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मूरख पंचायत ,..सच के सपने-९

हमार देश
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गतांक से आगे …….
“..शुभकामना ठीक है भैय्या …लेकिन ..एक जनवरी कौने हिसाब से नई है !…कौन नई फसल आती है ..या मौसम चाल बदलता है ….अरे .. ठीक से सूर्य देव के दर्शन न होते …फिर काहे का नया साल !……..हिन्दुस्तान अपना नवा साल पूरी मस्ती से मनाता है !….रंग गुलाल मस्ती में सराबोर मीठे प्रेमोत्सव से हमारा नववर्ष होता !…”…………एक मूरख ने अंग्रेजी नववर्ष को पीछे छोड़ा तो दूसरा बोला
“..फागुनी समापन पर चरम बासंती मस्ती होती है ,….नए मौसम नयी फसल का आनंद उत्साह उल्लास से स्वागत होता है !…”
“… कोई एक जनवरी मनाता है तो मनाये …..हमारा का लेता है !….लेकिन इंसान धरती पर पाप न बढाए !….. आजकल हम अपना भूलकर सबकुछ विदेशी अपनाए है !…..”……..एक बुजुर्ग ने अपना मत दिया तो बुद्धिजीवी टाइप बोला .
“…मोटे लोगों खातिर पच्छिमी शौचालय लगाना ठीक है ….. लेकिन उनकी गन्दगी काहे अपनाकर अंदर भरते हैं ,..हमारी संस्कृति सदा सत्य को धारण करना सिखाती है ,…ऊ सबको यूज करके थ्रो करते हैं ……..हमारी संस्कृति रोज माँ बाप को प्रणाम करती है ,….हर पल आभार सिखाती है ,…..उनका सालाना हैप्पी फादर मदर डे है ,…….यहाँ मित्र पर सबकुछ कुर्बान होता है ,..ऊ सालाना फ्रेंडशिप डे रखे हैं ,….”
साथी भी बोला ………“……ऊ भूत अय्याशी कुत्ता पडोसी सबके दिन रखे हैं ,…..उनकी संस्कृति अपनाना भारतीय मूरखता है ,…… स्वदेश से छल अधर्म है ,….. अपनी सद्संस्कृति को अपनाना बढ़ाना हमारा कर्तव्य धर्म है !…………”
“..अब निपट गया हो तो पानी बीज जल जंगल भी बतिया लो !…”……………मरियल से बाबा ने फिर अपनी टांग अड़ाई तो एक पंच बोले .
“…अपनी अमृतदायी नदियों का प्राकृतिक संरक्षण संवर्धन मानव का धर्म है !…..”
एक महिला तीखी आवाज में बोली ………..“..जीवनदायी नदियों खातिर ठीक से सोचना होगा !……गंगा मैय्या खातिर अनेक धर्मात्मा कुर्बानी दिए हैं ,……लूटतंत्र अरबों खरबों डकार गया …फिरौ जल प्रदूषण खाऊ रफ़्तार से बढ़ता गया !……..यहै हाल रहा तो पवित्र नदियाँ धरती से चली जायेंगी !…..तब मानवता को रोने खातिर आंसू एटीम से मिलेंगे !..”
एक उत्साही युवा ने सांत्वना दी ……“..अब उजला दिन आएगा माता !…..साजिशबाज लूटतंत्र दफनाकर सर्व कल्याणकारी उत्थान होगा !….स्वामीजी का महापराक्रम भारत को शुभता स्वच्छता सुख शान्ति से भरेगा !..”………..
