Menu
blogid : 4243 postid : 678957

मूरख पंचायत ,…..ईशाई नववर्ष !

हमार देश
हमार देश
  • 238 Posts
  • 4240 Comments

गतांक से आगे …..
बाबा बिफर पड़े ……………… “..हमको काहे तकलीफ होगी ….तकलीफ में पूरी दुनिया है !..निर्दोष जनता हर जगह बेमौत मरती है !..”…
बुद्धिजीवी टाइप वाला मूरख बोला ……………. “..मूरख हमेशा तकलीफ में रहते हैं …. कीड़े मकोड़े की तरह जीना जलना मरना ऊकी नियति है …….आज दुनिया मूरखों से भरी है !…….ज्ञानी सदा मस्त रहता है ,… स्वामीजी को देखो … सब मुसीबतों किनारे रखके हमेशा मस्त रहते हैं !…”
साथी भी बोला ……..“..जिसको भगवान ने दुनिया की तकलीफ मिटाने का काम दिया है ….ऊको सदा मस्ती मिलेगी !….महलुटेरे महामूर्खों को देखो !….चौबीस घंटा में छत्तीस बार पिलान मीटिंग करते होंगे !…….पूरी मंडली नए जुगाड़ खोजने में जुटी होगी !..”
एक महिला बोली …………“… सौ दो सौ टोपी बदल मंडली मिलकर भारत को मूरख नहीं बना सकती !…ऊ कौनो कानून बनाते .. देशभक्तों को पैदा होने से पहिले निपटाते !….तब शैतानी लूटतंत्र की गाड़ी कुछ सरक सकती थी ,……बाकी ईबीआई सीबीआई पुलिस मुकदमा से कुछ न होगा !…..”
एक मूरख ने रोषपूर्ण प्रतिवाद किया ……….“..ई काम कंस ने किया था चाची ….कहाँ बचा !…..त्रिकालदर्शी ब्रम्हांडविजेता रावण न बचा .. सफेदपोश चालबाजों की औकात कितनी है !…..गुनगुनाकर खून पीने वाले शैतान मच्छर की तरह मारे जायेंगे !..”
दूसरा बोला ………….“..राम कृष्ण की बाते न करो !…..आधुनिक मूरख उनको कपोल कल्पना बताते हैं !…”
………….“..आधुनिक विज्ञान उनको प्रामाणिक साबित कर चुका है ,… नासा ने रामसेतु को हजारों साल पुराना मानवी महानिर्माण सिद्ध किया है !…..रामकृष्ण कथा अखंड सत्य है !….रामपथ मानव खातिर शुद्धतम श्रेष्ठतम जीवनपथ है ,…मानवता का पवित्र धर्मपथ है !..”…………एक युवा ने अपनी बात रखी तो कोने से बाबा बोले .
“..अरे आधुनिक विज्ञान सनातन महाज्ञाने सिद्ध करता है !….कण कण में ईश्वर हैं ,…कौन बताया ….का नाम था .. लार्ज हाइड्रोजन कोलाइडर !….. हमारे शास्त्र युगों पहले सृष्टि की शुरुआत से यही कहते हैं !….”
कोने से एक मूरख बोला ………..“..हमको शुरू से सब ज्ञान मिला है ,…आगे आगे बढ़ता गया …लेकिन आज मूरखता में भटक रहे हैं !…..समाज में सौ बुराई है !….गिनो तो हजार निकलेंगी ..”
एक और युवा तमका ………..“..बुराई बढाई गयी हैं !….हम बुरे नहीं हैं ,…साजिशी लूटतंत्र में बुराई का महिमामंडन हुआ ,..बुराई को भरसक प्रेरणा दी गयी ,.कमीनों ने पूरे दम से बढ़ाया है …लेकिन ..हर साजिश के बादौ भारत जैसा अच्छा सहनशील शांत समाज दुनिया में न मिलेगा !..”
“..ऊ ठीक है .. लेकिन हमको बुराई मिटाने का संकलप करना चाहिए …नवा साल चढ़े वाला है …है कोई संकलप करने वाला !..”…………बाबा ने उत्तर के साथ सवाल किया तो संकल्पों की बाढ़ आ गयी
एक बोला …….“..हम खैनी छोड़े का संकलप करते हैं !….”
दूसरा ……“. हम गुस्सा छोड़े का !…”
तीसरा …..“..हमहू गरियाना बंद करे की कोशिश करेंगे !..”
“…और हम पूरे दम से अपने देश खातिर लड़ेंगे !..”……………युवा संकल्प ने सबपर विजय पायी … सूत्रधार जोश में बोले
“..हम सब स्वामीजी के साथ लड़ेंगे और जीतेंगे !…..ई संकलप करो …बाकी खुदै पूरे होंगे …..साजिशों पर गुस्सा गलत नहीं !….शातिर देशद्रोहियों को सरेआम गरियाना मंत्रपाठ जैसा मानो !….फिरौ जबान न गन्दी करें ,..अपना खून न जलाएं !.”
“..हम दारू को हाथ न लगाएंगे ….”………..एक और मूरख ने अपना संकल्प प्रस्तुत किया तो मरियल से बाबा खुश होकर बोले
“…वाह दुलारे हम खुश हुए ….अब न झूमियो …न घरवाली से लड़ियो …न मारपीट करियो !..”
लेकिन मूरख पलटी खाते हुए बोला ……………“..लेकिन इत्ता शुभ संकलप ईसाई नववर्ष पर काहे उठायें !…ऊ हमारे खिलाफ चौतरफा साजिश करते हैं ….हम होली में दारू बंद करेंगे !…”
“..धत तेरे की ..तीन महीना खिसक गया !…..शुभकाम खातिर शुभ तिथि काहे ढूंढते हो !….जब शुभ काम हो ऊ दिन तरीख शुभ बन जाएगा !….एक जनवरी से एक दिन पहिले छोड़ दो !….”………..बाबा ने लानत मलते हुए समझाया ..लेकिन मूरख अड् गया
“..ई न होगा ….साल का आखिरी दिन है ,….पार्टी फिट है !…..भांजा परदेश कमाकर आया है ….पीना तो पड़ेगा !…”…….
एक पंच भी कूदे………….“.. सीधा बोलो मुफ्तीलाल ..जिगर कमजोर है !……भांजे को अच्छा बात न बताओगे ….मिलकर देश समाज माहौल बिगाडोगे !…अपनी सेहत पियोगे !…”
दुलारे मूरख ने मामला निपटाया ………“..अच्छा नहीं पियेंगे बस …और भांजे को भी रोकेंगे !….काहे बेफजूल अटके हो बाबू !….आगे बढ़ो ….पानी पर चढो ..”
सूत्रधार तनिक क्रोध मिश्रित हास्य से बोले …………..“. चढ़ते हैं भाई ,…. बालमूरख राजू ने नए साल पर अपने विचार लिखे हैं !…ऊ सुन लो …”
“..हाँ हाँ सुनाओ !..”…………उत्सुक सहमति पाकर सूत्रधार ने पढ़ना शुरू किया .
“..अंग्रेजी नववर्ष आने वाला है ….ईसाई कैलेण्डर में पहली जनवरी चढ़ते ही दुनिया में जश्न होगा !……अथाह शराब बहेगी !… खून मांस के स्वादिष्ट टुकड़े जबान के साथ पेट भरेंगे ,.. शोर नशा व्यभिचार अनाचार की अनंत महफ़िलें लगेंगी !….भरपूर नंगा व्यापार होगा !….क्या मानव यही करने के लिए बना है !……..सबकुछ खाने पचाने के बावजूद मानवता भूखी ही रहेगी !…….मानव भगवान का परमप्रिय उनके सबसे निकट प्राणी है ,…मानव के अंदर खुद भगवान विराजते हैं !……लेकिन मूरख मानव कभी न मिटने वाली मृगतृष्णा में फंसा है !……. उस मृगतृष्णा का नाम ही भगवान है ,..ईश्वर है !….हम उसे पाने की जानी अनजानी चाहत लिए दर दर भटकते हैं ,…सुख शान्ति आनंद का परमनाम परमधाम भगवान है !…..वही चाहत में सब कर्म कुकर्म सुकर्म .. तमाम पाप पुण्य करते हैं ,..ज्ञानी विद्वान मूरख लोग तर्क वितर्क कुतर्क सुतर्क करते हैं ,…लेकिन सब कसरत का परिणाम करीबन ढाक के तीन पात है !………ऐसा नहीं कि कोई परमानंद नहीं पाता !….कुछ योगी सद्ज्ञानी जन भगवान को पाते हैं …फिर वो गूंगे की तरह मुंह में गुड़ रखकर मस्त हो जाते हैं !…..कोई हिमालय में तो कोई अपने घर में ….लेकिन रहते अपने अंदर हैं !….दुनिया को भगवान का खेल बताकर परममस्ती में डूब जाते हैं ,…लेकिन वो स्वार्थी नहीं हैं ,….. परमविजेता लोग मानवता को राह दिखाते हैं ,..लेकिन मूरखता में फंसा बहुमती मानव कहाँ देख पाता है ,….वही तर्क वितर्क कुतर्क शंका में फंसा रहता है !…..सुखसागर का परमानंद पाकर कोई क्यों दुःखदरिया में फंसेगा !…मुक्त आत्मा फंसे जीवों को राह बताकर चलता बनती है !
यह दूसरी बात है !….पहली बात यह है कि ईसाई इस्लाम हिन्दू क्या है !….मानवता गढ़ने वाला भगवान अलग अलग मानव समूहों खातिर अलग अलग कैसे हुआ !……हंसी आती है जब कोई बताता है कि भगवान ये है भगवान वो है भगवान ऐसा है भगवान वैसा है भगवान यहाँ है वहां है !…. हमारे हिसाब से भगवान सबकुछ है .. उसके सिवा कुछ और है ही नही !…सबकी बात सही है और किसी की नहीं !….जहाँ नकार है वहां भगवान का दर्शन अधूरा अंधा हो जाता है ……हर रूप हर रंग हर नाम हर काम उसी का है ..सबकुछ होते हुए भी वो सर्वदृष्टा अदृश्य है ,…ब्रम्हांडस्वामी का त्रिशूल चक्र सुदर्शन महानतम पापों पर चलता है !..शेष समय परमानंद में विश्राम होता है ,……हम उसकी ताकत और धर्मनिष्ठां पर सवाल उठाते हैं ,..वो है तो ये अन्याय अत्याचार क्यों हुआ .. क्यों होता है !….क्या वो अत्याचारी अन्यायी है या निर्बल है !……..महान सृष्टि रचने वाला परमेश्वर अनंतशक्तिशाली है ,.न्यायप्रिय परमदयालु है ,…लेकिन श्रृष्टि के लिए बनाए अपने ही काल नियमों से बंधा है ….उसके नियम बदलते भी हैं ,..परिवर्तन का नियम सबसे ऊपर है !……….खेल उसका खिलाड़ी वो अम्पायर दर्शक सबकुछ वही है ,..वो जीव को पूरी आजादी देता है ,..एक सद्कर्म का अनंत गुना सुफल देता है !.. माया प्रपंच में फंसे हम उसको समझने की औकात नही रखते !……वैसे तो हमारी औकात सुपर कम्पूटर से ज्यादा और मंगल सूर्य से ऊपर है .. लेकिन कल की पूरी बात याद नही रख सकते !……अपने ज्यादातर सपने जागने पर भूल जाते हैं !……वो जन्म जन्मांतर का अचूक हिसाब रखता है ,….हर पल घड़ी के हिसाब से कर्म कुकर्म सुकर्म की ब्याज सहित अदायगी वसूली करता है !…..
आज कोई जन्नत की झूठी हूरें दिखाकर गुनाहों का पहाड़ लगाता है ,.मानवता को भटकाता है !….कल वही पहाड़ी केंचुवा बनने को तरस सकता है !…..आज के जो मुसाफिर कल को बकवास बेकार बताते हैं !….. वो बेकार खुद बकवास हो सकते हैं !…….ईसाई हिंदी संस्कृत में इशाई है !…..और भाषा में मीठा श होता ही नही !……….ईशत्व चाहने या पाने वाला इशाई ईसाई है !……यही सनातन मानवसत्य है !…….यही वैदिक ज्ञान है …यही मानवता को परम सुखशांति का मार्ग है !…..यही भारत का सनातन उद्घोष है !…लेकिन आज ईसाई माने भारत हडपे की साजिश है !…क्यों इशाइयत शैतानियत की गिरफ्त में है !
