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मूरख पंचायत ,…दूसरी सीढ़ी -2

हमार देश
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गतांक से आगे …

एक युवा उछलकर खड़ा हो गया ……………“……….सवा अरब भारतपुत्रों के रहते भारत खाने मिटाने की औकात किसी शैतान गिरोह में नहीं है चाची !….कोयले से ज्यादा काली नाटक मंडली ने शैतानियत का किनारा तोड़ा !.. तो .. समझो भगवान श्रीराम भी उठने वाले हैं !……. रावण मिटा था !….इनके पुतले भी धूम से जलेंगे !……बच्चा लोग जलेबी खाकर सुनेंगे !……”………..वो अभिनय करने लगा

“….ई था मक्कार बड़ा गाँधी !…..रामनामी अध्यात्मी नौटंकी में विदेशी दलाली करता था !….अहिंसा के नाटक में वीर सपूतों को गिराता था !……गिरा तो पूरी गद्दारी करके !……भाइयों को काटने बांटने लूटने मरवाने खातिर सुन्न का दवाई बना !……..और …..ई था गुलाब पसंद अय्याश नेहरू !…..महाकमीना बुद्धिमार !….गाँधी शिष्य के नाटक में अंग्रेजों से शैतानी यारी निभाई !…..भारत प्रेम का नाटक में भारत काटा !….. विकास निर्माण के नाटक में लालची राक्षसों का काम करता था !……दुनिया भर में दोस्ती महफ़िलें जमाई !….हुश्न शराब कबाब का सरकारी महफ़िल रिवाज शुरू किया !….साजिशी टानिक से बढते बढते घरों तक जा पहुंची !…….ई भ्रष्टाचारी शराफत का चाचा बनकर साजिशें करता था !…….आगे ई थी गुड़िया छाप मिलावटी गांधी है ,…इनके आते ही मिलावट का धंधा जोर पकड़ा !……पहले गूंगी बनकर भयानक साजिश रचा फिर …. दुर्गई नाटक में भीषण भ्रष्टाचार किया !…लोकतंत्र पर भयानक अत्याचार किया !….गरीबी हटाने के नाटक में गरीबी जमा गयी !………अब देखेंगे ….साजिशी कुनबे में सत्ता हड़पने खातिर ई क्रूर गाँधी हवा में निपटाया गया !………..अगला गाँधी भयानक नाटकबाज था !…..क्रूर नरसंहारों का जिम्मेदार शराफत के नाटक में पास हो गया !…..शरीफ नाटक में आतंकियों से सीधा गठजोड़ किया !…..हमसे लूटी रकम में उनको हिस्सेदार बनाया !….इसके राज में समूचा राजतंत्र एकजुट होकर भारत खाने में जुटा !………ये पच्छिमी साजिश का भयानक दूत घर लाया !……… ई दूतनी प्यारे नाटक से जमी फिर शैतान मंडली की सर्वेसर्वा बनी !…..त्यागी नाटक से पूरा राजतंत्र कब्जे में किया !……बाद में इसने भारत मिटाने मानवता खाने का भयानक गलती किया !…..ई राक्षसता से ओतप्रोत उसके बच्चा बच्ची लोग हैं !…..हमारा खून मांस डकारकर पले बढ़े !…..खूब हवा में उड़े !……खूब नाटक किया !…….. हमको निपटाकर गुलाम हरामखोर शैतानी राजशाही चलाने का ख़्वाब पाले थे !………सब विदेशी गुलाम बेशर्म लुटेरे थे ,….नंगे होकर भी जमें रहे !…..काटकर चढ़ते रहे !…..बांटकर लूटते रहे ,….सच्चे देशभक्तों को सताते रहे !…..धर्म जाति में उलझाकर हमको मूरख बनाते रहे !…देश खाते रहे !..इन्होने शराफाती चोले में हमारा धन धरम सबकुछ खाया !…..आजादी के नाटक से गुलाम बनाया !………….लगाओ आग …..धूमधडाका करो भाई !…मेले का मजा आने दो !…”………………युवा का नाटक सच्चाई जैसा लगा तो साथी बोला

“…वाह राजेश !….. अच्छा अभिनय करते हो !…कौनो सीरियल में ट्राई काहे नहीं करते ..!…”

एक मूरख बोला ………..“…भाई हम मौत का सजा के खिलाफ हैं !….लेकिन शैतान न बदलने की कसम खाए है ,…न रुकने को तैयार है …. शरीफ नौटंकी में और शैतानियत करता है …… समझो उल्टा ही लटकेंगे !…”

एक युवा बोला ……………“…..सच्चाई का तरफ बढ़े वाली इनकी औकात नही !…..लुटेरे बिना मोटा डंडा कसूर नही मान सकते !……इनको मौत का सजा बहुत कम लगती है !…दलाल कुछौ करेंगे शैतानी सजिशै करेंगे !..जल्दी से पहले इनको मिटाना जरूरी है ! ..”

“..हम का जानें का कब जरूरी है !….. राम जरूर जानते होंगे !…….”………………बुजुर्ग की बात पर दूसरे बोले

“…ठीक है ,..उनका काम ऊ जानें !…….लेकिन अपना काम तो कांव कांव करना है !……”………पंचायत में हास्य बिखर गया !…….

“……..हमारा देश सनातन महान है ,……ई घमंड नहीं महान जिम्मेदारी है !….अब भारत लुटेरी शिकारी साजिशों के जाल में बर्बाद है ……हम मूरख का कहने की औकात रखते हैं !…..लेकिन अपने राम सीताओं सदात्माओं से विनती करते हैं !……हे युवा बाल बुजुर्ग भारतपुत्र पुत्रियों !……….देश का करुण पुकार सुनो !…. जागो भाग्यविधाता !….जागते एक होते जाओ ,..जहाँ कुछ भी कर रहे हो तो ….साजिशों के जाल में बर्बादी की कगार पर खड़े राष्ट्र के निर्माण का पूरी जिम्मेदारी उठाओ !…………प्रभु हमारी विनती जरूर सुनोगे !….जल्दी करो !!…:”………..प्रभु से विनती करते हुए एक मूरख का दर्द फिर बहा तो दूसरे ने सहलाया

………..“………ऊ सब सुनते हैं !…जल्दी करेंगे !…सदियों से सोया खोया देश नींद त्यागकर शान से खड़ा होगा !….”

“..अब आगे सुनो भाई !…………”…………सूत्रधार फिर बोले तो सब सुनने लगे वो आगे बढ़े .

“….भारत सनातन धर्मी विश्वगुरु महाशक्ति है !….महान देश कुटिल साजिशों से आधा ही बचा है ,..शैतान बाकी खाने की तैयार हैं !……हमारे पास ज्ञान धन संपदा मेधा का अथाह भण्डार है !…..हमारी धरती बहुत उपजाऊ हैं ,…हमारे पहाड़ समुद्र कुदरती संपदा से भरे हैं !……हमारे पास सब अन्न फल जड़ी बूटी लकड़ी है !….हमारी धरती रत्नगर्भा है !….अनेकों खनिजों का अथाह भण्डार है !…हमारे महाज्ञानी ऋषि मुनि विज्ञानी मानवता खातिर सब मूल खोज किये !……हम पूरी दुनिया में व्यापार करते थे ,..विश्व व्यवस्था का चौथाई हमारी अर्थव्यवस्था थी !…..विश्व का तिहाई व्यापार हमारे ईमानदार उद्दमी व्यापारी करते थे !…..हम सुखी संपन्न सद्कर्मी थे ,….हम सोने की चिड़िया थे !…..धर्महीन लालची लुटेरे तबहीं हमको लूटने खाने हड़पने का साजिश रचे !…….भारतवासी सरल धीरजवान हैं ….सरलता में लूटे गए !…….भारत माता खातिर मर मिटने वालों का सैलाब उठा … तो …. विदेशी साजिशकर्ता हमको काट गये ,…….मूरख बनाकर लूटतंत्र पर देसी चोले में विदेशी दलाल जमा गये ! …….ऊ शराफत से हमको लूटते लुटवाते हैं !…….भ्रष्टाचार करते और बढ़ाते हैं ,…लूटकर बर्बाद करते हैं ,….फिर इलाज के नाम पर भारत नोचते हैं !……नशा वासना बढ़ाते हैं !….अन्याय अत्याचार व्यभिचार बढ़ाते हैं !…..बीमारी बाँटते बढ़ाते हैं !……हमको हमारी भाषा इतिहास ज्ञान से दूर करते हैं !…..वीर भारतपुत्रों का अपमान करते हैं !…….इन्होने भारत में आतंकवाद फैलाया !….नक्सलवाद जमाया !….अपराध बढ़ाया ,..मिलावट तस्करी दलाली फैलाई !……मंहगाई बेकारी बढ़ाया !…..इन्होने हमसे हजारों लाख करोड़ लूटा !..विदेशों में जमा किया !…..इन्होने पूरे राजतंत्र को काला किया !…….पूरे भारत को कालिख से सराबोर किया ,…..विदेशी पालतू भेड़िये भारत के टुकड़े करना चाहते हैं !…..अंग्रेजी तंत्र सबकुछ खाने खातिर मुंह बाए है !….तमाम पूंजीखोर गिरोह अपना हिस्सा झटकते हैं ! …..ईस्ट इण्डिया कंपनी जैसे गिरोहों की क्वीन बेटन शानो शौकत से पूजी जाती है !…..हमारे बीच नफरत की दीवारें बढ़ायी जाती हैं !…….लालच के दाने देकर नित हमारा शिकार होता है ..हम चेतनाहीन मूरख अपना शिकार करवाते हैं !..

..ई भयानक हालत में योगज्ञान से व्यक्ति समाज और राष्ट्र उत्थान का महान संकल्प पालने वाले स्वामीजी आये !……..दिनरात अथक मेहनत से देश जगाते बढते गढ़ते जाते हैं !………..धरम का दूसरा पायदान राष्ट्रधर्म है !…….सबको सबसे सब मतभेद भुलाकर राष्ट्र खातिर साथ जुटना है !…….यही राष्ट्रचेतना है !…..”

सूत्रधार रुके तो एक पंच बोले …………..“..और योग चेतना विस्तार का रास्ता है !…दिव्यऊर्जा का ईधन योग है !….ईसे सब बीमारी मिटती है !……तन मन बुद्धि स्वस्थ होते है !….गिरे लालची पगले भी सेट हो सकते हैं ..योग को मानवता खातिर रामबाण समझो !…”

“..रामबाण कामयाब है भैय्या !………स्वामीजी ने बहुत दुनिया में योग फैलाया है !….. गाँव गली में राष्ट्रभक्त टोलियां जमने लगी है !……..हर चिराग उजाला बढ़ाएगा !…. सूरज की तरह सब रोशन करता जाएगा !…”………पीछे से एक बुजुर्ग बोले तो युवती ने कहा

“.. हमको भी पहले योग करके बतियाना चाहिए !…..”…..

……….“…अच्छा अब धरम पर लौटो !….आगे बढ़ो !…….मानव धरम का दूसरा पायदान राष्ट्रधर्म है … तो…..पहला सवाल है ….हमारा राष्ट्र कैसा हो !…”………….एक बुजुर्ग की व्यग्रता फिर फटी तो दूसरे बोले

“..कैसा माने का !……हमारा पापमुक्त राष्ट्र सर्वसंपन्न हो !….. सुख सुविधा साधन सम्मान सबका हो …..गरीबी बेकारी बीमारी नशा अपराध भ्रष्टाचार का नामोनिशान न हो !…..कर्तव्य से .. कर्तव्य पालने खातिर अधिकार मिलें !…………”……………….सूत्रधार फिर बोले .

“..आज का पंचायत यहीं रोकते हैं !……..कल यहाँ स्वामीजी के सिखाये योगशिक्षक आयेंगे !.. ऊ तीन चार दिन सिखाएंगे !…..सबको योग प्राणायाम सीखना करना बढ़ना है !……….बाकी बात बाद में करेंगे !…… सबकी बुद्धि चेतना जागेगी तभी बकबक का लाभ हो सकता है !…….”………………….सूत्रधार की घोषणा से पंचायत उत्साह से भर गयी …….. योग कक्षा की चर्चा करते हुए मूरख लोग घर जाने लगे ..

वन्देमातरम !

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