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उपेक्षित है कला गुरु की जन्मस्थली

sanjay
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कूची के जादूगर आचार्य नंदलाल बोस का जन्म मुंगेर जिले के हवेली खडग़पुर अनुमंडल में हुआ था। इस माटी के सपूत ने आगे चलकर शांति निकेतन में अध्यापन का काम शुरू किया। चित्रकला के अतिरिक्त वस्त्रों के डिजाइन, वेश-भूषा और रंगमंच पर बोस का प्रभाव रहा। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी भी उनकी कला के कायल थे। गांधी जी की मुलाकात उनसे शांति निकेतन में ही हुई थी। हरिपुरा कांग्रेस अधिवेशन के समय भी गांधी ने नंदलाल बोस को याद किया। इस अधिवेशन में भी नंदलाल बोस ने गांधी जी के कहने पर प्रदर्शनी लगाई। ग्रामीण इसे देख कर गदगद हो गए। वह जीवनपर्यंत कला के लिए जीवन और जीवन के लिए कला के सत्य को आत्मसात करते रहे। वर्ष 1954 में उन्हें पद्मविभूषण और 1952 में देशिकोत्तम पुरस्कार से नवाजा गया, लेकिन वे आज अपनी ही जन्मस्थली पर उपेक्षित है। इनकी याद में कोई काम नहीं हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी चुनाव के समय मुंगेर वासियों की इसकी याद दिलाई थी। चुनाव खत्म तो सबकुछ खत्म।

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