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पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी अब राजद में चले गए। वह पहल से इसके संकेत दे रहे थे। राजग भी यह मान चुका था कि वह पाला बदलेंगे। इसीलिए उनकी किसी बातों को ज्यादा महत्व नहीं दिया जा रहा था। इधर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अशोक चौधरी के जदयू में शामिल होने से बिहार की राजनीति में नया भूचाल आ गया है। एड़ी-चोटी एक करने के बाद भी उन्हें उपचुनाव में जहानाबाद की सीट नहीं मिल। इससे मांझी नाराज थे। वे समझ गए कि राजग में रहना अब उनके राजनीतिक सेहत मे लिए बेहतर नहीं है। उधर मध्यप्रदेश में उपचुनाव का परिणाम भी कांग्रेस के पक्ष में गया। बेहतर अवसर देखकर मांझी ने अपना पाला बदल लिया। कांग्रेसी नेता अशोक चौधरी को मंत्री पद छोडऩा पड़ा। कांग्रेस में रहकर वे अपने को अपमानित महसूस कर रहे थे। हाल के दिनों में उन्होंने पार्टी लाइन से अलग हटकर बयान भी देना शुरू का दिया था। लालू के पास कोई ऐसा चेहरा नहीं था,जिसके दम पर वे अगले चुनाव में गरीबों के बिखरे वोट बैंक को अपने पक्ष में कर सकें। ऐसे चेहरे की कमी भाजपा और जदयू में भी है। जदयू ने तो अशोक चौधरी को पार्टी में शामिल कर इस कमी को दूर करने का प्रयास किया है,लेकिन बीजेपी के पास फिलहाल कोई विकल्प नजर नहीं आ रहा है। इस बदलाव के बाद सियासी बयानबाजी भी शुरू हो गई है। मधेपुरा के सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी के महागठबंधन के साथ जाने के फैसले को साहसिक बताया है। पप्पू यादव ने कहा कि मांझी एक सम्मानित नेता हैं। मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने अनेक जन उपयोगी फैसले लिए। पिछड़ों को आïगे लाने की लड़ाई लड़ी है। डॉ. अशोक चौधरी खुले आम बोलते है कि नीतीश पर भ्रष्टाचार का कोई आरोप नहीं। न ही वे जाति की राजनीति में विश्वास करते हैं। उनका ध्येय राज्य का विकास करना है। जदयू में शामिल होकर वे बिहार में विकास की गति को और तेज करेंगे।
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