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गतांक से आगे ……
……..“…नुक्कड़ से डरने वाले माँ बाप बच्चों को गुरुकुल भेजेंगे !……हास्टलों में तमाम कुकर्म होते हैं !….”
मरियल बाबा फिर बोले ………“…सब भेजेंगे !….अन्धेरराज के मैकाली हास्टल और भारतीय गुरुकुल में पाताल आसमान का फरक है !……. सबका सब डर दूर होगा !…..भारत का हर कण कोना शांत सुखी सुरक्षित चरित्रवान होगा !…”
पंच साहब ने बात बढ़ाई………… “…औलाद खातिर माँ बाप अनेक कष्ट उठाते हैं ,….वियोग को आत्मनिर्भरता उत्थान का सीढ़ी मानें !….. गुरुकुल शिक्षा के पवित्र मंदिर हैं !……….हम गुरुओं को अपना भाई बहन बनायेंगे !…..उनको संतान सौंपकर खुशी मनाएंगे !…..आदि से अंत तक पूरी शिक्षा गुरुकुल में होना सबसे अच्छा है……..बचपन से सर्वांगी गुरुज्ञान मिलेगा ,.. जो कर सकें वो बहुतै धनी !…..फिरौ कोई गुरुकुल न जाये तो गुरुकुली ढंग ढर्रे पर स्कूल चल सकते हैं !…धीरे धीरे सब गुरुकुल अपनाएंगे !…..”
“……गुरुकुल में सर्वांगी शिक्षा मिलेगी !……मानव का सर्वांगी विकास होगा ,….ब्रम्हचर्य साहचर्य समुदाई भावना के साथ अहंकारहीन ज्ञानी मानवता बढ़ेगी !….हमारी संस्कृति में पांच साल पांच महीना पांच दिन की उमर में गुरु उपनयन संस्कार करते थे ,…. शिक्षा शुरू करते थे !……हमको युगों पुरानी धर्मविज्ञानसम्मत अपनी महान संस्कार परम्परा अपनाना चाहिए !…”……….एक महिला ने भी सहमति भरा मत दिया तो और समर्थन मिला …..लाल कुर्ते वाला बोला .
“..जिनकी मर्जी ऊ अपनाएंगे !……..लेकिन ..एक शंका और है ,……मास्टरी भर्ती में जूतम पैजार हुई ,……तब !…”
पंच साहब बोले ……….“..ई अब तब का नहीं …धर्मसत्य का बात है …शिक्षा देना मानव सेवा है धर्म है ..शुद्धता सत्यता बहुत जरूरी है ,…..केवल सही लोग बच्चों को पढायेंगे !…..पहले से पढ़ाते सब लोग पूरा सेवालाभ पाएंगे ,…….तमाम नए शिक्षक आयेंगे …..गुरुकुलों से पढ़ों को वरीयता बनती है ….उनके स्वभाव में आचार्यत्व होगा !..सब उनसे सीखेंगे !……टेट फेट बीटीसी फीटीसी बीएड एमएड शिक्षामित्र सब पढायेंगे ……..जहाँ तक हो सके सबको अपने पसंद का जगह पढ़ाना चाहिए ,……..अध्यापक आचार्य जहाँ रहे वहीँ पढाएं !… अधर्म नशेबाजी पूरी मिटेगी !……शिक्षक चरित्र हरहाल में ऊंचा रखना होगा !..”
एक युवा बोला ……………“..जो नशा न छोड़े ऊ आधी इज्जत से पढ़ाना छोड़े ……वर्ना पूरी उतरेगी !….. पेंशन वेंशन सब जब्त होना चाहिए !…..सब शिक्षक का पूरे कायदे से योगादि ट्रेनिंग परीक्षा होनी चाहिए !….”
“…लड़का लड़की एकसाथ पढ़ें कि अलग अलग !…”……एक माई ने सवाल उठाया तो पंचाधीश बोली .
“…सब भैय्या बहन साथ साथ पढ़ने बढ़ने चाहिए ,…ईश्वरी सानिध्य में सम्मान सहयोग बढ़ेगा !….खतरनाक लिंगभेद कम होगा !….. मर्यादा के हिसाब से अलग अलग रहना खाना सोना ठीक है ,……सही प्रयास से सब व्यवस्था सही होगी !….”
