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स्वामी रामदेव जी का आन्दोलन !

sanjaykablog
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बहुत से लोग कहते हैं बाबा रामदेव रामलीला मैदान से भाग क्यों गए…..एक आन्दोलन का नायक उस आन्दोलन को छोड़ कर क्यों भाग गया? अगर बाबा रामदेव जी को दिल्ली पुलिस मारने आई थी तो देश के लिए जान देने में वो पीछे क्यों हट गए??

पहली बात ये कि चाणक्य ने कहा था कि लड़ाई मर कर नहीं लड़ कर जीती जाती है, और देश के लिए जान देने का भी एक समय होता है. अगर बाबा जी को दिल्ली पुलिस ने मार दिया होता तो क्या आज एक देशव्यापी आन्दोलन काले धन के खिलाफ खड़ा हुआ है वो होता? कभी नहीं, क्योंकि जब अन्ना हजारे जी के इतने संगठित आन्दोलन को केंद्र की कांग्रेस सरकार दबाने में सफल हो गई तो बिना बाबा रामदेव जी के इस आन्दोलन का क्या हाल होता.

दूसरी बात ये कि जो बाबा रामदेव जी कि नीयत पर ऊँगली उठाते हुए कहते हैं कि उन्होंने इतने कम समय में इतना बड़ा साम्राज्य खड़ा कर लिया है, क्या वो जानते हैं कि इस पूरे ट्रस्ट में एक भी पैसा बाबा रामदेव के नाम नहीं है और नियमों के मुताबिक इस ट्रस्ट का मुख्य ट्रस्टी उस जिले का जिलाधीश होता है और उसकी आज्ञा के बिना एक भी पैसा खर्च नहीं किया जा सकता. बाबा जी के खिलाफ केन्द्र सरकार की संस्था सी.बी.आई द्वारा की गई जाँच में कुछ भी गलत साबित नहीं हुआ और बालकृष्ण जी के मामले में तो नैनीताल हाईकोर्ट ने सी.बी.आई. को फटकार भी लगाई है.

ये स्वामी रामदेव जी की मेहनत और लगन का ही परिणाम है जो कि उन्होंने भारत में योग को इन  ऊचाईयों तक पहुचाया है, नहीं तो आज योग भी हम किसी विदेशी कम्पनी से सीख रहे होते. बाबा जी की आलोचना करने वाले पहले इस बात का जवाब दें कि क्या कोई ऐसा व्यक्ति है जो बिना एक भी पैसा लिए गांव गांव में योग के करोड़ो शिक्षक बना दे?? आज अगर घर घर में लोग अनुलोम विलोम  और कपाल भाती कर रहे हैं तो ये केवल बाबा रामदेव जी के अथक प्रयास का ही परिणाम है, इस बात से कोई भी इनकार नहीं कर सकता.

तीसरी बात जो लोग कहते हैं कि बाबा जी तो संत हैं उन्हें योग छोड़ कर काले धन और भर्ष्टाचार के खिलाफ आन्दोलन करने की क्या आवश्यकता है? अरे भारत देश सदा से संतो के सानिध्य में ही चला है संतो ने ही सदा शासकों का मार्गदर्शन किया है, चाणक्य के बिना चंद्रगुप्त क्या विजय प्राप्त कर सकते थे. और जब शासक निरंकुश हो जाए और जनता त्रस्त तब संतो को आन्दोलन करना ही पड़ता है. और अगर सचिन को सांसद बनाने में और शरद पवार को क्रिकेट संस्था का अध्यक्ष बनाने में कोई आपत्ति नहीं तो फिर बाबाजी ने तो सिर्फ आन्दोलन करके देश को जगाने का काम कर रहे हैं.

रामदेव जी देशभक्ति का काम कर रहे है, और अगर वो कल  कुछ ऐसा करते है जो देश के लोगों की नज़र में गलत होगा तो यही लोग  जो आज उनका समर्थन कर रहे हैं,उनका विरोध भी करेंगे, क्योंकि इतिहास सदा साक्षी रहा है कि आन्दोलन बड़ा होता है, उसे खड़ा करने वाला नहीं. में आपको ये नहीं कहता कि बाबा रामदेव जी के अंधभक्त बन जाओ पर अगर वो एक अच्छा कार्य कर रहे है तो हमें उनका सहयोग करना चाहिए और देश के प्रति अपना फ़र्ज़ निभाना चाहिए.

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