Menu
blogid : 12043 postid : 1124253

तेल कहे मोदी से, तू क्यों मांगे मोर….!!!

सत्यानाशी
सत्यानाशी
  • 23 Posts
  • 5 Comments

जून 2014 में अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल की कीमत थी 105 डॉलर प्रति बैरल, जो आज दिसम्बर 2015 में घटकर 34.39 डॉलर प्रति बैरल रह गयी है. डेढ़ सालों में अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार के कच्चे तेल की कीमतों में 67.25% की गिरावट आई है.

जून 2014 में देश में पेट्रोल की कीमत थी 71.51 रूपये प्रति लीटर तथा डीजल की कीमत थी 57.28 रूपये प्रति लीटर. इन कीमतों में सभी प्रकार के सरकारी टैक्स मिले हुए थे.

यदि देश में बिकने वाली पेट्रोल-डीजल की कीमतों का सीधा संबंध अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार से है, तो उक्त कीमतों में 67.25% की गिरावट आनी चाहिए थी. …और तब पेट्रोल की कीमत होती 23.40 रूपये और डीजल की 18.76 रूपये प्रति लीटर — सभी प्रकार के टैक्सों को मिलाकर.

लेकिन वास्तव में आज पेट्रोल की कीमत है 60.48 रूपये और डीजल की 46.55 रूपये प्रति लीटर — अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार पर आधारित कीमतों की गणना से क्रमशः 2.6 और 2.5 गुना. इसका एकमात्र कारण यही है कि अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल की कीमत में गिरावट होते ही सरकार ने एक बार फिर पेट्रोल-डीजल पर सरकारी टैक्स बढ़ा दिया है. अब आम जनता पेट्रोल पर प्रति लीटर 19.36 रूपये और डीजल पर 11.83 रूपये प्रति लीटर उत्पाद शुल्क चुका रही है.
फेंकू महाराज का तर्क है कि उत्पाद शुल्क बढाकर वह बजट घाटे की भरपाई करेगी, जबकि वास्तविकता यह है कि यह बजट घाटा इसलिए है कि हर साल पूंजीपतियों को 5-6 लाख करोड़ रुपयों की छूट करों में दी जा रही है.

अब कांग्रेस की तरह ही आरएसएस-भाजपा सरकार की नीति भी स्पष्ट है — आम जनता को निचोड़कर पूंजीपतियों की तिजोरियों को भरो. यही कारण है कि मोदी के डेढ़ साल के राज में अदानी की संपत्ति तो डेढ़ गुना हो गई, लेकिन आम जनता और कंगाल हो गई.

ये वे धनकुबेर हैं, जो न तेल का उत्पादन करते हैं और न ही खपत. वे केवल तेल से खेलते है और मालामाल हो रहे हैं.

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply