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समय परिवर्तनशील होता हे। हर पल कुछ न कुछ नया होता रहता हे। जीवन यात्रा में जब सच का सामना होता हे तो सब कुछ बदल जाता हे। व्यक्ति,परिस्तिथि एवं स्थान सभी बदल जाते हे। सच को स्वीकार करने पर उसके अनुसार स्वम में होने बाले परिवर्तन इतने आश्चर्य जनक होते हे कि उस पर विश्वास नहीं होता हे। लेकिन परिवर्तन किसी बात कि परवाह नहीं करता। जो कुछ पहले अच्छा था अब नहीं हे , जैसा व्यक्तित्व पहले था अब नहीं हे। जो कुछ अपना था अब नहीं हे। सब कुछ नया हे। और जीवन के इस पड़ाव पर आप स्वम से अजनवी हे क्योकि अब जो हे पहले नहीं था। परिणाम अकेलापन परिवार भी नहीं समझ पा रहा हे कि यह वाही व्यक्ति हे तो फिर समाज क्या समझेगा। सबको यह नाटकीय , दिखाबा अथवा किसी गहरी चाल कि तैयारी समझ में आएगी। क्योकि स्वम के परिवर्तन को दूसरा समझ ही नहीं सकता हे। यह व्यक्तिगत अनुभव से उत्पन्न एक नया व्यक्तित्व हे। ऐसा पहली बार किसी के साथ नहीं होता हे। समय समय पर यह कई लोगो में पहले भी हुआ हे और आगे भी होता रहेगा। ऐसे कई उदाहरण समाज , देश में मिल जायेगे कि व्यक्ति कि सोच में बदलाव आने से उनका पूरा व्यक्तित्व ही बदल जाता हे। बाल्मीक ,तुलसीदास , कालिदास आदि ऐसे कई उदाहरण हे। सब उतने महान तो नहीं हो सकते हे लेकिन सोच बदलने से उनका व्यक्तित्व ही सम्पूर्ण रूप से बदल जाता हे। धीरे धीरे बदला हुआ व्यक्तित्व अपनी इमेज स्वम तैयार कर लेता हे। और सब उसको उसी नए रूप में स्वीकार करने लगते हे और देखते देखते क्या से क्या हो जाता हे। एक अनुपयोगी जीवन स्वम को परिवार को एवं समाज को एक नयी दिशा प्रदान करने योग्य बन जाता हे। यही जीवन हे जो हर पल हर क्षण कुछ बदलता रहता हे।
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