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मेरा बचपन और माँ…

true words
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बीते बचपन के दिन अब हम बड़े हो गये।
खुद अपने पैरों पर हम खड़े हो गये।
बो स्वंछदता स्वतंत्रता का जीवन गुजर गया।
नटखट छोटा बालक अब सुधर गया।
जिम्मेदारी की बेड़ियाँ जकड़ गयी पैरों में।
अब नही खेलने जाया करता हूँ गैरों मे।
जरा चोट लग जाये माँ गोद उठा लेती थी ।
राजा बेटा नही रोयेगा लाख दुआ देती थी।
आँसू खुद रुक जाते थे पीड़ा भी मिट जाती थी।
मेरा बेटा बहुत बहादुर कहके माँ इठलाती थी।
अब सुख दुख अपने आप बाँटने पड़ते है।
दिन कैसे भी हो यार काटने पड़ते है।
जाने कितने दिन छुपन छुपाई भागम भाग मार कुटाई लड़े हो गये।
बीते बचपन के दिन अब हम बड़े हो गये।

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