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ईश्वर द्वारा मनुष्य शरीर इस दुनिया में उपलब्ध हर तरह के सुख भोगने के लिए प्रदान किया गया है। फिर ऐसा क्या है कि हरेक का जीवन कई तरह के तनाव व् बीमारियो से ग्रसित दिखाई देता है। ढूढ़ने से शायद ही कोई ऐसा मिले जो यह मानता हो की बह सुखमय व् निरोग जीवन जी रहा है। ऐसा सिर्फ गरीब या असहाय लोगो के साथ नहीं बल्कि अमीर और साधन संपन्न लोग इससे ज्यादा ग्रसित है। क्यों? इस पर गहराई से विचार करने की आवश्यकता है। मनुष्य के पास तीन संपदाये है -शरीर,साँस और अक्ल। इसके अलावा उसके पास क्रिया -कौशल प्रभाव डालने बाली शक्ति यानि ओजस ,तेज !इतना सब कुछ होने के बाद भी व्यक्ति तनाव और बीमारियो से ग्रसित क्यों? इस सब का एक ही कारण है असंयम। यदि हम इन्द्रिय संयम ,अर्थ संयम,समय संयम तीनो का पालन कर सके तो यह दुनिया खूबसूरत हो जाय। संयमित होने के लिए आत्मचिंतन आवश्यक है। ऐसा किया जाना संभव हो जाय यदि —
अंतर के दर्पण से निहारता स्वयं ,
जीवन के पथ पर बढ़ता निर्बाध बो !
साथ नहीं कोई हो ,बाधाये बिरोध हो ;
ढहते अबरोध सब ,लक्ष्य जब स्पष्ट हो !!
होकर अंतर्मुखी ,एकाग्र कर बिचार को ;
बन कर शक्तिपुंज ,गढ़ नए व्यक्तित्व को !!!
HAPPY NEW YEAR -2015
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