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#इतने बुरे तो हम नहीं हैं की दुनिया हमसे इंसानियत का भी उधार मांगने लगे…
कितना बुरा लगता है जब लोग आपकी बातों को झुठला दे…
और झुठलाते हुए यह कहे की सच्चे तो हम भी हैं …
#इतने खुश तो हम भी नहीं हैं की दुनिया हमारी छोटी सी ख़ुशी का ही खिल्ली उड़ा दे….
कितना बुरा लगता है जब लोग हमारी छोटी सी ख़ुशी पर दुखी हो जाये…
और तिल का ताड़ बनाते हुए कहे खुश तो हम भी हैं..
#इतने मतलबी तो हम भी नहीं हैं की दुनिया हमारे मतलबी होने का मतलब ही पूछने लगे..
कितना बुरा लगता है जब लोग हमारे द्वारा दिए हुए तौफे को ही मतलबी का नाम दे..
और ताने कशते हुए कहे की बिना उम्मीद के तौफे के शुक्रगुज़ार तो हम भी हैं…
#इतने खामोश तो हम भी नहीं हैं की दुनिया हमारी खामोशी को ही अपनी जीत बना ले…
कितना बुरा लगता है जब लोग हमारी ख़ामोशी का खिल्ली उड़ाए..
और पीठ पीछे इज़्ज़त उछालते हुए कहे की खामोश तो हम भी है…..
#इस फिरंगी दुनिया में शायद अब हम भी स्वार्थी हो गए हैं..
तभी तो दुनिया अब हमारी स्वार्थ से भी जलने लगी हैं…
कितना बुरा लगता है जब लोग बुराई को छोड़ अच्छाई पर भी उंगली उठाते है..
और जलन की भावना के साथ कहते है..अब तो आप बदल गए हैं…
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