अब क्रिश्चियन देखते हैं ,….निश्चित रूप से ईसा मसीह प्रकाश की खोज में भारत आये थे !…..वो जानते होंगे कि भारत प्रकाशभूमि है !….उन्होंने किसी महाज्ञानी से कृष्ण भगवान को समझा होगा … और अपनी भाषा में सच्चे कृष्णियन बन गए !…..मानवता से भूखे नंगे मानव क्रिश्चियन बन गए !….कृष्ण प्रेम के स्पर्श से मानव कुछ शांत हुआ होगा लेकिन भूख नहीं मिटी !…..लालच में पगलाए धर्मान्धों ने धर्म को लूट का औजार बनाया …..दुनिया में मानवता खायी !….जिस प्रकाश को ईसा मसीह ने तप वैराग्य साधना के बल पर फैलाया ….वही लालच अहंकार से अन्धकार बन गया !……तमाम मानवता भोग के रोगों से त्रस्त हो गयी !
. मानवता खाने वाले लोग चौरासी लाख से ज्यादा योनियों तक मानव योनि को भटकेंगे !…..मलमूत्र के कीड़े से लेकर पेड़ पौधा कुत्ता भेडिया काकरोच केंचुवा सबकुछ बनेंगे !…अनजाने में मानवद्रोह करने वाले मानव प्रायश्चित से फिर दया के पात्र हो सकते हैं !..लेकिन हाथों में पराया धन लेकर लाशों पर अट्टहास करने वाले शैतान गधों का हाल कोई नहीं जानता होगा !…
इस्लाम देखना भी जरूरी है !…..ईश लाम माने इस्लाम ……उपलब्ध ज्ञान परिस्थिति समझ के अनुसार ईश्वरीय आदर्शों के लिए शैतानों से लड़ने वाले योद्धा ईश लामी हो गयी ……शैतानों के बाद उनके ही गुटों ने धर्म सत्ता कब्जाई और लालच में खुद शैतानियत अपना ली !……मूरख मानव इस्लामी हूरों के साथ धन लूटने का औजार बन गया !…मुसलमान माने मुसल्लम ईमान .. पूर्णसत्य की तरफ चलने वाले मुसलमान !..लेकिन अंधे ठेकेदार खलीफा सत्य सद्भाव से उल्टा दिशा अपना लिए ,..आम मुसलमान बेचारा सच से बेखबर है !…खौफनाक माहौल में पापी कठमुल्लाओं के पीछे चलना उनकी मजबूरी है ,..अन्नरहित क्षेत्रों में रहने की मजबूरी के चलते उनको मांसाहार करना पड़ा ,…सामयिक दृष्टि से पेट पालना ही बड़ा धर्म है ,…..लेकिन चिपकू आदत के चलते आज यही अधर्म बन गया है …सबको ईश्वर मिलते हैं ,…फिर चले जाते हैं ,..क्योंकि उनकी दिव्यता हम धारण नहीं कर पाते !..उस योग्य सच्चाई सद्भावना टिकाऊ नहीं रहती ,..शुभ ही धर्म है ,..हमारी शुभता शून्य से सौ प्रतिशत के बीच टहलती रहती है !…कमी की जगह अशुभ ही लेता है ,..शुभ न करने वाले अशुभ के समर्थक मेजबान होते हैं ,.
….इस्लाम ईसाई सब अच्छे हैं …….उनसे भी अच्छे नास्तिक लोग रहे ……….तर्कबुद्धि शुद्ध भी हो जाय तो अधूरी है ,…. बिना अपनाए माँ बाप बेटा भी कहाँ मिलता है…….मानवता को शुद्धभाव से पूर्ण सत्य अपनाना चाहिए !…..पूर्ण सत्य माने पूर्ण समर्पण है !……..हम वेद नहीं पढ़े लेकिन सबको वेद पढ़ना समझना अपनाना चाहिए !…..सच्चे वैदिक विद्वानों से शिक्षा लेनी चाहिए !….अधूरी चालाकी भरी व्याख्या करने वाले भी तमाम लोग हैं ,..हमको शुद्ध मानव हितकारी रूप लेना अपनाना चाहिए !