दूसरी माता बोली …………..“..पावन गंगा मैय्या और उनकी सब सगी चचेरी बहिनों का उत्थान होगा !……जल से जीवन है … नदियाँ जीवन की आदिपालक हैं !….उनको साफ़ स्वस्थ रखना मानव धरम है ,…उनको मिटाना रोकना तोड़ना मोड़ना गन्दा करना अधर्म अपराध है …भारतभक्त राजतंत्र सब उद्योगी कचरा नदी में जाने से रोकेगा !….हम अपनी मूरखता से नदियों का गन्दा करना बंद करेंगे ,….नदियों में जहरीला पूजा सामग्री साबुन प्लास्टिक डालना अधर्म है !…”
“…ऊर्जा विकास खातिर विनाश बंद होगा !………कोई निर्माण विकास योजना प्रकृति नाशकारी नहीं होना चाहिए !…….नदियों की अविरल धारा मानवता की जीवनरेखा है ,….ऊ बेरोकटोक बहनी चाहिए !…. स्वच्छ जल मानवता का अधिकार है ….प्लास्टिक बंद लुटेरी कंपनियों का नहीं !…”
“…और अधिकार का कुंजी कर्तव्य है !…”…………एक युवा ने टोका तो सहमति भरा कटाक्ष देखने को मिला ,….पीछे से एक मूरख बोला .
“……उद्योग का पानी साफ़ करके दुबारा तिबारा चौबारा इस्तेमाल करना चाहिए !……आखिर में बचे पानी को फिर शुद्ध करके सिंचाई धुलाई में काम ले सकते है !……..ठोस कचरे से बिजली खाद बनेगी !….हमारे काबिल विज्ञानी सब तरकीब ढूंढ निकालेंगे !….कारखाने का एक तोला कचरा नदियों में नहीं जाना चाहिए !…जहरीले कचरे को सही तरीके से मिटाना होगा !…”
“..फिर उद्दमी लोग कारखाने में ताला न लगा देंगे ….उत्पादन रोजगार सब बंद होगा !..”……एक और शंका उभरी तो बाबा ने डांटा…………
“…फटे ढोल की तरह न बोलो !……..उद्दमियों पर नेता अफसर गिरोह सवार रहता है !….. मोटी कमीशन हिस्सेदारी दिवाली चंदा से मुक्ति मिलेगी .. उद्दमी सावन के मोर जैसा नाचेंगे !….कचरा निपटान खातिर मिलकर तकनीक अपनाएंगे ….और रोजगार बढ़ेगा !…..उद्दमी मानवता के दुश्मन नहीं साथी हैं ,……सत्ता समाज का साथ मिलेगा तो अच्छा ही करेंगे !….और कोई न करना चाहे तो उके भागने में बुराई नहीं है !….एक जाएगा चार जुटेंगे !..”
“..लेकिन शहरी कचरे का का होगा !…..”………….फिर एक सवाल उठा तो सूत्रधार बोले
“…घरेलू निकासी में जहर रसायन कम होता है ,…हम जहरीले प्लास्टिक का इस्तेमाल कम से कम करेंगे ,….बाजार झोला लेकर जायेंगे !…
एक मूरख ने उनको काटा ………..“.हम झोला टांगकर बाजार जाते हैं …..नहीं जाते हैं तो अब जायेंगे !……पहिले पैकिट चिप्स नमकीन कुरकुरा का तमाम चलन बंद होना चाहिए !…..बहुत जगह प्लास्टिक थैली दिखावट में बंद हैं ,…..लेकिन ई जहर सब जगह फुर्र फुर्र बिकता है !….पहाड़ नदी नाला सब प्लास्टिक जहर से चीखते हैं !..मंहगा शुद्ध जल और प्लास्टिक जहर बढाता है ,…..प्लास्टिक से इंसान जीव कुदरत सबकी सेहत बिगड़ती है ….इसको रोकना होगा !.”
एक युवती बेचारगी से बोली ……“.. प्लास्टिक कूड़ा बीनकर बहुतेरे गरीब इंसान पेट पालते हैं !…”
सूत्रधार ने समझाया …………..गरीबी लुटेरों की साजिश है ,..हमारा भारत सोने की चिड़िया है ,…..कूड़ा बीनने जैसे काम मानवता से अपराध हैं ,…..गंदे जहरीले कामों खातिर मशीन होना चाहिए !…..हर इंसान पढ़लिखकर समर्थ काबिल स्वाभिमानी होना चाहिए … भारतभक्त सत्ता व्यवस्था आने पर कोई इंसान गैर इंसानी काम न करेगा !…हमारा कालाधन मिलने पर गरीबी बेकारी जड़मूल से गायब हो जायेगी !…”
एक पंच बोले ……………“…सब जगह शुद्ध पानी मिलना चाहिए ,…..भारत की हर गृहणी बढ़िया स्वादिष्ट चिप्स नमकीन बनाती है ,..सीखकर और बढ़िया बनाएगी ,….चिप्स नमकीन के संगठित गृह कुटीर उद्योग चल सकते है ,….हर जगह कागजी लिफ़ाफ़े में सामान मिलेगा ……बेकारी गरीबी में जकड़े समाज को स्वाभिमानी रोजगार और ग्राहक को सस्ता सुन्दर उत्पाद मिलेगा !….जमीन नदी नाली जिंदगी प्लास्टिक परदूशन से मुक्त होंगी !..”
“..और भारत का धन भारत के काम आएगा ….हमको विदेशी कंपनी न खायेगा !..”………एक युवा सहमति में उछला तो दूसरा बोला
“..विदेशी कम्पनियाँ पैकिंग से लुभाकर भारत खाती हैं ….जहर प्लास्टिक का बहुतायत भोग बंद होना चाहिए …प्लास्टिक का उपयोग टिकाऊ जरूरी सामान में होना चाहिए ,… जरूरती प्लास्टिक दुबारा काम आएगा ,…….गैरजरूरी प्लास्टिक बिलकुल बंद होना चाहिए !….आजकल जलपान चाय खातिर खूब प्लास्टिक चलता है ,..इनका प्राकृतिक विकल्प बढ़ाना होगा ,…अपना कुल्हड़ पत्ता ही चलाना होगा !…”
“..कुल्हड़ बनाने में बहुत मेहनत है ,..मिट्टी बहुत मंहगा पड़े !..”…………एक महिला की निराशा उठी …..बाबा ने समझाया
“..का जिंदगी सस्ता है !…कुल्हड़ बनाने वालों को भरपूर मिट्टी उन्नत भट्ठी देनी होगी !…कुदरती कामगारों को सबविधि उत्थान सहायता मिलनी चाहिए !…”
एक पंच बाबा से सहमत हुए …………“…जरूर मिलेगी बाबा !…..प्लास्टिक में भोजन जलपान को समाज सत्ता अधर्म पाप समझें तो सब ठीक होगा !…”
दूसरे पंच बोले ………….“…बाकी शहरी निकासी से अच्छी खाद बिजली बन सकती है !….हर शहर कस्बे गाँव में जरूरत के हिसाब से उत्पादकता युक्त शुद्धिकरण उद्दम लगायेंगे !……. साफ खनिजयुक्त पानी सिंचाई में इस्तेमाल होगा !….गंदले जहर का उपचार करेंगे ,…. नदी किनारे लंबा बलुआ नाला बनायेंगे !….शुद्ध सीवरेज प्लांट के बाद उसमें बहकर पानी साफ़ हो जाएगा !….तब जांच कर नदी में गिरा सकते हैं ……कुछै दिन में सब नदी प्रदूषणमुक्त हो जाएँगी !….”
एक मूरख ने सहमति जताई ………..“…ठीक कहा भाई !…..गौहत्या रुकने पर जहरीला चमड़ा उद्योग आधा रह जाएगा ,…..बाकी सब उद्योग अपनी साफ़ निकासी का जिम्मेदार होगा !…..आबादी वाले कचरे से बहुपयोगी प्लांट चल सकते हैं ,….प्रकृति सहायक हरित उद्दम मानवता का बहुत हित करेंगे !…….”
“..सत्ता समाज जिम्मेदार कर्मठ होगा …..शुभता से भरा भारत मानवहितकारी होगा !..”…………पंचाधीश बोली तो मरियल से बाबा बोले
“..हर इंसान व्यवस्था जिम्मेदार कर्मठ होगा ,.. अपनी जिम्मेदारी से कोई नहीं भागता ,….अपनी संतति के सुख खातिर सब कर्तव्य करते हैं ,…अंध मूरखता में उल्टी तरफ चलते हैं ,..आँख खुलेगी तो हम सही दिशा में चलेंगे !..”
“…चलो नदी साफ़ हुई मानो !…..बाकी सिंचाई !..”…………..एक मूरख ने जल चर्चा को गति दी तो एक पंच फिर बोले .
“..सिंचाई खातिर तमाम नहरें हैं ,..जहाँ जरूरत है वहां और बनेंगी !….. वर्षा जल की हर बूँद उपयोग आनी चाहिए !…..भारत में लाखों छोटी बड़ी मौसमी अविरल जलधाराएँ हैं ,…..सही जगह पर छोटे छोटे बंधे लगाकर हम जलसंचय करेंगे ……उनसे भरपूर सिंचाई का प्रबंध होगा ..और…बिजली बनेगी ! …..हमारे यहाँ अनेकों तालाब पोखर हैं ,…..उनसे भूगर्भी जल बढ़ाएंगे ,….तकनीक लगाकर शुद्ध वर्षाजल धरती माता को पिलायेंगे …..इकठ्ठा करके खुद पियेंगे !…….हमारे विज्ञानी तमाम तकनीकें खोजे हैं ,….जगह मौसम के हिसाब से सबको अपनाएंगे !……जल में जहर न मिले ,,जल बेकार न बहे …तो धरती पर जिंदगी हरी भरी होगी !..”
एक माई बोली ……..“..और वर्षा किसके हाथ में है ,…कहीं सूखा कहीं बादल फटते हैं !…भगवान बचायें सबको !.”
एक बुजुर्ग ने उत्तर दिया ………….“..भगवान वही देते हैं … हम जिसके लायक होते हैं !….अनियमित वर्षा का कारण जंगल की बर्बादी है ,….अंग्रेजी लूटतंत्र ने हमारे जंगलों को बर्बाद किया है !…..साजिशी शैतानों को अपने ऊपर लादकर हमने भगवान से किनारा किया तो बदले में विनाश मिला !…..देश दलाल गाँधी मगरमच्छ अच्छे अच्छे नारे लिखकर हमको मिटाते हैं ,…हमको अपनी अनमोल प्रकृति जल जंगल जमीन का बचाव उत्थान करना होगा !….उनपर हमको कर्तव्यशील अधिकार मिलना चाहिए !..”
एक और मूरख बोला …………“..आज हम कर्तव्यहीन हैं ….सब अधिकार करतबी गद्दारों दलालों का है ,…भारत का सब जल जंगल जमीन विदेशी कुनबे के हवाले है !…”
एक युवा ने निराशा पर जोशीला पानी डाला ………….“…विदेशी कुनबे का हवाला टूटेगा !…….भारत स्वाभिमान की गौरवशाली पांचवीं वर्षगाँठ मनाई गयी है ,….पतंजलि का बीसवीं वर्षगाँठ है ,………सब स्वाभिमानी भारतपुत्र और उत्साह से भर गए हैं ……..बहुत जल्दी भारत का हर सच्चा सपना पूरा होगा !……”
पंचाधीश हाथजोड़कर बोली …………..“..हम स्वामीजी आचार्यजी को बारबार प्रणाम करते हैं ,….. सब साथी भारतपुत्रों को दिल से प्रणाम करते हैं ,…..भारत का हर दर्द भारत स्वाभिमान मिटाएगा !….भारत को हम मूरखों की बहुत बहुत शुभकामनाएं !…भारत की मंगलमयी जय होगी !.”…………..पंचायत पंचाधीश के भावों में समाहित लगी ……
“..और खेती में बीज का होगा !…”………….एक और सवाल उठा तो पंच बोले
“..बीज कृषि का आधार है ,…भारतीय बीज बहुत शक्तिशाली हैं ,…हमको अपने मूल शुद्ध उन्नत बीज अपनाने होंगे ,…संकर प्रजाति की उपज मामूली ज्यादा है ,.लेकिन ..खर्चा देखरेख बहुतै ज्यादा है !..जरा से ऊंचनीच से नुक्सान हो जाता है ,……गौगोबर मूत्र और देसी बीज से उपज बढ़ेगी …अन्न की सद्शक्ति अनेकों गुना बढ़ेगी !…..”
एक और मूरख बोला ……….“..बिलकुल बढ़ेगी चाचा !….स्वामीजी भारतीय बीजों के उत्थान का काम भी हाथ में लिए हैं ,…एकदिन पूरा भारत अपने बीजों से अपने खेतों में सोना उगायेगा !…..”
बुद्धिजीवी टाइप वाला फिर बोला ………..“…विदेशी राक्षस जीएम बीजों खातिर तमाम दांवपेंच लगाए हैं ,….अन्न में कीड़ों मकोड़ों का बीज घुसाकर मानवता मिटाने का पिलान है !…..अदालत ने रोक लगाई तो गाँधी लोग चुपके से अध्यादेश बनाकर अपने विदेशी बापों का काम किये !..”…
“…उनका सब किया धरा ही रहा जायेगा !…..गुलाम सरदरवा फिर कुछ बोला है …घातक अमरीकी संधि को अपनी महान जीत बताया !…..महालूट मंहगाई अपराध अत्याचार अन्याय बीमारी बेकारी को मोहनी मस्ती बताया !……शैतान बालगांधियों की पोटी चाटने को तैयार है ,…..मौजूदा राजनीति में अकेली भारतीय आशा नरेंद्र भाई को विनाशकारी बताया है !…दुनिया थूकती है लेकिन ऊ मस्त गुलामी में अकडा है !..”…….साथी ने बात आगे बढ़ाई तो मूरख फिर बोला .
“…सबकी अकड़ जलती है ,…मनमोहन वही बोला जो पिटे गांधियों ने कहा होगा !…..उनका मालिक अमरीका है ,..सब महापूंजीखोर राक्षस दल एलुमिनिटी के कारिंदे हैं !……केजरीवाल की तारीफ और मोदी की घोर निंदा का कहती है !…….आमआदमी को टोपीबदल नकली बदलाव दिखाना चाहते हैं ,……भारतीय आँखों में धूल झोंककर मानवता को शैतानी जकड में और कसने के पिलान हैं !…”
“…उनके सब पिलान धरे रह जायेंगे !……भारत स्वाभिमान के नेतृत्व में मानवता शान से उठेगी !…स्वामीजी का महापुरुषार्थ फलित होगा …..”………..एक महिला की बात पर सब जोश में चुप हो गए …..सूत्रधार बोले …
“..आज की पंचायत रोकते हैं ,…कल हम फिर बैठेंगे ….हमारे पंच लोग फिर कोई चिट्ठी लिखाएँगे !….कल सुनाने के साथ आगे बात होगी ,…..सबको राम राम प्रणाम !..”
“..अच्छा प्रणाम का मतलब का है !……”…………सहसा एक मूरख ने सवाल किया तो कुछ सोचकर एक पंच बोले .
“…प्रणाम माने प्रण धन आम !……मानवता के आम प्रण दोहराकर मजबूत करने का नाम प्रणाम है !…
“…ऊ प्रण का हैं ,….”……………सवाल बढ़ा तो पंच फिर बोले
“…मानवता का पहला प्रण भगवत्ता से जुड़ना है ,….ई सफल तो सब सफल ,..ई फेल तो सब फेल !…”
मूरख और सवाल करना चाहता था लेकिन नारीशक्ति ने दाबा .
“.. छुट्टी के बाद कक्षा में न बैठना चाहिए ,…आज चलो …कल बतियाना !…”……..
आज पंचायत फिर विसर्जित हो गयी !…..कल की प्रतीक्षा रहेगी
वन्देमातरम !

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