भारत का ईतिहास गवाह है सत्ता के लिए किसी भी हद तक चले जाना राजनीतिक संस्कृति का हिस्सा ही नहीं ज़रूरत भी होता है परन्तु इनसब से ऊपर राष्ट्र हीत की चिंता बहुत ही कम राजनीतिज्ञों को करते हुए देखा गया है वर्त्तमान में यही दृश्य देखने को मिलता है। अब वह दिन नहीं रहे या सिर्फ क़िताबों में या पुराने भाषणों में सुनने या देखने को मिलता है कि विपक्ष की नीतियों या वर्त्तमान सत्ताधारी सरकार की तारीफ़ कोई करे लेकिन यदा -कदा कोई तारीफ़ कर दे दो अखबारों की सुर्ख़ियों में वह छाया रहता है।
ठीक यैसे ही नेता जी यानी मुलायम सिंह ने संसद में अपने भाषण के दौरान यैसा कुछ कहा जिससे प्रधानमंत्री मोदी भी हाथ जोड़ कर उनका अभिवादन स्वीकार करते हुए मेज पर जोर से थाप मारते हुए मुस्कुरा पड़े। अपने संबोधन में मुलायम सिंह यादव ने कहा, “मेरी कामना है कि जितने माननीय सदस्य हैं, दोबारा फिर जीत जाएं. मैं ये भी चाहता हूं, हम लोग तो बहुमत से नहीं आ सकते हैं, प्रधानमंत्री जी आप फिर बने प्रधानमंत्री. हम चाहते हैं जितने सदन में बैठे हैं सब स्वस्थ रहें, सब मिलकर फिर सदन चलाएं.”
मुलायम सिंह ने कहा, “मैं प्रधानमंत्री जी को बधाई देना चाहता हूं. प्रधानमंत्री जी आपने भी सबसे मिलजुल करके और सबका काम किया है. ये सही है कि हम जब-जब मिले, किसी काम के लिए कहा तो आपने उसी वक़्त आर्डर किया. मैं आपका यहां पर आदर करता हूं, सम्मान करता हूं, कि प्रधानमंत्री जी ने सबको साथ लेकर चलने का पूरा प्रयास किया है।
मुलायम सिंह जी का यह सदन में भाषण कई मायनो में बहुत कुछ बयां करता है इसके बहुत से राजनीतिक पहलू निकाले जा सकते है लेकिन इन सब से परे उन्होंने सच का साथ देते हुए सत्ता लाभ से बहुत दूर सही बात कहते हुए एक कूटनीतिक राजनीति का जो परिचय दिया है वहा सदन में मौजूद सभी संसद और स्वेम प्रधानमंत्री भी याद रखेंगे। बगल में बैठी सोनिया गाँधी यक़ीननक असमंजस की स्तिथि में रही होंगी उन्होंने सोचा भी नहीं होगा कि मुलायम सिंह यैसे व्यक्ति की तारीफ़ में क़सीदे पढ़ेंगे जिनको हटाने के लिए सभी दाल एक हो रहे है और उनकी पार्टी रफ़ेल को महिषासुर की तरह पेश कर के प्रधानमंत्री को घेर रही है। जहाँ एक तरफ अखिलेश यादव मायावती के साथ गठबंधन कर के मोदी को हराना चाहते है उनके लिए भी यह घटना अचंभित करने वाली हो सकती है। ठीक है मुलायम और अखिलेश तथा उनकी पार्टी समाजवादी के अन्य नेताओ में भारी मतभेद हो सकते है जो समय -समय देखने और सुनने को मिलते भी है।
मैं उस मुद्दे पर बात न कर के उसदिन सदन में हुए मुलायम सिंह यादव के उस ऐतिहासिक भाषण पर ही बात करूँगा जो कई मायनो में उन राजनितिक दलों के लिए भी सिख है जो दिनरात वर्त्तमान सरकार और मोदी को कोसते रहते है -” चौकीदार चोर है , जैसे अभद्र दुष्प्रचार से वह देश ही नहीं वरन एक प्रधानमंत्री पद की गरिमा को भी ठेस पहुंचाने का काम कर रहे है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी को मुलायम से सीखना चाहिए , खैर वे क्यों सिखने लगे उन्हें तो किसी भी तरफ से प्रधानमंत्री को बदनाम करना है।
बहरहाल उस दिन अटल जी की याद सभी को आई होगी , आज बहुत जरुरत है साफ सुधरी राजनीति की देश की १२५ करोड़ की जनता सब जानती है कौन क्या कर रहा है , हम देश की जनता को ग़ुमराह नहीं कर सकते है।
अंत में मुलायम सिंह जी का अंतिम भाषण का अंश कोड कर के लेख समाप्त करूँगा – “मैं चाहता हूं, मेरी कामना है कि सदन के जितने माननीय सदस्य हैं दोबारा फिर से जीत जाएं, मेरी ये भी कामना है कि आप फिर से प्रधानमंत्री बनें.”
देखा जाए तो समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश में अहम राजनीतिक दल है और वह बहुजन समाज पार्टी के साथ मिलकर नरेंद्र मोदी की भाजपा के ख़िलाफ़ चुनाव लड़ने जा रही है. ऐसे में मुलायम के इस बयान से उनकी पार्टी में उथल -पुथल मचना लाज़मी है।
लेकिन मुलायम सिंह ने सदन में अटल बिहारी वाजपेयी की राजनीति का ये अच्छा परिचय दिया है।
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