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भय ऐसा शब्द है जो सबको परेशान करता है। जहां भी देखिये हर एक इससे ग्रसित है। किसी न किसी प्रकार का भय ही है जो जीवन में तनाव , चिंता , दुःख और क्षोभ का कारण है। यदि इस सब से मुक्त होना है तो भय से मुक्त होना पड़ेगा। यह इतना आसान नहीं है तो असंभव भी नहीं है। इस पर विजय पाने के लिए इसे समझना जरुरी है। हम कई कार्य ऐसे करते है जिनकी कोई आवश्यकता नहीं है लेकिन किसी भय से बचने के लिए इसे किया जाता है। और इस तरह किया गया कोई भी कार्य निश्चित रूप से स्वयं को व् दूसरों को परेशान ही करता है। अतः भय के उत्पन्न होने के कारण को समझना होगा उस कारण पर गंभीरता से चिंतन करना होगा और उसे समाप्त करना पड़ेगा। यदि अतीत के किसी कार्य से भयभीत है तो उसे भूलना पड़ेगा। यदि भविष्य के भी से ग्रसित है तो वर्तमान में सही दिशा पर चलने से उसे समाप्त किया जा सकता है। दोनों कारणों की वास्तविकता यह है की यह भय सिर्फ हमारे विचारो में है यह नकारात्मक चिंतन ही भय का कारण है। विचारो को सही दिशा देने पर , चिंतन में सकारात्मकता का समावेश करने पर , भय पर नियंत्रण संभव है। सबसे महत्वपूर्ण है वर्तमान में जीना क्योकि वर्तमान ही जिसे हम मन चाहे आकार में ढ़ाल सकते है। अतीत वह आकार है जो ढल चुका है और भविष्य वह आकार है जो अभी बना नहीं है। जबकि वर्तमान वह आकार है जो अभी हमारे समक्ष उपलब्ध है और उसे मन चाहा आकार देना संभव है। वर्तमान वह अमूल्य सम्पदा है जिससे हम भय पर विजय प्राप्त कर सकते है।
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