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सिल्क सिटी भागलपुर के एक हिस्से को चम्पापुर के रूप में जाना जाता है। यह जैनियों के लिए प्रसिद्ध तीर्थस्थल है। इस स्थल को जैनी पुण्य नगरी के रूप मानते है। ऐस सौभग्य किसी महानगर को नहीं मिला है। यह स्थल 12वें तीर्थंकर वासुपूज्य के जन्म स्थान के रूप में जाना जाता है। जैन धर्मग्रंथ कल्पसूत्र के चंम्पनगर का वर्णन भी है। धर्मग्रंथ के अनुसार तीर्थंकर महावीर ने अपने धार्मिक भ्रमण के समय तीन वर्षा ऋतुएं यहां बिताई थी। हर वर्ष बड़ी संख्या में यहां जैन तीर्थयात्री भ्रमण के लिए आते है। लेकिन इस स्थल के विकास के लिए प्रशासनिक स्तर पर कोई पहल नहीं की गई। यहां तक पहुंचे में लोगों भी भारी परेशानियों को समना करना पड़ता है। इसके विकास के लिए यदि थोड़ा प्रयास किया जाता तो इससे भागलपुर शहर की खूबसूरती में भी चार चांद लग जाता। इससे आर्थिक लाभ भी होता। यह मंदिर लगभग पांच एकड़ में फैला है। इसकी कलाकारी देखने लायक है। मंदिर के प्रवेश द्वार पर 11 गुबंज बने है। जो भगवान वासुपूज्य के पहले 11 तीर्थंकरों के पूज्यता के प्रतीक है। 12 गुबंज भागवान वासुपूज्य मंदिर के उपर बना है। प्रवेश द्वार में पंचकटनी और वंदननवा की कलाकृतियां काफी आकर्षक है। यह विशेष रूप से दर्शनीय है। 1500 वर्ष पुरानी 12 जैन तीर्थंकर भगवान वासुपूज्य की तांबे और सोने की से बनी मूर्ति तथा उनकी चरण पादुका भी इस मंदिर में है। इस मंदिर की शिखर की ऊंचाई 73 फीट है। यहां 53 वेदियां बनी है। वर्ष 1934 में आए भूकंप के दौरान इस मंदिर को हल्का नुकसान भी हुआ था। यदि इसे और संवारा या सजाया जाए तो इससे सिल्क सिटी की खूबसूरती में चार चांद लग सकता है।
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