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मानुष को बेटा, गाय को बेटी

sanjay
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फणीश्वरनाथ रेणु ने अपनी एक कृति में ग्रामीण अंचल की कुरीतियों पर प्रकाश डालते हुए एक महिला की गुहार लिखी है-हे छठी मैया, मानुष को बेटा और गाय-भैंस को बेटी दो। शायद, जहां लाभ की संभावना होती है, वहां लोग ना तो बेटियों को अपनाते हैं और ना ही बैल या पाड़े को। एक सच्चा वाकया है, शाम घिर आई थी। हटिया से सौदा लेकर तीन महिलाएं आपस में बतियाते लौट रही थी। पगडंडी पर पहुंचने की पूर्व इन महिलाओं को पुलिया पार करनी थी। पुलिया पर पहुंचते इन महिलाओं को केहू-केहू की आवाज सुनाई पड़ी। आवाज सुनकर महिलाओं के कदम थम गए। पुलिया के पास झाड़ी में चिथड़े में लिपटी बच्ची रो रही थी। बच्ची के इर्द-गिर्द कौओं का झुंड देख महिलाओं का कलेजा कांप उठा। बढ़ते कदम रूक गए। तीनों महिलाएं पशोपेश में पढ़ गई। तीनों इस सोच में पड़ गई कि क्या करें न करें। ममता से भरी एक औरत ने उस नन्ही जान को उठाकर कलेजे से लगा लिया। गोद का अहसास पाते ही रोने की आवाज थम गई। कोसते हुए आगे बढ़ गईं। … किस कठकलेजी ने फेंकी होगी,इस नन्हीं जान को। पापिन को कड़े पड़ेगा। कोसते हुए गांव पहुंच गई। पूरे गांव में हल्ला पड़ गया,बुधवा की जनानी ने ने एक फेंकी हुई बच्ची को उठाया है। सबके-सब सांसत में पढ़ गए। इस बच्ची का क्या किया जाए। बुधवा के घर के आगे भीड़ लग गई। गांव के परमेश्वर चाचा भी वहां आ गए। चाचा ने दरियादिली दिखाई। नन्हीं जान को अपने घर ले आए। चाचा के इस हरकत पर चाची भवक उठी। फिर चाचा ने बहू को बुला कर समझाया। बिटिया इसे संभाल। यह तेरी ही जात की है। इसे संभालने का जिम्मा तुम्हीं पर है। बहू ने जिम्मा तो ले लिया। लेकिन सोचने लगी,ये बच्चियां जन्म ही क्यों लेती है भगवान। भगवान बिटिया बनाने वाली फैक्ट्री बंद ही क्यों नहीं कर देते। यदि बेटियां आएगी कोख में तो इसी तरह पुलिया और झाडिय़ों में फेंक दी जाएगी। इससे तो भला यह है कि कोई अगले जनम में बिटिया ने जन्म ले। इस कुंद मानसिकता के कारण कन्या भ्रण हत्या की जा रही है। आने वाले दिनों में मां,भाभी,बहन कहकर पुकारने वाले को लाले पड़ जाएंगे।
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केस स्टडी
कटिहार के रौतारा में कुछ दिनों पूर्व किसी ने चाय दुकान पर बच्ची को एक डब्बे में बंद कर छोड़ दिया था। अल सुबह गांव के लोगों को पता चला तो उस बच्ची को गांव की एक महिला ने संभाला। फिर चाइल्ड हेल्प लाइन के हवाले किया गया।
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केस स्टडी
कटिहार के ही फलका प्रखंड में कुछ लोगों ने एक बच्ची को झोले में बंद कर पुल के नीचे फेंक दिया। रास्ते से गुजर रही कुछ महिलाओं की नजर उस बच्ची पर पड़ी। महिलाओं ने इस नन्हीं जान को अपने कलेजे से लगा लिया। पुलिस को सूचना दी गई। पुलिस आई। बच्ची को अपने साथ ले गई। फिर उसे चाइल्ड हेल्प लाइन के हवाले किया गया।
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केस स्टडी
भागलपुर प्रखंड के सुल्तानगंज स्थिति अजगैबीनाथ मंदिर रोड में एक बच्ची फेंकी मिल। आस-पास के लोग जुट गए। इसी शहर के गोपाल रोड निवासी आशीष मिश्रा की पत्नी उर्वशी देवी ने थाना में आवेदन देकर बच्ची को गोद ले लिया।
bitia

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