Menu
blogid : 8010 postid : 276

दूसरा शीत युध्द का उदय

We Need A Revolution
We Need A Revolution
  • 91 Posts
  • 21 Comments

दूसरा शीत युध्द का उदय

मैं एक भारतीय होने के नाते रुस और चीन के बीच मजबूत होते संबंधों से भयभीत हूँ|चीन और रुस का गठजोड़ अमेरिकी वर्चस्व को चुनौती देने लगा है जो दूसरा शीत युध्द के उदय का स्पष्ट संकेत हैं|चीन का रुस के साथ दोस्ती बढ़ते के कारण चीन का भारत के खिलाफ मन बढ़ेगा और चीन द्वारा भारत के लिए उत्पन्न किए गए संकट की स्थिति में अब रुस सहयोग नहीं करेगा|चीन दक्षिण एशिया के दूसरा देश को अपने पक्ष में करने की दिशा में काफी आगे बढ़ चुका है|पहला शीत युध्द में भारत ने न ही अमेरिका का साथ दिया था न ही सोवियत संघ का|भारत ने गुटनिरपेक्ष की नीति को अपनाया था|लेकिन इस बार चीन के द्वारा संकट खड़ा किए जाने के कारण भारत के पास अमेरिका की राह देखने के सिवाय दूसरा विकल्प नहीं बचेगा|भारत की गुटनिरपेक्ष की नीति टूट जाएगी और भारत अंततः अमेरिका का गुलाम बन जाएगा|

ओबामा विलेन हैं और स्नोडेन हीरो|जब अमेरिकी जनता स्नोडेन के द्वारा किए गए खुलासे के पक्ष में है,फिर ओबामा स्नोडेन को अपराधी क्यों कह रहें है?लिंकन ने लोकतंत्र का सबसे महत्वपूर्ण परिभाषा दिया लेकिन उस परिभाषा की कसौटी पर अमेरिका खड़ा नहीं उतरता क्योंकि एक ओर अमेरिका जनता के निजता की अधिकार को छीने और दूसरी ओर उसका खुलासा करने वाला को वहाँ की जनता के समर्थन के बावजूद अपराधी करार दे|स्नोडेन देशद्रोही नहीं,ओबामा देशद्रोही हैं|चीन और रुस विश्व राजनीति में हाल फिलहाल पहली बार कुछ सही स्नोडेन को पनाह देकर किया है|जिस चीन में निजता के अधिकार नाम का कोई चीज नहीं है,उसने निजता की रक्षा के लिए बोलने वाले को पनाह दे दिया|चीन और रुस अब संयुक्त हो गया है और अमेरिका वर्चस्व को चुनौती देना चाहता है|इसलिए अमेरिका चाहे सही करे या गलत,ये दोनों जोड़ीदार सेट पर उसके खिलाफ उतरेगा ही|हलाँकि भारत को सचेत हो जाना चाहिए क्योंकि चीन के द्वारा परेशान करने की स्थिति में रुस अब साथ देना नहीं चाहेगा और रुस का चीन से संबंध मजबूत होने के कारण चीन का भारत के खिलाफ मन बढेगा|कहीं मजबूरी में भारत अमेरिका की राह देखकर उसके चंगुल में फंस न जाए|

पटना हाईकोर्ट के आदेश के बाद दरभंगा में अतिक्रमण हटाओ अभियान युध्द स्तर पर चल रहा है? हाईकोर्ट का यह निर्णय असंवैधानिक हैं|गरीबों का दमन करने वाली है|यह बात सही है कि अतिक्रमण हटाया जाना चाहिए लेकिन दूसरा पहलू पर कभी ध्यान नहीं दिया जाता|हजारों गरीब लोग बेघर हो जाते हैं|सरकार इन्हें जमीन क्यों नहीं देती जिसके कारण इन्हें अतिक्रमण करना पड़ता है|Right To Shelter अनुच्छेद 21 यानि जीने के अधिकार के अंतर्गत मौलिक अधिकार है|किसी के पास आवास (shelter) का न होना उसका मौलिक अधिकार व मानवाधिकार का हनन है|इसलिए ऐसे लोग जिनके पास सही में आवास नहीं है,उन्हें पहले आवास दिया जाना चाहिए फिर सरकारी जमीन पर उनका अतिक्रमण को हटाया जाना चाहिए|हाईकोर्ट निर्णय देते वक्त मौलिक अधिकार को भूल गई|न जाने कितने सारे करोड़पति सरकारी जमीन पर कब्जा किए हुए है और सरकार आम लोगों का जमीन हड़पकर कंपनियों को दे देती है|इसके खिलाफ कोर्ट ने आजतक कोई आदेश जारी क्यों नहीं किया?क्योंकि न्यायपालिका का निर्माण ही सरकार और पैसे वाले को फायदा पहुँचाने के लिए हुआ है|ऐसे आदेश देने वाले न्यायाधीश को पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है|जहन्नुम में जाओ|

आखिर गैस,पेट्रोल,डीजल या किसी भी वस्तु के कीमतों में इतना इजाफा क्यों किया जाता है,इसके बारे में कभी आपने सोचा है|पेट्रोल,गैस आदि के संदर्भ में आपकी जानकारी इतनी तक ही सीमित होगी कि अंतराष्ट्रीय बाजार में कीमत बढ़ने से घरेलू बाजार में कीमत बढ़ाई गई|लेकिन सच्चाई का संबंध शेयर बाजार से है|जब निवेशक ये देखता है कि पेट्रोल,गैस आदि की कीमत में इजाफा किया गया है,उसे लगता है कि कंपनी फायदे में आ रही है|उस कंपनी में शेयर लगाने से पैसे नहीं डूबेगा|इसलिए उस कंपनी में निवेश करके लोग उसे काफी फायदा पहुँचा देते हैं|यदि कंपनी को फायदा होता है तो मोटा कमीशन भ्रष्ट नेताओं,पार्टियों और अधिकारियों को भी मिलता है|कल जैसे ही कीमत में इजाफा करने की घोषणा हुई,सेंसेक्स में काफी बढोतरी हुई और रिलायंस,ONGC,Oil India सभी के शेयरों में काफी इजाफा हुआ|मतलब कंपनियों को उतनी ही फायदा हुई और भ्रष्ट अधिकारियों और नेताओं को उतना ही कमीशन मिला|हलाँकि इसके लिए भी पैसे वाले आम लोग ही जिम्मेवार हैं जो अपने फायदा को देखकर ऐसे कंपनियों में निवेश करते हैं|शेयर बाजार से कंपनियों को जितनी फायदा होती है,उसके आधार पर भी बिना दाम बढाए काम चल सकता है|

यदि आज कश्मीर के लिए अनुच्छेद 370 लागू है तो इसके लिए कश्मीरी नेताओं की राजनीतिक स्वार्थ जिम्मेवार है|कश्मीरी नेता विशेषकर शेख अब्दुल्ला और राजा हरि सिंह ने कश्मीर को भारत में शामिल होने का शर्त रख दिया और अपने लिए खुद कानून बनाने लगे तथा जनता के अधिकार और हाईकोर्ट की शक्ति को सीमित कर दिया ताकि अपने मन मुताबिक लूट सके|साथ ही,दूसरे राज्य के लोगों द्वारा वहाँ संपति की खरीदारी और चुनाव लड़ने के अधिकार पर पाबंदी लगा दिया ताकि दूसरे राज्यों के लोगों का वहाँ प्रभाव न होने के कारण कश्मीर का एकीकृत संबंध भारत से स्थापित न हो जाए ताकि जब मन करे तब खुद को स्वतंत्र राष्ट्र घोषित कर दे या पाकिस्तान में मिल जाए|अनुच्छेद 370 के सारे प्रावधानों को एक साथ नहीं हटाया जा सकता|पहले जनता के अधिकार और हाईकोर्ट के शक्ति पर पाबंदी को हटाया जाना चाहिए,फिर दूसरे राज्य के लोगों पर आर्थिक और राजनीतिक भागीदारी में पाबंदी और फिर तीसरा चरण में शेष अन्य को|

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply