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गांवों में कम, शहरों में अधिक हो रहे बाल विवाह

sanjay
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झिलिया कोलकाता में रहती है। उसके मां-बाप वहीं मजदूरी करते हैं। उसकी चचेरी बहन मोना गांव में रहती है। मोना आज आठवीं कक्षा में पढ़ रही है और रोज स्कूल जाती है। वहीं झिलिया की दो वर्ष पूर्व शादी कर दी गई। मजदूरी करने वाले उसके मां-बाप को कोलकाता में एक मजदूर लड़का मिल गया, जिससे उन्होंने झिलिया की शादी कर दी। आंकड़ों के अनुसार भी शहरों में गांवों से अधिक बाल विवाह हो रहे हैं।
भारत के सर्वोच्च बाल अधिकार समूह ‘नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन फॉर चाइल्ड राइटÓ (एनसीपीसीआर) और यूके सरकार द्वारा वित्त पोषित एजेंसी ‘यंग लाइव्स इंडियाÓ द्वारा किए गए अध्ययन की रिपोर्ट चौंकाने वाली है। रिपोर्ट के अनुसार, पिछले एक दशक से वर्ष 2011 तक देश में बाल विवाह मामलों में राष्ट्रीय रैंकिंग में जो टॉप 20 जिलों के नाम आए, उनमें से 16 जिले महाराष्ट्र से हैं। बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की घोषणा का व्यापक स्वागत हो रहा है। लोगों ने जहां-तहां बाल विवाह को रोकने की तैयारी शुरू कर दी है। भागलपुर ,सहरसा, कटिहार और लखीसराय में तो बाल विवाह को लेकर मामला भी दर्ज किया गया। स्कूलों और कॉलेजों में भी इस कुरीति का समाप्त करने के लिए तरह-तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। सरकारी स्तर पर जिम्मेदार लोगों में भी जागरूकता आई है। प्रति व्यक्ति आय के अनुसार, भारत के नौंवे सबसे गरीब राज्य राजस्थान में कानून द्वारा तय आयु से पहले 10 से 17 वर्ष की आयु की लड़कियों और 10 से 20 वर्ष की आयु के लड़कों के विवाह के मामले ज्यादा देखे गए हैं। हालांकि, इस राज्य में बाल विवाह के कुल मामलों में गिरावट हुई है। लेकिन अध्ययन की रिपोर्ट कहती है कि इसके 13 जिलों में से एक रैंकिंग में शामिल है। भारत में विवाह के लिए कानूनी उम्र महिलाओं के लिए 18 और पुरुषों के लिए 21 है। जनगणना के आंकड़ों पर नए विश्लेषण के मुताबिक शहरी भारत में बाल विवाह, विशेष रूप से लड़कियों के विवाह के मामलों में वृद्धि हुई है। वहीं इस मामले में ग्रामीण क्षेत्रों में कमी देखी गई है। हालांकि इसके पीछे का तत्काल कारण स्पष्ट नहीं हैं, लेकिन पितृसत्तात्मक परिवार की अवधारणा और परंपरा पर निरंतर पकड़ जारी है। प्रति व्यक्ति आय अनुसार, भारत के तीसरे सबसे समृद्धि राज्य महाराष्ट्र में बाल विवाह के मामलों में वृद्धि देखी गई है। वर्ष 2011 की जनगणना में 10 वर्ष से कम उम्र में किसी की शादी का कोई नया मामला सामने नहीं आया है। औसतन, पिछले एक दशक से 2011 तक कुछ ही ऐसे बच्चों की शादी हुई है। जबकि 21 वर्ष से पहले लड़कों के विवाह का अनुपात 9.64 फीसदी से गिरकर 2.54 फीसदी हुआ है। वहीं लड़कियों के संबंध में 18 वर्ष की कानूनी उम्र से पहले शादी होने के मामलों में मामूली गिरावट देखी गई है। ये आंकड़े 2.51 फीसदी से कम होकर 2.44 फीसदी हुए हैं। महाराष्ट्र के पूर्वोत्तर भंडारा जिले में कम उम्र में लड़कियों की शादी के मामलों में पांच गुना से ज्यादा वृद्धि हुई है, जबकि राज्य के सभी 16 जिलों में कम उम्र में लड़कों की शादी के मामलों में वृद्धि देखी गई है लेकिन भंडारा में कम उम्र में लड़कों की शादी का मामला कुछ ज्यादा ही चिंताजनक है। यहां पिछले एक दशक से 2011 तक लड़कों के अल्प आयु में विवाह होने में मामलों में 21 गुना वृद्धि देखी गई है।cm

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