हाथों में मोबाइल है ,वो भी एक नहीं उसकी संख्या दो-तीन भी हो सकती है ,क्योंकि इसी के भरोसे तो आज आम जन की ज़िंदगी चलायमान है | जो आनंद या खुशी हम एक-दूसरे से बात करके पाते थे अब वो खुशी हम मोबाइल में तलाशते हैं | अगर हम ये कहें कि मोबाइल आज का सम्राट है तो कोई अतिश्योक्ती नहीं होगी ,क्योंकि इसका कहर हमारे दिलो-दिमाग पर इस कदर छाया है कि अगर हमें एक घंटे भी इससे दूर रहना पड़े तो यह हमें गवारा नहीं | इसके जरिये बाज़ार हमारे दिमाग पर हावी है,हम हर वक्त उसमें कुछ नया तलाशते रहते हैं और मन ही मन खुद को स्मार्ट समझते हैं कि हमने अपना समय बचा लिया जिससे हमें अनावश्यक की भीड़ से मुक्ति मिल गई और हमारा शॉपिंग भी हो गया | पर इसके दूरगामी परिणाम बड़े भयंकर हैं ,हम सुख भोगने के आदि हो जाते हैं और दिन ब दिन हम खुद को खुद में समेटे जा रहे हैं क्योंकि जब हम बाज़ार जाते तो हमारे शरीर की सारी अंगों का हिलना-डुलना हो जाता है साथ ही हमें एक-दूसरे से मिलने-मिलाने के अवसर भी प्राप्त होते हैं | मोबाइल या ऑन-लाइन शॉपिंग बेशक सुविधाजनक है,पर धीरे-धीरे यह हमें अपना गुलाम बना रही है | जितनी सुविधा हमें मिल रही है उससे कहीं ज्यादा हमसे छिन रही है,जैसे अपनी मानसिक शांति,अपने सगे- संबंधी ,अपने परिवार, अपने मित्र -परिवार और साथ ही अपने कीमती धन भी | क्योंकि हम ऑनलाइन शॉपिंग के लुभावने छूट,मुफ्त की स्कीम आदि में इस कदर फंस जाते हैं कि हमारे जमा पैसे का एक बहुत बड़ा हिस्सा बेकार की चीजों में बरबाद हो जाता है | देखा जाए तो,मोबाइल के युग में हम खुद से नियंत्रण खो बैठे हैं ,और बेलगाम और बेधड़क ज़िंदगी जी रहें हैं | कुछ भी सोचने-समझने की हालत में नहीं रह गए हैं ,बल्कि जो भी मुंह में आता है झट उगल देते हैं ,उसका नतीजा यह होता है कि हम अपने रिश्तों की गरमाहट की तिलांजलि दे देते हैं | आज तो आलम यह है कि हम अपना अधिक समय मोबाइल के इस्तेमाल में बिताते हैं ,और खुद को इस्तेमाल करवा रहे होते हैं |बिना उसके अब जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते ,मोबाइल और कंप्यूटर के एक क्लिक से हर तरह की सुचनाएं आपकी मुट्ठी में है | पर इन सुविधाओं का एक सबसे बड़ा जो खतरा सामने आ रहा है, वो है ,,हम आभासी दुनियां के गिरफ्त में पूरी तरह से जकड़ गए हैं और वास्तविक दुनियां हमसे कहीं दूर छूटती जा रही है | मोबाइल और कंप्यूटर से जुड़े रहने का अपना एक अलग आनंद है ,लेकिन इस आनंद में हम अपनों से बहुत दूर हो गए हैं ,जिसकी भरपाई मुश्किल है | अभी निकट भविष्य में इसका दायरा और व्यापक होने वाला है ,जिसका रोमांच तो सच में अद्भुत होगा ,पर खतरों से भी इंकार नहीं किया जा सकता है |
संगीता सिंह ‘भावना’
वाराणसी
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