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नोटबंदी को लेकर देश ठहर सा गया है। सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच सियासी घमासान तेज हो गया है। विपक्ष पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की अगुआई में सरकार को घेरने की रणनीति बना रहा है। कांग्रेस ,आम आदमी पार्टी तथा अन्य पांच दल ममता बनर्जी के साथ हैं। नोटबंदी को लेकर विपक्षी नेता तरह-तरह के बयान दे रहे हैं। कोई दल मोदी के इस निर्णय को गलत ठहरा रहा है। तो कोई कह रहा है आखिर नोटबंदी के लिए यह समय क्यों चुना गया?
कोई नोटबंदी की समय सीमा बढ़ाने की मांग कर रहा है तो कोई कह रहा है कि नोटबंदी से भ्रष्टïाचार समाप्त होने वाला नहीं है। इसके अलावा यह दल कह रहे हैं कि नोटबंदी से किसान गरीब,तथ बीमारजन काफी परेशान है। उनका तर्क है कि आम आदमी सुबह से शाम तक बैंको व एटीएम के बाहर लाइन लगाने में लगा रहता है। कुल मिलाकर मोदी का विरोध करने वाले तोते एक सुर में बोल रहे हैं। कब तक यही तोते मोदी से कालेधन पर प्रहार करने की बात कह रहे थे। यह सच है कि नोटबंदी से देश की जनता काफी परेशान है,यह बात प्रधानमंत्री मोदी स्वीकार कर चुके हैं। लेकिन आम आदमी मोदी के इस कदम का स्वागत कर रहा है। ईमानदार लोगों का कहना है कि काले धन का विरोध करने वाले वे लोग है जिनके पास कालाधन है। आम आदमी को भरोसा है कालेधन पर शिकन्जा कसने से आतंक व महंगाई आदि पर अंकुश लगेगा। देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। साथ ही चुनाव में पैसा पानी की तरह नहीं बहाया जा सकेगा। आम जन देशहित में और भी अधिक परेशानी झेलने की बात कह रहा है। आम आदमी विपक्षी नेता से कह रहा है कि मोदी के इस कदम से यदि जनता नाराज है तो भाजपा ही इसका खामियाजा भुगतेगी। आप लोग बेकार में परेशान हैं। आम जन की इन बातों से साफ है कि वह विपक्षी दलों की लाख भ्रम फैलाने के बावजूद मोदी के साथ है। यदि ऐसा नहीं होता तो आज इस फैसले के विरोध में देश भर में न जाने कितने धरने प्रदर्शन शुरू हो गये होते। लेकिन देश के किसी भी हिस्से से ऐसी खबर नहीं आयी। ईमानदार लोगों की मोदी का विरोध करने वाले विपक्षी दलों से यह अपील है कि वह देश हित में मोदी के फै सले का समर्थन करें और कालेधन के रखवालों के प्रवक्ता के रूप में बोलने से परहेज करें।
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