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लगभग पिछले पाँच वर्षो में देश के हालात बहुत बदले है या यूँ कहे नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से ही देश ने करवट लेना शुरू किया है। हालात बदलने के साथ ही साथ तमाम तरह की कठिनाईयां भी उत्पन्न हुई है ज़ाहिर है परिवर्तन कोइ नहीं चाहता है चौतरफ़ा विरोध वर्तमान सरकार को झेलना पड़ा और यह सिलसिला अभी भी चल रहा है।
सरकार को सब से ज्यादा अस्थिर करने का षड़यंत्र कश्मीर घाटी के अलगाववादी नेताओं ने पकिस्तान से मिल कर किया जिनका साथ राजनीतिक कुछ पार्टियों ने दिया है जो जगज़ाहिर है। सब को पता है कि किस तरफ से पत्थर बाज़ो से निपटते -निपटते उरी , पठानकोठ जैसे आतंकवादी हमले हमने झेले और अब इतना बड़ा हमला दिल दहल चुका है।
घटनाक्रम सभी अखबारों और चैनलों की सुर्ख़ियों में है फिर भी थोड़ा ज़िक्र किए देता हूँ , जम्मू से श्रीनगर जा रही सीआरपीएफ की 78 गाड़ियों के काफिले पर कश्मीर के पुलवामा में आतंकियों ने फिदायीन हमले की ख़बर सुनते ही और घटना स्थल की तस्वीरें देख कर हमारी रूह तक काँप उठी। जम्मू-कश्मीर सरकार के सलाहकार के विजयकुमार ने बताया कि हमले में 40 जवान शहीद हो गए, कई घायल हैं। इस काफिले में 2547 जवान शामिल थे। जैश-ए-मोहम्मद ने हमले की जिम्मेदारी ली है। यह विस्फोटकों से भरी गाड़ी के जरिए अब तक का सबसे बड़ा हमला है। इससे पहले अक्टूबर 2001 में कश्मीर विधानसभा पर भी इसी तरह का हमला हुआ था।
बड़ा की निंदनीय अकल्पनीय घटना है आखिर कब तक हम यैसे ही अपने जवानों को शहीद होते देखते रहेंगे या फिर हमें और शहादत उठानी होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस हमले की निंदा करते हुए कहा है कि -”पुलवामा में सीआरपीएफ जवानों पर हमला घृणित है। जवानों की शहादत बेकार नहीं जाएगी। पूरा देश जवानों के परिवार के साथ खड़ा है। सही बात है मोदी जी पूरा देश जवानों के परिवार के साथ खड़ा है मगर अब खड़े होने से काम नहीं चलेगा तुरंत ही भारत सरकार को कड़ी कार्यवाही करते हुए ज़वाब देना होगा और कार्यवाही यैसी -वैसी नहीं सैन्य कार्यवाही हो, पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादियों तथा पकिस्तान में बैठे हाफ़िज सईद की रुख़ तक काँप जाए , देश की जनता का भी यही मूड है।
मगर क्या यह इतना आसान है ? नहीं यदि देखा जाए तो पाक़िस्तान का हिमायती चाईना पाकिस्तान और भारत का युद्ध चाहता है कारण भारत की तेजी से उभर रही अर्ध व्यवस्था को वह ठेस पहुंचना चाहता है। लेक़िन ज़वाब तो जरुरी है देखते है मोदी इस हमले का ज़वाब किस तरह से देते है आज पूरा देश उनकी तरफ आँख उठाए देख रहा है।
यदि हम पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद विरमानी जी की भविष्यवाणी पर गौर करे तो उनका कहना था कि 2035 तक भारत एक बड़ी आर्थिक ताकत होगा. उन्होंने कहा कि यदि इतिहास देखा जाए तो प्रत्येक सरकार चुनावी वर्ष में लोकलुभावन खर्च करती है. देखना होगा कि यह सरकार इसे सीमित रख पाती है या नहीं. नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने हाल में कहा था कि चालू वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर कम से कम 7.5 प्रतिशत रहेगी।
यही वो कारण है कि चाईना जैसे घाती देश कभी नहीं चाहेगा कि भारत विश्वगुरु बन कर उभरे। ख़ैर युद्ध जैसे हालात पैदा करना चाईना की मज़बूरी है पकिस्तान एक कंगाल देश है उसके पास खोने के लिए क्या है सोचिए यदि भारत और पकिस्तान का युद्ध हुवा तो नुकशान किसका ज्यादा होगा? भारत को कूटनीति का सहारा ले कर इस हमले का ज़वाब देना होगा। सन १०४ में जब प्रधानमंत्री मोदी बने थे तो उस समय देश की अंतरिम सुरक्षा व्यवस्था की हालत बहुत ही पतली थी ये बात सभी बड़े – बड़े बुद्धिजीवी जानते है कांग्रेस के सत्ता काल के समय इन समस्याओं पर पूरी रिपोर्ट एजेंसियों द्वारा दी गई थी मगर पूर्व सरकार की उदासीनता के चलते वह टेबल पर ही धूल फाख्ता रहा , मोदी के आते ही उन रिपोर्ट्स पर ध्यान दिया गया , और यदि आप को याद हो कि प्रधानमंत्री बनते ही नरेंद्र मोदी अपने पड़ोसी देशो में जा कर एक रणनीति तय की और देश की सीमावर्ती देशो के साथ भारत का मधुर सम्बन्ध स्थापित किया।
कारण क्या रहे होंगे सोचने – समझने का विषय है वर्षो से बिगड़े हालत यकायक काबू में नहीं आते है आज जो देश की स्तिथि है उसकी १०० प्रतिशत जिम्मेदार मनमोहन सरकार है। मैं यहाँ कोई एनडीए सरकार की तारीफ नहीं कर रहा हूँ जो सच है वही लिख रहा हूँ।
मैं यहाँ पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल शंकर प्रसाद जी का एक कोड का उल्लेख करूँगा उन्होंने इस सन्दर्भ में कहा था कि ”भारत में आतंकवाद के लगातार ‘एक्सपोर्ट’ और कश्मीरी अलगाववाद को बढ़ावा देने की वजह से हालात इस क़दर ख़राब हो चुके हैं कि पाकिस्तान से हमारी अच्छी ख़ासी दुश्मनी चल रही है. जनरल प्रसाद ने साफ़ लफ़्जो में कहा कि चीन ने पाकिस्तान में बहुत बड़ा निवेश कर रखा है। यदि भारत -पाक का युद्ध हुवा तो चीन पकिस्तान का साथ देगा।
निवेश के अलावा चीन पाकिस्तान की राजनियक मामलों में भी मदद करता रहा है. जैसे- आतंकवाद के मामलों पर भारत के कई प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र में चीन की वजह से पारित नहीं हो पाए.
मगर युद्ध की स्थिति बनने पर भारत की तैयारी पर जनरल प्रसाद ने ये भी कहा था कि -” भारत तैयार तो है लेकिन लगभग 20 सालों से सेना में आधुनिकीकरण का काम रुका रहा है. यैसे बहुत से गंभीर हालात है देश के सामने। मगर इस चार वर्षो में मौजूदा सरकार ने हालात पर काबू पाने का भरसक प्रयास किया है।
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