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”ग्लैमर की चकाचौंध”

sangeeta singh bhavna
sangeeta singh bhavna
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आज चहुँओर ग्लैमर की चकाचौंध है | हर तरफ ,हर क्षेत्र चमक-दमक की आंधी से चकाचौंध है | यह चमकीली जिंदगी की तेज रफ़्तार की कहानी है ,जिसमें सबकुछ एकाएक हासिल होता है और दिलोदिमाग पर एक जादुई नशे के समान असर डालता है | पर ग्लैमर वह चमकीली दुनिया है या यूँ कहें कि वह जादुई नगरी है जहाँ जाने का रास्ता तो आसान है पर वापसी का कोई भरोसा नहीं है |ग्लैमर की दुनिया में पहुंचा इन्सान खुद को शहंशाह समझता है पर जब होश संभालता है तो मुट्ठी खाली की खाली रह जाती है | ग्लैमर एक चकाचौंध है और चकाचौंध हमेशा बनी नहीं रहती उसका अंत तय है | चमकीली रौशनी दूर से तो बहुत अच्छी लगती है पर पास जाने पर सब साफ व् स्पष्ट दृष्टिगत होता है | हम जितना जमीन से जुड़े रहते है ,हम उतना ही यथार्थ के समकक्ष होते हैं | जीवन सिर्फ ग्लैमर में ही नहीं वरन जीवन के उतार -चढाव ,सुख-दुःख सबसे होकर गुजरती है और तभी हम सही अर्थों में समग्रता को हासिल करते हैं | हम अगर जीवन को सिर्फ चमक-दमक से जोड़कर जीना चाहें तो हम जीवन के अधूरेपन को ही देख पाएंगे , इस हालत में हम जीवन की समग्रता से से वंचित रह जायेंगे | माना की ग्लैमर की दुनिया बहुत बड़ी एवं व्यापक है पर यथार्थ की दुनिया इससे कमतर तो नहीं | असल में ग्लैमर वह चुम्बकीय आकर्षण है कि वहां हर कोई खिंचा चला जाता है | ग्लैमर की दुनिया हमें कई सतरंगी सपने दिखाता है ……काश ..! हम भी लोगों के बिच जाने जाते , हमारे पीछे भी दुनिया की भीड़ होती ,हम भी उन दौलतमंदों की श्रेणी में होते आदि-आदि | ग्लैमर की दुनिया का आकर्षण अनंत है और जो भी इस मायाजाल में फंसता है वह फंसता चला जाता है क्योंकि यह मदहोशी ही अजीब है | आज के युवा वर्ग के लिए यह ग्लैमर की दुनिया ‘धरती का स्वर्ग’ है | यहीं से तो इनके सपने को उड़ान मिलती है , कामयाबी की बुलंदी यहीं से तो परवान चढ़ती हैं | पत्र-पत्रिकाओं के कवर पेज पर छा कर अपनी छवि को निहारना ,टी.वी के स्क्रीन पर नजर आना यही तो आज हर युवा का सपना है | ग्लैमर की दुनिया का कोई अंत नहीं है , पर वह जितनी तेजी से चमकता है उतनी ही तेजी से बुझता भी है | जहाँ तक मेरा अनुभव है कि ग्लैमर की इस अँधा-धुंध दौड़ में स्त्रीयां ज्यादा फंसती है , पुरुष कम फंसते हैं क्योंकि उन्हें दिल का व्यापार करना आता है ,पर स्त्री इस दिल के व्यापार में कमजोर होती हैं और वह हादसे का शिकार ज्यादा होती हैं | आज लड़कियां जो एक ही झटके में फर्श से अर्श पर पहुँच जाती हैं वह एक बार अपने खुले दिमाग से यह नहीं सोचती कि क्या यह सब इतना आसान है और अगर है तो इतना जल्दी क्यों ……? ??
जिंदगी एक अनबूझ पहेली है , इसे समझना थोडा मुश्किल है | इसके उजालों में अँधेरा भी लिप्त रहता है , जो चमकता है उसका बुझना तय है | पर थोड़े गौर से देखें तो श्रेष्ठ कर्म की चमक कभी भी मलिन नहीं होती ,इसका ग्लैमर कभी कम नहीं होता , इसमें कोई ट्रेजडी नहीं होती और न ही कुछ खोने का भय होता है | यह तो हमेशा चरैवती-चरैवती बहे चला जाता है और मानवीय मूल्यों के गुणों से हमेशा जीवन पथ को प्रकाशित करता है |

संगीता सिंह ‘भावना’
सह-संपादिका–त्रैमासिक पत्रिका
‘ करुणावती साहित्य धारा ( वाराणसी )

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