एक और मूरख बोला ………..“……स्कूल से कौनो शिकायत पर समाधान का हक सबका हो !….. सबको जागरूक रहना चाहिए !……सार्थक काम करने वाला लोकतंत्री अध्यापक अभिभावक संघ बनाने चाहिए …”
दूसरे ने काटा ………“……प्रवेश मामला कैसे निपटेगा ,….यहाँ तो वोटबैंक का लंबा खेला होता है ,….आरक्षण के पेंच लड़ाते हैं !…..हमको आपस में भिड़ाते खाते हैं !..”
बुद्धिजीवी टाइप वाला बोला ……….“…शिक्षा सच्ची और सबकी होगी तो आरक्षण से का मतलब !………हमको कर्मवादी होना है !….जातिवादी उंच नीच सम्मान अपमान समर्थन विरोध आरक्षण सब मानवता से अपराध अधर्म है !……जातिसूचक नाम उपनाम बिलकुल हटाने होंगे !….कौनो रजिस्टर कापी दिमाग में जाति नहीं लिखनी चाहिए …जातिवादी सोच मिटानी होगी !…”
साथी ने भी सुर मिलाया ………“..काला धन मिलते ही आरक्षण का सब मकसद पूरा हो जायेगा !……..कोई इंसान मोहल्ला समुदाय गरीब अनपढ़ दबा कुचला न रहेगा !…न कोई रोजगार को रोयेगा !… कोई लाचार बेकार नशा अपराध न करेगा !..”
एक बाबा बोले ………..“……बंटे गिरे समाज खातिर आरक्षण फौरी उन्नति का साधन था …लेकिन ईसे लूटतंत्र के कुकर्म सधे !…….सब इंसान बराबर हैं ,…सबको मिलकर उठना होगा …..सबकी उन्नति होगी !……. शिक्षा को आरक्षण से बिलकुल अलग होना चाहिए ..सबको पढ़ने पढ़ाने का बराबर हक है ,…योग्यता अनुसार पढ़ना पढ़ाना होगा !…सब इंसान निन्यानबे पैसा बराबर योग्य हैं !..बाकी एक पैसा में अपनी औकात खुद समझेंगे …जोर लगाकर उठाएंगे !….”
“…लेकिन नौकरी में निचला तबका को अहमियत देना चाहिए !…”………एक और बुजुर्ग का मत आया तो महिला ने ताना मारा .
“…कोई गरीब दलित पिछड़ा नहीं .. फिर निचला तबका कहाँ से निकला !..”
बुजुर्ग ने सफाई दी ……..“….. जाति छोड़ना मानव मानवता खातिर भली भलाई है बिटिया ,….हम सच्चे इंसान बनें !…. मानवता पर सबको स्वाभिमान होना चाहिए !……….और ..सबको फरारी अम्बेसडर मिलने से रही !….. सबकी आमदनी ऊपर नीचे होगी …….कुछ अमीर .. कुछ संपन्न साधारण लोग होंगे !….सब एक दूसरे के साथ से आगे बढ़ेंगे ..सब सुखी होंगे ,…… गरीब लाचार मक्कार कोई न होगा !……..मक्कारी को सजा और सर्वसाधारण को उन्नतिशील बनाना व्यवस्था का धर्म है !….सब काबिलियत के हिसाब से काम पाएंगे !….कमजोर को ऊपर बढ़ने की प्रेरणा सहयोग जरूरी है !..”
“…ऊ समय आएगा जब कोई कमजोर न रहेगा !……भारत निर्माण सही दिशा में होगा !..गरीबी बेकारी जड़मूल से मिटेगी ..हम विदेशी जवानों को नौकरी देंगे !…”…………एक युवा का जोश उबला तो दूसरे ने पानी डाला
…ऊ ठीक है लेकिन शिक्षा में प्रवेश व्यवस्था कैसे होगी !..”….
“..चार साल के बच्चों खातिर हर मोहल्ले में सब साधन संपन्न शिशु केन्द्र होने चाहिए !..उनको स्कूल गुरुकुल लायक बनायेंगे !…”…एक पंच ने उत्तर दिया तो दूसरे ने व्यंग्य किया
“…जैसे आंगनबाड़ी चलती हैं ,……दलालतंत्र की सरकारी पंजीरी मंत्री अधिकारी पालतू जानवर तक खाते हैं ,..अनपढ़ लोग भी गाँधी छाप जुगाड़ से सुपरवाइजर हैं !..”
उत्तरदाता ने कटाक्ष नजरअंदाज किया …………“ …पांच साल उम्र में हर बच्चा स्कूल गुरुकुल जाय …पहली से पहले वाले दर्जे हटें !……ढंग से पढेंगे तो फट से बढ़ेंगे !……आठवीं तक सबको सुन्दर समान शिक्षा मिले ,….सपने का आठवां दर्जा आज के बीए से ऊपर मानो !……….फिर आठवीं में साफ़ परीक्षा हो !….कामयाब आगे बढ़ें नाकाम लोग फिर कामयाबी तलाशें …..दो तीन मौके देने चाहिए !……
……….फिर मनमर्जी से आगे की पढ़ाई चुनें …… हर काबिल चिराग गुरुकुल में रोशन होना चाहिए …..वहां से तारा सितारा बनकर महाविद्यालय जाए ,…हमारे बच्चे सूरज बनकर समाज में निकलेंगे !….. उनसे ऊर्जा लेकर देश समाज आगे बढ़ेगा !..”
एक युवती ने काटा ……….“…फिर बहुत लोग गुरुकुल से छूट सकते हैं !……”…………
पंच फिर बोले …………“..साथी छूटते कहाँ हैं …..देश को विज्ञानी सहायक मजदूर सब चाहिए !…मेधानुसार एक दूसरे का हाथ पकड़ आगेपीछे चलना होगा ,…….दूसरी कतार वाले बच्चे कामगारी कारीगरी सीखेंगे ,…..कृषि तकनीक घरकाज उद्योग व्यापार से अपने साथ देश का उत्थान करेंगे !….मिली सुशिक्षा से अपना जीवन अनमोल बनाएंगे !……हम जैसे मूरख लोग देश समाज मानवता का नींव हैं !…..साधारण लोग संसार की असल ताकत हैं !…..”
………..“..माने सौ के सौ बच्चे आठवां पढ़ें !…….चालीस पचास बरहवां करेंगे ,….दस पन्द्रह बीए एमए !…दो चार डाक्टर मास्टर इंजिनीयर वैद्य विज्ञानी पंडित बनेंगे !….”………….एक मूरख ने हिसाब भिड़ाया तो मरियल बाबा फिर बोले .
“..ठीके गणित लगाया !….सौ में एक दो सब शिखर होने चाहिए !……सुशिक्षा से समाज के सब अंग काबिल मजबूत ईशप्रेमी सदाचारी कर्तव्यशील बनेंगे !…”
“..तुम आगे बताओ !…”………………..एक माई ने पंच को कुरेदा तो वो फिर शुरू हुए ……
“.. गुरुकुल में विद्यार्थी से गुरु भगवान का मिलन होगा !………..माँ बाप से बढ़कर गुरु होंगे ….चरित्रवान शिक्षा डिग्री देंगे !…….पाठ्यक्रम परीक्षा एक केन्द्री होना ठीक लगता है !…….सच्चा परीक्षाफल जीवन का नींव बनेगा !….सर्वमुखी शिक्षा से इंसान अपनी सब जरूरत जुटायेगा !……….संसारी उत्थान के साथ अंदरूनी उत्थान करेगा !….मानवता भगवत्ता के करीब होती जायेगी ,…..सद्ज्ञान से उपजी अहंकारहीनता मानवता को नयी ऊँचाई देगी !….”
पंच के रुकते ही एक महिला बोली ………….. “……..सही शिक्षा से मानवता उठेगी ,…मानव सुखसागरी परमानंद पाएगा !…….हमको बीमा किश्त का फंदा नहीं ..अपनी औलादों का सुन्दर सुरक्षित जीवन चाहिए !……हम सही शिक्षा व्यवस्था बनाकर अपनाएंगे !…..स्वामीजी महामानव महाज्ञानी राष्ट्रऋषि हैं ,…..ऊ जो कहेंगे .. हम करेंगे !..”…………
मौन चद्दरधारी बुजुर्ग बोले…………“…..ऊ हमारी खातिर शुद्ध स्वाभिमानी उन्नतिशील समान शिक्षा चाहते है …लेकिन स्कूल गुरुकुल का घालमेल नहीं जमता !…. स्कूल चलें या गुरुकुल !….फिर शहरी घुटन में गुरुकुल को जगह कहाँ मिलेगी !!.”
सूत्रधार बोले ……….“….शहरों में चोर नेता पूंजीपतियों के सैकड़ों एकड़ फ़ार्म हैं ,…..सब लेकर गुरुकुल बनायेंगे !..हमारे योजनाकार बढ़िया योजनाएं बनायेंगे !……और स्कूल गुरुकुल में घालमेल नहीं तालमेल कहो काका !……स्कूल भरसक पाठ्यक्रम पढायेंगे सिखाएंगे !…जैसे विद्याभारती के विद्यालय करोड़ों अंधी जिंदगियों को सद्ज्ञान से रोशन करते हैं ,…लाखों आचार्य शिक्षाविद बहुत कम मेहनताने पर सबसे अच्छी शिक्षा देते हैं ,.. माँ सरस्वती के सच्चे विद्यामंदिर हर गाँव में बनने चाहिए !……लेकिन ……….गुरुकुल सबकुछ गढ़ेंगे !…..बच्चे पूरा गुरुकुल में पढ़ें तो सबसे अच्छा !……कुछ गुरुकुली ज्ञान मिले तो कुछ अच्छा ….बिलकुल न मिले तो भी अच्छा …वही शिक्षा कुछ कमी के साथ स्कूल से मिलेगी !……. व्यवस्था का काम उन्नति है !……समझदार समाज समय के हिसाब से खुदै उन्नति करेगा !…..”
“… हम तो धुर मूरख हैं !……..भैय्या दो चार लाइन में निबंध चर्चा का उपसंहार बताय दो !..”………….एक युवा व्यंगित अंदाज में बोला तो कोने से सवाल खड़ा हुआ .
“…बाल पिटाई कैसे रुके !….कुछ मास्टर बहुतै पीटते हैं ,…कुछ बच्चे खोपड़ी पर मूतते हैं !..”
एक पंच बोले ………….“…. बाल स्वभाव समझना होगा !…..सक्षम नियमावली सीखकर प्रेम से पढ़ाना होगा ,….सही को प्रोत्साहन से गलत की संभावना कम होती है ,…..फिरौ बेकाबू उद्दंडता सुधारे खातिर दंड जरूरी है ,…..जरूरत अनुसार शरीरी मानसी दंड देना चाहिए !…फिर प्रेम सद्भाव भरा मलहम लगाना चाहिए !….सच्चे गुरु शिक्षक अपने शिष्य से पुत्र पुत्री जैसा प्रेम करते हैं …ऊ सुधारै करेंगे !……. घरेलू समाजी वातावरण भी सही गलत खातिर जिम्मेदार है …..सबको जिम्मेदार होना होगा !….शिक्षकों का मानसी स्तर बहुत ऊंचा होना चाहिए ,… उनको योग शिक्षा कार्यक्रम बहुत जरूरी है !…”
पंचाधीश आगे बोली ………..“…शिक्षक विद्यार्थी माँ बाप इंसान व्यवस्था समाज सबका धर्म है !….शिक्षक प्रेम से सब शुभता दे !….विद्यार्थी सम्मान से सब शुभता ले !…..अभिभावक जिम्मेदार कृतज्ञ बने !…..शासन पंचायत समाज सुव्यवस्था करे ,..सम्मान दे ..जरूरत पर दण्डित करे !……हम सब अहमहीन होकर पूजा जैसा पवित्र कर्म करें !.”
“…सब इंसान एकदिन धर्मधारी होंगे ,…..रामराज्य आएगा ही आएगा ……अब सार रसा बताय दो !…”…………..एक उत्साहित युवती भाई के समर्थन में आई तो सूत्रधार बोले .
