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VICHAR
VICHAR
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कंटकाकीर्ण मार्ग हो,
घनघोर तमस हो,
अनिश्चित डगर हो,
लक्ष पर अडिग हो !

फौलाद से इरादे हो ,
सृजित नव सूर्य हो,
प्रकट फिर मार्ग हो ,
लक्ष जब अडिग हो !

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