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जला ले खुद को…

true words
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जला ले खुद को मना दीबाली
कर दे रोशन जहाँन ये तू
बुझा-बुझा क्यूँ घूमता है
बुझा दे नफरत की आग अब तू
उठा ले खुद को गिरा दे गम को
दवा नही तो दबा दे इसको
फेर ली जिसने तुमसे नजरे
चमक तू इतना खुलें न आँखे
तुझको अपनी अलग कहानी
जो है बनानी बदल ले खुद को
न ले सहारा न ले किनारा
तैर सागर थके न बाँहे
बदले रस्ते बदले मंजिल
बदल न अपने नेक इरादे
बदल जाये तो बदल ले दुनिया
तू निभा दे सारे बादे।

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