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प्यार(आत्मा का मिलन या बेइजत्ती और शोषण)

Maa
Maa
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शायद हम में से बहुत सारे ऐसे लोग है जिनकी ज़िदगी में ऐसा दौर आया होगा..जब उन्हें किसी से प्यार हुआ होगा…या किसी से लगाव..लेकिन उनमे से बहुत कम ही ऐसे लोग होंगे जो इस रिश्ते को सामाजिक तौर पर आगे बढ़ा पाये होंगे…
मन और आत्मा का मिलन तो बहुत ही दूर की बात है..बतशर्ते जो आज -कल प्यार और लगाव लोगो में दिखता है उसमे सिर्फ एक दूसरे की बेइजत्ती और शोषण भरा पड़ा है..
शायद आप लोगो ने अनुमान लगा लिया होगा की मैं किस तरह की बेइजत्ती और शोषण की बात कर रही हूँ…
आजकल के युवा जिस तरह वेस्टर्न संस्कृति को हर एक चीज़ में लागु कर रहे…चाहे वो रहन -सहन की बाते हो ..खाने की बाते हो…कपड़े पहने की बाते हो या बड़ो की आदर…पूरी तरह से वेस्टर्न संस्कृति..भारत की संस्कृति को चावल के कीड़ो की तरह धीरे -धीरे खोखला बना रहा है..
जिस प्रकार हमारा भारत सदियों से अपनी सुयोग्य और समृद्धि से पूर्ण परम्परा के कारण जाना जाता है…लगता तो है जैसे आने वाले समय में इसे भ्रस्ट भारत के नाम से जाना जायेगा…
भ्रस्ट भारत बनाने की होड़ में युवा ही नहीं..बल्कि भारत में रहने वाले सभी भारतवासी जिम्मेवार है…
क्यों आखिर लोग नहीं समझते की हमारी शारीरिक और मानसिक संतुस्ती से ज्यादा किसी की इज़्ज़त ज्यादा मायने रखती है…क्यों आखिर आजकल के युवा चाहे वो लड़की हो या लड़का मन के मिलन से ज्यादा शारीरिक मिलन की चाह रखते है…
खाश करके आजकल लड़कियों पर होने वाले अपराध का कोई परिणाम नहीं निकल रहा है…और सही भी तो है परिणाम निकलेगा भी कैसे जहाँ हर कोई भ्रस्ट होता जा रहा है…क्यों आखिर लड़कियों के साथ अपराध होता है तो लड़कियों को ही लोग ज्यादा ताने कश्ते है…
शायद इन सब का हल कभी ना निकले…..लेकिन मेरी अनुरोध है आप सब से की…..
अपने भारत को उजड़ने से बचा लो….मिटा दो सब गीले-शिकवे….यही तो इंसानी रुतवा है की कोई भी किसी से खुश नहीं है…सबको सब से शिकायत है….
लेकिन जब तक हम सब एक दूसरे की कदर करना नहीं सिख पाएंगे तब तक हम भारत की संस्कृति नहीं लौटा पाएंगे…
जिस प्रकार “प्यार में एक झूठी दिलाशा भी एक अजीब सी ख़ुशी देती है..और अगर लोग सच जान भी जाते है..
तो तसल्ली के लिए उस झूट को सच और सच को झूट बना देते है”
वैसे ही क्यों ना हम अपने भारत के लिए कुछ झूट को सच और सच को झूट बना दे…ताकि इसकी रौनक बरक़रार रहे…
वो कहते है ना कोई भी इंसान निपुण (perfect) नहीं है…लेकिन समझौता(compromise)करके हम सब भारतवासी एक दूसरे की ज़िन्दगी रोशन कर सकते है…..

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