VICHAR
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कोई भी स्तिथि एवं परिस्तिथि कभी स्थायी नही होती है। समय के साथ उसे बदलना ही होता है। पीड़ा ,पतन दुःख और बिपरीत हालातो के लम्बे समय बाद अच्छी स्तिथि आना सुनिश्चत है। लेकिन उस हालात में प्राप्त अनुभव को हमेशा याद रखने से पुनः उस स्तिथि से बचा जा सकता है। बुरे ओक्ट के बाद आने बाली अच्छी स्तिथि को कुछ इस तरह लेना चाहिए।
आलम अलमस्त है , तन मन सब मस्त है ,
पीड़ा पतन पराजित सब , बाधा बिरोध पस्त है !
आलम ———————-
दम्भ लोभ माया मोह ,आलस्य और प्रमाद से ,
छोड़कर उदासी सावधान जागरूक होने का वक्त है !
आलम————————
नया दौर जोश नया , अब नया वक्त है ,
सतर्कता संग स्वयं से स्वयं की वार्ता का वक्त है
आलम ————————–
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