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मोदी की राजनीति आचार्य चाणक्य से कम नहीं

Sanjay Amaan
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भारत के राजनीतिक इतिहास में आचार्य चाणक्य का नाम स्वर्णिम अक्षरों में अंकित है। चाणक्य एक कुशल राजनीतिज्ञ ही नहीं, शिक्षक, धर्माचार्य, लेखक और अर्थशास्त्री भी थे। मगर आचार्य चाणक्य का जीवन बहुत ही रहस्यों से भरा हुआ है। चणक का कटा हुआ सिर राजधानी के चौराहे पर टांग दिया गया। पिता के कटे हुए सिर को देखकर कौटिल्य (चाणक्य) की आंखों से आंसू टपक रहे थे। उस वक्त चाणक्य की आयु 14 वर्ष थी। रात के अंधेरे में उसने बांस पर टंगे अपने पिता के सिर को धीरे-धीरे नीचे उतारा और एक कपड़े में लपेटा। अकेले पुत्र ने पिता का दाह-संस्कार किया। तब कौटिल्य ने गंगा का जल हाथ में लेकर शपथ ली- ‘हे गंगे, जब तक हत्यारे धनानंद से अपने पिता की हत्या का प्रतिशोध नहीं लूंगा तब तक पकाई हुई कोई वस्तु नहीं खाऊंगा। जब तक महामात्य के रक्त से अपने बाल नहीं रंग लूंगा तब तक यह शिखा खुली ही रखूंगा। मेरे पिता का तर्पण तभी पूर्ण होगा, जब तक कि हत्यारे धनानंद का रक्त पिता की राख पर नहीं चढ़ेगा…। हे यमराज! धनानंद का नाम तुम अपने लेखे से काट दो।
उसकी मृत्यु का लेख अब मैं ही लिखूंगा।’

 

 

यहाँ भी माँ गंगा है , क्या आप को लगता नहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी जीवन रहस्यों से भरा पड़ा है यक़ीनन है , कुंभ स्नान के बाद पकिस्तान पर हमला और गंगा की सफाई करने वाले सफाई कर्मियों का जल से पैर धोना उन्हें सम्मानित करना ये कोई चाणक्य ही सोच सकता है।
भारत के ईतिहास में यैसा पहली बार हुआ जब किसी प्रधानमन्त्री ने इतना बड़ा सम्मान किसी सफाई कर्मी को दिया गया हो। ये भारत के गौरव की बात है , धर्म जाती पंत से उठ कर समरसता की बात है। हमारे समाज में जो उच नीच की खाई है उसे पाटने का काम है। इस राष्ट्र के विकास में राम -रहीम -रहमान ,बौद्ध , तमाम हर उस व्यक्ति का हाथ है जो इस देश में रहता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस ऐतिहासिक कदम को कई मायनों में लिया जा सकता है। बहुजन समाजवादी पार्टी की मुखिया मायावती , समाजवादी पार्टी के अखिलेश सिंह और तमाम वे लोग जो दलित राजनीति करते है उनसभी के माथे पर बल तो जरूर पड़ा ही होगा।
एक तीर से कई निशाने , बेशक़ एक चाणक्य रूपी राजनीतिज्ञ ही यैसी सोच रख सकता है। मगर मैं इस मामले में प्रधानमंत्री मोदी की सोच को किसी राजनीतिक वोट बैंक के नज़रिये से नहीं देख रहा हूँ। इस देश में निचले -से निचले स्तर के लोगो को भी पूरा -पूरा सम्मान मिलना ही चाहिए। गंगा की सफाई करने वाले सभी सफाई कर्मी इस के हक़दार है। जो माँ गंगा सब के पाप धोती है उसको साफ़ करना यक़ीनन बड़ा काम है और प्रधानमंत्री ने उनके पैर धो कर उन्हें उचित सम्मान दिया है। साथ ही साथ पकिस्तान पर हवाई हमला कर के शहीद वीर सैनिको को भी सम्मान दिया है पकिस्तान आज इस हमले से बेचैन है और उनके कारिंदे गिड़गिड़ा रहे है।
कोई इसमें गलत नहीं कि आज कि आज के उभरते नए भारत के मोदी जी आचार्य चाणक्य है उनका हर मास्टर स्ट्रोक आज के परिवेश में राजनीति के शतरंज की बिसात पर खरा उतर रहा है। जिस तरह से आचार्य चाणक्य ने न सिर्फ अपनी प्रतिज्ञा पूरी की बल्कि उन्होंने एक साधारण सी महिला मुरा के पुत्र को मगध की गद्दी पर बैठा दिया था ठीक उसी तरफ से कुम्भ स्नान के बाद मोदी ने पकिस्तान को दो राहे पर ला कर खड़ा कर दिया है अब पकिस्तान पक्षताह रहा है कि उसने किस से पंगा ले लिया है। अंतर्राष्ट्रीय मंचो पर भी पकिस्तान को करारा ज़वाब मिल रहा है। चाणक्य रूपी प्रधानमंत्री मोदी ने २०१९ लोकसभा चुनाव की राह भी अपने लिए खोल के आँख दिया है।

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