- 39 Posts
- 3 Comments
साधारणतया यह माना जाता है कि घर महिलाओं को सुरक्षा, शांति व सुख प्राप्त करने की दृष्टि से स्वर्ग के समान होता है। भारतीय समाज की विडंबना यह है कि ज्यादातर गृहविहीन महिलाएं अपने को असुरक्षित महसूस करती हैं। कोसी में विनाशकारी बाढ़ के कारण हर साल हजारों लोग गृहविहीन हो जाते है। ऐसी स्थिति में बेटियों की सुरक्षा के लिए लोग कम उम्र में ही उनकी शादी कर देते हैं। इसके अलावा बांधों-सड़क किनारे बसे परिवारों की महिलाओं को शौच-स्नान आदि में भी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। शौच के लिए गईं महिलाओं-लड़कियों के साथ ही अधिकांश दुष्कर्म की वारदातें होती हैं। बदलते परिवेश में कोसी की स्थिति में भी तेजी से बदलाव आया है। पिछले एक दशक से बाल विवाह के विरोध में मंडन भारती जागृति समाज ने इस समाजिक कुप्रथा के खिलाफ अभियान चला रखा है। इसके साकारात्मक परिणाम भी समाने आने लगे हैं।
—-
कोसी में क्या है आंकड़ा
बाल विवाह विरोधी मुहिम में पिछले एक दशक से शामिल सहरसा की लाजवंती झा बताती हैं कि 2004-05 में कोसी के चार प्रखंडों में बाल विवाह का सर्वे किया गया था। सर्वे रिपोर्ट में चौकाने वाले परिणाम सामने आए थे। रिपोर्ट के अनुसार लगभग 70 फीसदी लड़कियां बाल विवाह की शिकार हो जाती थीं। यह समस्या केवल गरीबों में नहीं अमीरों में भी। बालिकाओं की शिक्षा पर भी कोई ध्यान नहीं दिया जाता था। इस सामाजिक जड़ता को बदलने में काफी मशक्कत करनी पड़ी। कई बार तो लोगों के आक्रोश का भी समाना करना पड़ा। बदलाव के इस बयार में समाज के लोगों का भी काफी सहयोग मिला। अब यह आंकड़ा 20 फीसद पहुंच गया है। सरकारी पहले के बाद स्थिति में तेजी से बदलाव संभव है।
—–
बाल विवाह विरोधी अभियान में शामिल ममता कोसी के लिए रोल मॉडल है। मामता की शादी उसके माता-पिता ने बचपन में ही कर दी थी। शादी के बाद उसका पति राजकुमार धंधा के लिए प्रदेश चला गया। पति का साथ छूटने के बाद ममता को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा। सामाजिक ताने से वह तंग आ चुकी थी। उसने अपने भीतर साहस बटोरा। इस सामाजिक कुरीति के खिलाफ मुहिम शुरू की। उसने इलाके की लड़कियों को गोलबंद कर इस लड़ाई के विरोध में शंखनाद कर दिया। लड़ाई में सफल भी हुई। वर्षो बाद उसका पति भी लौट आया। आज ममता के प्रयास से कोसीअंचल की सैकड़ों लड़कियां बर्बाद होनी से बच गई। ममता आज बच्चियों की दीदी बन गई है।
—-
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार भारत में प्रत्येक 54वें मिनट में एक महिला के साथ बलात्कार की घटना होती है। जिसमें मात्र 10 प्रतिशत घटनाओं की ही रिपोर्ट दर्ज की जाती है। (विश्व स्वास्थ्य संगठन)
—-
सेंटर फॉर वुमन्स डेवलपेंट स्टडीज के अध्ययनों के अनुसार भारत में प्रत्येक 35 वें मिनट में एक बलात्कार अर्थात प्रतिदिन 42 महिलाओं के साथ बलात्कार होती है। यहीं नहीं भारत की लचर कानून व्यवस्था की वजह से प्रत्येक 5 बलात्कार में से 4 बरी हो जाते हैं। (सेंटर फॉर वुमन्स डेवलपेंट स्टडीज)
—-
एक मीडिया अध्ययन के अनुसार दिल्ली में 86 प्रतिशत महिलाएं स्वयं को असुरक्षित मानती हैं। (सी- वाटर )
Read Comments