- 27 Posts
- 23 Comments
#पंख होते तो शायद..
हम भी आज परिंदो की तरह गुमान करते…
की तुम कितने भी विद्वान क्यों न हो जाओ…
खुले आसमान का सैर आजादी के साथ तो सिर्फ वही कर सकते है..
जो निर्दोष है और सबका हीत करते हैं ..
#पंख होते तो शायद..
हम भी आज परिंदो की तरह आजाद होते..
की तुम कितने भी अभिमानी क्यों न हो जाओ..
खुले आसमान का सैर संतुष्टि के साथ तो सिर्फ वही कर सकते है..
जो दूसरों की खुशी में भी खुश है..
#पंख होते तो शायद..
हम भी आज परिंदो की तरह भावुक और कोमल होते…
की तुम कितने भी अच्छे क्यों न हो जाओ..
खुले आसमान का सैर खुशी के साथ तो सिर्फ वही कर सकते है..
जो दूसरों के दुःख को आधा कर देते हैं ..
#पंख होते तो शायद..
हम भी आज परिंदो की तरह मस्तमौले होते…
की तुम कितने भी होशियार क्यों न हो जाओ..
खुले आसमान का सैर हक़ के साथ तो सिर्फ वही कर सकते है..
जो अपने क्रोध पर शयम रखते हुए विपरीत परिस्तिथि में भी दूसरों का दिल जीत लेते हैं ..
Read Comments