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बिहार के ऐतिहासिक नगरी मुंगेर के हवेली खडग़पुर अनुमंडल में जन्मे चित्रकार आचार्य नंदलाल बोस ने अपनी कूची से संविधान की मूल प्रति की साज सज्जा का अनूठा रूप दिया। खगडग़पुर की पहाडिय़ों ने उन्हें कूची का जादूगर बनने में मदद की। देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू से उन्हें यह अवसर दिया था। नंदलाल शांति निकेतन में कला विभाग के विभागाध्यक्ष थे। यहां प्रधानमंत्री से उनकी मुलाकात हुई थी। उनकी कला कृति देख नेहरू जी प्रभावित हुए। उन्होंने संविधान पर कलाकृति करने का प्रस्ताव नंदलाल बोस को दिया। वे प्रस्ताव को तुरंत स्वीकार कर लिए।
संविधान में कुल 22 भाग है। इन पर चित्र बनाने में उन्हें काफी समय लगा। वास्तव में से चित्र भारतीय इतिहास की विकास यात्रा की कथा सुनाते है। बने चित्र मोहनजोदड़ो की सभ्यता की भी याद दिलाती है। नंदलाल ने अपनी कलाकृति में शतदल कमल को भी महत्व दिया। इसके लिए उन्हें 21 हजार का मेहताना भी दिया गया। उनके नाम पर डाक टिकट भी जारी किया गया। इतने बड़े महान कलाकार को आज बिहार के लोग ही भूला दिए है। पिछले चुनावी सभा में मुंगेर के हवाई अड्डा पर जनसभा के दौरान प्रधानमंत्री ने कला के क्षेत्र में उनके योगदान की चर्चा की थी। इस मामले में मुख्यमंत्री और प्रशासनिक अधिकारियों को भी उनकी याद को जीवित रखने के लिए हवेली खडग़पुर की धरती पर कुछ करने का सुझाव दिया गया है। लेकिन इसका कोई असर न तो क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों पर पड़ा और न ही अधिकारियों पर। मुंगेर के प्रमंडलीय अयुक्त विपिन कुमार ने इस मामले में दिलचस्पी ली है। उन्होंने यह भरोसा दिया है कि हवेली खडग़पुर में नंदलाल बोस के नाम पर आर्ट गैलरी तैयार करने में वे हर संभव मदद करेंगे।
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