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VICHAR
VICHAR
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अस्त ब्यस्त जीवन का हर पल हर क्षण हे,
निराशा का बातावरण हर कदम हर क्षण हे,
धैर्य की सीमा के टूटने का क्षण हे ,
लेकिन आशा की हलकी किरण हे ,
क्योकि सत्य परेशान होता आया हर क्षण हे,
लेकिन पराजित हुआ हो नहीं कोई क्षण हे !
अंदर की शक्ति सहेजने का क्षण हे ,
स्वं को पुनः जागृत करने का क्षण हे ,
अपनी सफलतायो को याद करने का क्षण हे,
जीवन को जिन्दादिली से जीने का क्षण हे,
क्योकि सत्य परेशान होता आया हर क्षण हे ,
लेकिन पराजित हुआ हो नहीं कोई क्षण हे !

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