“..सार रसा अपनी मर्जी मुताबिक़ निकालो !……………शिक्षा मानवता की जड़ है ,..मानव का धर्म है ….भागवत कर्म है !…शिक्षा से सद्ज्ञान सद्शक्ति सदाचार सद्भाव सद्गुण बढ़ना चाहिए …. जड़ता के जगह बुद्धिक विकास होना चाहिए !….योग मानवता राष्ट्रीयता शिक्षा का जरूरी अंग होना चाहिए ,…. शिक्षा माँ बोली में होनी चाहिए ,…..लुटेरी अंग्रेजी हटाकर संस्कृत हिंदी समेत सब भारतीय भाषा उठनी चाहिए ,….नई तकनीक से भाषाओं की दूरी बहुत कम होंगी ,…संस्कृत के दस विद्वान दुनिया को संस्कृत सिखा सकते हैं ,……निज भाषा उन्नति अहै सब उन्नति का मूल ….हर देश समाज माँ बोली में फलता फूलता है !….हमारी शिक्षा व्यवस्था सम्पूर्ण समर्थ सदाचारी समान होनी चाहिए !….शिक्षा से अवगुणों का नाश होना चाहिए !…….हमको करोड़ों सालों से दमकती गुरुकुली शिक्षा संस्कृति नए समय के हिसाब से चलानी चाहिए ,…..अच्छे नए विचार बोने चाहिए !…… भारत का गौरवशाली इतिहास पढ़ाना समझाना चाहिए !………भयानक काले पन्नों से सबक लेना चाहिए ,……शिक्षा में उन्नतिशील शोध होना चाहिए !………………..
……….भरसक सुशिक्षा सबका अधिकार है ,…..अधिकार खातिर कर्तव्य जरूरी है ,…..सबको मिलकर अपनी उन्नति का राह बनाना होगा !…. विद्वान सच्चरित्र राष्ट्रभक्त बनना होगा ,…सच को बढ़ाना होगा !…….अपने साथ मानवता को उठाना होगा !….सबको अपना काम जिम्मेदारी सच्चाई से करना होगा !..हमारी शिक्षा भाषा ज्ञान पूरी दुनिया फिर अपनाएगी !….. हमारा सर्वसम्पन्न भारत विश्वगुरु महाशक्ति बनेगा !….हम सुख शान्ति सम्मान से जीवन का आनंद लेंगे !…..”………………सूत्रधार के जोशीले सार पर तालियाँ गूंजी ,….भारत माता की जय !….भारत माता की जय !……वन्देमातरम !…स्वामीजी की जय !…..लंबी गूंजें उठी ……..उत्साह सिमटने पर एक महिला बोली
“.. शिक्षा के सुहाने सपने जरूर पूरे होंगे !……काहे से कि उनको देखे वाली दिव्य आँखें स्वामीजी की हैं !……लेकिन मास्टर लोग खाना बनवाएंगे कि पढायेंगे !..”
सूत्रधार फिर बोले ………..“… बच्चों का अव्वल खाना गुरुकुल में बनेगा ….स्कूल में नहीं !…….हर घर रसोई में पौष्टिक खाना होना चाहिए !….हर माँ प्यार से पुष्टिदायक खाना बांधेगी !……. दुनिया हमारे धन से चलती है ,…. हमारी जमीन सबसे उपजाऊ है ,….हम बहुत कर्मठ करतबी रहे ,… आजौ हैं !……लेकिन व्यवस्थागत बीमारियाँ घेरे हैं …..भारत की गरीबी भुखमरी विदेशी लुटेरों और उनके पिट्ठू गाँधीतंत्र की साजिश है !…मिड डे मील लूटतंत्र की जेब भरने का धंधा है …बच्चों को जहरीला खाना खिलाते हैं ,…..खाने खिलाने में शिक्षा और खराब करते हैं ,…..अध्यापक के जिम्मे केवल शिक्षा होना चाहिए ,……चुनाव जैसे बहुत जरूरी काम खातिर पांच साल में एकबार उनकी सेवा ले सकते हैं ,….बाकी उनके जिम्मे कोई काम न हो !..”
“….आज अध्यापकन को बीस जिम्मेदारी है ….सब फ़ालतू बोझ हटना चाहिए !…..लेकिन सबको भरपेट पौष्टिक खाना कैसे मिलेगा !…”……………एक और मूरख ने भी सवाल उठाया तो युवा जोर से बोला
“…भैय्या !…..बहुत जोर से भूख लगी है ,..”…………पंचायत में आपसी बातचीत होने लगी …..पंचो से मिलकर सूत्रधार ने एलान किया
“…आज की पंचायत समाप्त करते हैं !……कल नए सपने लेकर फिर बैठेंगे !…सबको राम राम परनाम है ! ”………. सभी लोग आपसी अभिवादन रामजोहार के साथ लौटने लगे ……..अगली चर्चा का इन्तजार फिर है !…
वन्देमातरम !
…
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