अब हिन्दू कौन हैं …गर्व से कहो हम हिन्दू हैं !………इसकी रक्षा के लिए करोड़ों शीश बलिदान हुए ….हमारे सिखगुरुओं ने अथाह बलिदान दिए !….ओंकार राम शिव शक्ति के महान आराधकों ने अत्याचारियों से अनंत अत्याचार पाया …लेकिन उनसे अनंत गुना सुखी सम्मानीय रहे ..उन्होंने परमपद पाया !………हमें अपने हिंदुत्व पर गर्व होना ही चाहिए …इसी धरती से दुनिया को सब प्रकाश सब ज्ञान मिला !.. हिन्दू किसी धर्म का नाम नहीं है ,…लेकिन धर्म कहना भी सर्वथा उचित है !……हिंदुत्व एक ज्ञान विज्ञानमयी पवित्र संस्कृति है ……हिंदूकुश पर्वत के इसपार रहने वाला प्रत्येक मानव हिंदू था .. अब पूरी दुनिया में है !….यही भारत आर्यावर्त कहा जाता था ,…सब हिन्दुस्तानी आर्य संस्कृतिधारी थे ……..हिंदू संस्कृति में सम्पूर्ण मानव जीवन के सर्वसम्मत सिद्धांत हैं !…..पूजा पाठ जप तप दान व्रत उपवास योग प्राणायाम स्वास्थ्य पर्व उत्सव त्यौहार प्रेम परोपकार साहस वीरता की पूरी संपन्न परम्परा है !….. सब प्राकृतिक नियम सिद्धांत विज्ञान सम्मत हैं !……जो नहीं है वो जबरन घुसाये गए हैं …जो गलत अप्राकृतिक है उसे हटाना चाहिए !…
…मूर्तिपूजा निराकार उपासना दोनों सही हैं …एकदूसरे के बिना अधूरी लगती हैं !…मूर्तिपूजा से गहन मानवी भाव बनते उठते हैं ,….निराकार उपासना से उनको महान मजबूती मिलती है !…ईंट पत्थर जोड़े बिना प्लास्टर बेकार है ,..प्लास्टर बिना दीवार कमजोर होती हैं !…. मानव को अंदर झांकना भी जरूरी है ,.. मानव को आदर्श सीताराम की दिव्य छवि भी निहारनी होगी !…एक ओंकार शिवशक्ति से सद्शक्ति लेनी होगी !……मानवता को हर रूप में अधर्म अपराध अत्याचार अन्याय नशा व्यभिचार हिंसा ईर्ष्या बंद करनी होगी !…..सदाचार प्रेम सद्भाव सुख शान्ति बढ़ाना होगा ,….यही सर्वप्रिय ईश्वर का आदर्श है .. हम इसे उनका आदेश ही मानें !..आज सब धर्मों की तरह बहुसंख्य हिन्दू भी पथभ्रष्ट है ,….शिव की शक्ति रुपी नारी का अपमान होता है ,..मात शक्ति पर दैहिक मानसिक अत्याचार होता है !…लेकिन बाकियों से कम है !…..इस्लाम में नारी बेचारी बहुत नीचे है ,.क्योंकि उसने तलवार नहीं उठायी …ईसाई धर्मगुरु नारी में आत्मा ही नहीं मानते थे !…..हिन्दू गिरने के बावजूद बहुतों से बहुत अच्छा है ,…आर्य नारियाँ योद्धा सारथी महारथी ज्ञानी विज्ञानी वीर विदुषी थी ,..हिन्दू भटका है लेकिन …किसी को हड़पना पचाना नहीं चाहता !….खुद साजिशी खंडों में हो सकता है ..लेकिन किसी को काटना मिटाना नहीं सबको पवित्रता से जोड़ना चाहता है !…..सनातन हिंदुत्व दुनिया के लिए प्रकाश स्वरुप है ,…यही मानव धर्म है ,..यही राम धर्म है !
भगवान की तरह धर्म के नाम रूप अनेक हो सकते हैं लेकिन उनकी ही तरह सिर्फ एक है !…शून्य से सौ तक शुभ सत्य ही धर्म है …… सनातन धर्म पूर्ण शुभता पूर्ण सत्य के बहुत करीब है ,….यही मानवता का आदि पालक है !….मौजूदा कलियुगी दुनिया के तमाम हिस्सों में अँधेरा फैलने के लिए अवश्य ही भारतभूमि कुछ उत्तरदायी रही होगी !….इस नाकामी का मोल हमने सूद ब्याज समेत चुका दिया है !…….अब खाता बराबरी पर है !…..अब दुनिया के सामने पुनः भारतीय प्रकाश लेने का रास्ता खुला है !….हम मानवता को प्रकाशित करने वाला वही महाज्ञान देंगे !… लेकिन पहले हमें स्वयं अपनाना होगा !….पहले भारतभूमि को लूट खसोट नशा व्यभिचार अन्याय पाप अत्याचार अशुभ से पूरा मुक्त करना होगा ,…उसकी जगह शुभ स्वयं दौड़ आएगा !……ऐसा करना हर हिन्दू की जिम्मेदारी है ,…हर हिन्दुस्तानी की जिम्मेदारी है !..हर इंसान की जिम्मेदारी है ,…..यह जिम्मेदारी सर्वनामी सर्वरुपी ईश्वर ने हमें सौंपी है ,…हमारे महापुरुष उसके ध्वजवाहक हैं !….हम मूरख अकडू अज्ञानी हैं .. लेकिन अन्यायी अधर्मी नही हैं !…..झूठे ही सही हम राष्ट्रभक्त ईशभक्त हैं !
