true words
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चाँद चाँदनी बरसाता है सूरज धूप बिखेरा करता.
पर तू प्रेम सुधा बरसाती
जिससे मिलती मुझे अमरता।
चाँद रोज तारो मे आता
सूरज आँगन मे आ जाता
पर तू कहाँ रहा करती है मेरी आँखो की चंचलता।
चाँद कही जब खो जाता था
सूरज बादल मे छिप जाता
फिर मेरा मन डरने लगता
जब वसुधा पर तिमिर बिखरता
ऐसे मे तुम आ जाती थी
बन के सुन्दरता की प्रतिमा
अपलक मै निहारता रहता तेरी सुन्दरता और गरिमा।
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