भारतीय नववर्ष की तरह ईशाई नववर्ष मनाना भी शुभ है ,….यदि यह उत्सव मकर संक्रांति पर हो तो और शुभ हो सकता है ,…..शुभकामना लेना देना धर्म है ..लेकिन शुभता सच्चे हृदय में हो !..मानवता के खिलाफ नंगोत्सव अधर्म मूरखता है !…..धर्म जानने समझने अपनाने के लिए भाव भरा योग समर्थ साधन है !….लेकिन उसके बिना भी एक समझ होनी चाहिए …..परहित सरिस धर्म नहि भाई ….पर पीड़ा सम नहीं अधमाई !…..हमारे किसी कर्म आनंद उत्सव साधन विलास से किसी जीव प्रकृति को कष्ट नुक्सान हो तो वो अधर्म है !….
दान महाधर्म है ,…सच्चे धन समय बुद्धि का दान महान सद्फल देगा !……ये दान लेने के लिए एक पराक्रमी योगऋषि झोली फैलाए खड़ा है !…..बदले में हमें सुख शान्ति भरी भगवत्ता देगा !….राष्ट्रऋषि को कुछ भी देने का अर्थ राष्ट्रधर्म है !…भले हम अपनी बुराई ही प्रायश्चित समेत न्योछावर करें !….धर्म का फल देश को मिलेगा ..सब को मिलेगा !…भारत अपने कर्तव्यों का भरपूर सुफल लेगा !…हमें सब खंडों का सत्व जोड़कर पूर्ण मानव धर्म अपनाना होगा ,….अज्ञान आलस्य पाखण्ड कालिमा हटने के बाद जो बचेगा वो सत्य सनातन मानव धर्म ही होगा …वो रामधर्म ही होगा !
नए अंग्रेजी साल पर अंग्रेजी लूटतंत्र की बनायी नकारात्मकता मिटाने का संकल्प हमें उठाना होगा ..हम सब सद्कर्मी सद्गुणी सच्चे साहसी बनें ,..सच के रथी सारथी महारथी बनें !..दुनिया में सुख शान्ति से पूर्ण रामराज्य फैलाएं …यही कामना है … आप सबको अंग्रेजी नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं !..”…..
“..वाह बेटा ……..नाम राजू काम समाजू !…”……कुछ तालियों के बीच एक मूरख ने सराहा तो किशोर बोला .
“….. हम वही करेंगे जो भगवान हमसे कराना चाहते हैं …..हर इंसान उनका यंत्र है !..कोई केंचुवा कीड़ा कोई बैल घोड़े जैसा है !…….ऊ अपना काम हमेशा पूरी पूर्णता से करते हैं !….तब सब चलते हैं !…..उनकी इच्छा से हम एक मिलीमीटर पीछे न हटेंगे !…न हमको आगे जाने का शौक है ,…न हम किसी दुःख से डरते हैं ,..न हमें कोई सुख रोक सकता है ,..उनके साथ रहते हम सुख दुःख मान अपमान जीवन मृत्यु सब भावों से बहुत परे और सदा प्रसन्न हैं !…..हमारी सुंदरता शुभता सत्यता साहस सबकुछ उनकी कृपालु देन है ….फिरौ हम मूरख उनकी कृपा पर अपनी कालिख रगड़ देते हैं !…..अब सब कालिख मिटाने का समय है !….हम अपना नववर्ष मकर संक्रांति पर मनाएंगे !……लेकिन एक जनवरी की सबको हृदय से शुभकामना देते हैं ,..पूरी कृतज्ञता से स्वीकार करते हैं ..”………………..क्रमशः

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh