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मूरखमंच ,…….सूखा !

हमार देश
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आदरणीय मित्रों बहनों गुरुजनों ,…सादर प्रणाम !……….आज मूरख मंडली की याद आई ,…..गाँव पहुंचा तो कामचलाऊ मूरखमंच जमा मिला ,….कुल छह लोग बतियाते मिले !……राम जोहार दुवा सलाम के साथ उनके साथ बैठा तो बातें फिर बढ़ने लगी !……..मूरखमंच के आँखों देखे हाल में आपका हार्दिक स्वागत है …..

युवा लल्लन ने शुरुआत की …… “……..भगवानौ फिर गुस्सा लागें काका ……बरखा बेहाल किये है ! ………अबकी खेती कैसन बची …..बिजली बिजली करते करते जबान पर पसीना आ गया ……हमारा का बनेगा !..”

आसरे काका तमके ……………“………..कौन तमाम धान लगाने को बोला था !……. फिर भगवान् का गुस्सा जायज है ,……हमार दिलो सूखे बंजर हैं ,……भाई भाई का पानी रोकता है …नाली विवाद में लाठी डंडा गड़ासा गोली चलती है ,……..भगवान् सोचे होंगे ..  खूब तरसो तब बरसेंगे !…”

भीखू चाचा बोले ……….“..कुछ ताकतवर महापापियों की अगुवाई में दुनिया पाप से सराबोर है !……..युद्ध अत्याचार अनाचार अन्याय भ्रष्टाचार का बोलबाला है !……मूरख इंसान खुदै मानवता का खून पीता है ..”

…………..“..महापापी बेचारे सबसे बड़े महामूरख हैं ,…..उनको ईश्वरी शक्ति का अंदाजा कहाँ होगा ,……एक कृपादृष्टि से सब मूरखता का नाश होगा ,……लेकिन ठीक से बरखा कब होगी …कितना तरसायेंगे !…”……..मरियल से बाबा ठोस विश्वास के साथ बेसब्र सवाली बने तो राकेश बोला

“….ई तो वही जानें …….सूखे के बीचो कुछ जगह बाढ से बर्बादी है !….”

लल्लन ने उत्तर दिया ………..“..जब जहाँ बरसे वहां जल जला कर दिया !…उत्तरांचल में बहुत बर्बादी हुई …..पूना में पूरा गाँव पहाड़ में दब गया …..पहिली बरसात जितने पानी में आधे धान तैयार हो जाते ,…लेकिन खेती में पांचे पैसा जल काम आया !…”

आसरे काका फिर तनिक तमके ……….“..हमहू भगवान को पांचे पैसा मानते हैं बाकी पाखण्ड प्रपंच के शिकार हैं !………सब खोट हमारे अन्दर है फिर भगवान् को दोख काहे देना !..”

भीखू चाचा फिर बोले ………….“…हम निरीह मूरख ऊ सर्वज्ञानी सर्वशक्तिमान दयावान है !……. ऊ पांचे पैसा में अपनी मूरख औलादों पर दया करेंगे ,….. हमारी अनेकों पापों को क्षमा करेंगे !……गाहे बगाहे बरसते रहेंगे ,…सबका काम चलाएंगे !…”

लल्लन पुनः सवाली हुआ …………“..गाहे बगाहे बरसने से कैसे काम चलेगा ताऊ !…..डीजल से सिंचाई बस से बाहर है ,..बिजली बीस बीस घंटा गायब रहे !…”

राकेश फिर बोला …………..“……खानाचोरी से मजबूर विभाग दस घंटा का रोस्टर बनाए है …….पांच मिले तो खैर मनाओ !……..कभी ऊपर से कटी है ,..कभी एकसौ बत्तिस फेल …..कभी फीडर फेल .. कभी लाइन खम्भा वोल्टेज फेल !…दस घंटा तक एक घड़ी आती है दो जाती है !….”

लल्लन फिर बोला ……………“…. पूरा सिस्टमे फेल है !……..कर्णधार नेता अधिकारी चाटुकार मलाई उड़ाते हैं !… विभाग बर्बाद होते है ,…….रसूखदार लोग चौबीस घंटा फिरी बिजली पाते हैं !..पहुँच पौव्वा चढ़ावा से सब काम होता है ,……गरीब मजबूर मोबाइल चार्ज करे खातिर कुण्डी लगाते हैं !…का करोगे ,…अधिकारी लोग आजकल जांच पड़ताल वसूली में जुटे हैं !….”

राकेश फिर आगे बढ़ा …………“…भारी चोरों डकैतों का गिरेबान झाँकने की औकात नहीं है ,….केवल नेता जमात से पूरी वसूली हो तो सैकड़ों करोड़ मिल सकते हैं …लेकिन ….ऊपर ऊपर सब मिलकर खाते पचाते हैं ….उनको कौन पूछेगा !….”

आसरे काका बोले ………“….हमारी खातिर बिजली हैय्ये नहीं .. मिलेगी कहाँ से !…”

अब तक मौन बैठा पुल्लू बोला …………“…….सब मक्कारी राजतंत्र की है …चुनाव के समय कहाँ से अट्ठारह घंटा दिए !………….अब बर्बाद होती खेती को सोलह घंटा बिजली जरूरी मिलना चाहिए !…….जरूरी अस्पताल बीमार आदि छोड़कर सबके एसी बंद करो ……तमाम बिजली है !..”

मरियल बाबा का गुस्सा फूटा …………………..“… बगली में पसीना आया तो मालदार खाऊ अस्पताले भागेगा भैय्या !……..भ्रष्टतंत्र का नेता केवल चुनाव में गर्मी सहता है ,…..बाकी काम एसी डब्बों में बंद होकर चलता है !….निपट निखट्टू चिल्लरो नेता का भार दो गाँव पर भारी है !…खानदानी खाऊ समाजवादी राज में सोलह घंटा बिजली केवल सपना मानो !..”

राकेश तनिक जोर से बोला …………“..समाजवादी सरकार खुलेआम हमसे बदला ले रही हैं !……शिवपाल ऊंची आवाज में साफ़ साफ़ बोला था ,…हमको वोट नहीं दिया अब घंटा ले लो !…”

पुल्लू का गुस्सा फिर फूटा ………….“…जनता सन्नाटेदार घंटा पकड़ायेगी …जनझटके से दुबारा न दिखेंगे !….अबकी उपचुनावे में नमूना दिखेगा …..सही चुनाव हुआ तो अब तक लोहालाट सीट मैनपुरी हारे समझो ….खानदानी भेड़ियाभोज का मिटान जोरसे चालू है ….. एकदिन विधानसभा में एक सीट खातिर तरसेंगे !……”

भीखू चाचा समझाऊ अंदाज में बोले ………“….उनको छोड़ो बिजली पकड़ो …….ठीक से बारहो घंटा मिले तो बहुत काम चल सकता है !………बड़े मझोले उद्योग पर बंदी लगा बढ़ा सकते हैं ,….कारखाना दो दिन रुका तो दो का नुक्सान ,….चार दिन खेत सूखा तो फसल बर्बाद ….साथ में किसान बर्बाद !……फिर सरकारें का मुंह दिखाएंगी !…”

पुल्लू फिर बोला ……………..“..बेशर्म लोग सबकुछ दिखा लेंगे !……लखनऊ दिल्ली में दिखावटी जूतम पैजार चलेगी ,…केंद्र मंत्री अलग कथा सुनाएगा ,….प्रदेश गाथा अलग गाई जाएगी …….हमको ढाक के तीन पात मिलेगा !….पूरा नाकाम अखिलेश खुद को महराजा हमको रियाया समझता है ….मोदी को तमाम काम हैं ,..किसान का सूखा कैसे दिखे !…….भाजपा अपनी खुमारी में है !……”

मरियल से बाबा ने पुल्लू के गुस्से पर पानी डाला ……………“…मोदीजी से बहुत आशा है ,….ऊ सही तरीके से सूखे से निपटेंगे !…….फिर एकदिन सबको अपनी असल औकात समझनी है …”

अब राकेश का क्रोध देर तक फटा …………..“….लेकिन तब तक का होगा !….बिजली सड़क पानी छोड़ो …….कानून व्यवस्था समाजवादी चूल्हे में जल चुकी है !….पुलिस चोर ठग दरोगा गुंडा बदमाश एकै थैली के चट्टे बट्टे लागें !…..महागुंडों की गुलाम पुलिस केवल झूठी कहानी सुनाने में माहिर है ,….आधे से ज्यादा सिपाही दो फलांग नहीं दौड़ सकते !…अधिकारी केवल मालदार पोस्टिंग खातिर दौड़ता है !…….महोबा मोहनलाल गंज सब कुत्सित अपराधों में पुलिसिया झूठ फरेब बेनकाब हो गया …..हर जगह असल गुनाहगारों को बचाया जाता है …… सब सपाई पालतू होंगे !…….पूरी लीपापोती के बाद अब सीबीआई का करेगी !……..अखिलेश राज में घिनौने अपराध बिलकुल बेकाबू हैं ,…..फिरौ समाजवादी पट्ठे अपनी पीठ ठोकते हैं !..”

मरियल बाबा ने समझाया ………….“..सत्ता में अपराधी हैं तो अपराधे सिरपर होगा ,….लम्बे अंग्रेजतंत्र में अपराधी मानसिकता बेकाबू है ,…महान सर्वहितकारी भारतीय सभ्यता पर भीषण अंग्रेजी हमला हुआ है ,………फूट डालकर राज करने वाले कान्ग्रेसमय कुनबे कारिंदे फिर दंगे कराते हैं ………उल्टा भौकालो गांठते हैं !………ई सब उनका धंधा है ,….हमको अपना सुधार समझना चाहिए !…”

लेकिन राकेश और आगे बढ़ा …………………..“……सब भारत द्रोहियों की कठपुतली हैं ,….वोटबैंक का जुगाड़ मात्र करते है !………विदेशी गुलाम कांग्रेस राजे पूरा शर्महीन है .. लेकिन मुलायम मंडली को एक दो पैसा शर्म करनी चाहिए !…..नालायक नाकारों को कुर्सी छोड़कर खेती किसानी पहलवानी करनी चाहिए !…..”

“..शरम किया तो जेल कैसे जायेंगे !……दंगा मास्टर लोग समाजवादियों के चेले हैं ,…और ..समाजवादी कुटिल कांग्रेस के पक्के गुलाम हैं !….बदमाशों से कौनो इंसानी आस न करो !……ई राक्षसी कठपुतले हैं !..”……..पुल्लू ने आखिरकार राकेश को शांत किया तो लल्लन बोला ….

“… इनकी छोड़ो ,…इनकी सेवा करते करते सब पक गए हैं !…..लेकिन ई बताओ बच्चा गांधी को फिर काहे गुस्सा आया !…….चार दिन पहले तक संसद में मस्त सोता था ,….अब जागा है का !…”

राकेश का गुस्सा फिर फूटा ……………..“…पिटा भेड़िया गिरोह सब दांव चलेंगे !…..राहुल की औकात अदद मोहरा जितनी है …..इनकी औकाते संसद में बैठने की नहीं है ,…लेकिन हमारी इनहू से ज्यादा गिरी है ,….ईलिए ऊ वहां हैं !……”

“..सुने हैं अब सोनिया मैडम किताब लिखेगी !….”…………….पुल्लू ने नया तीर चलाया तो आसरे काका ने समझाया .

“..ऊ किताब लिखे चाहे पूरा पुस्तकालय !…..लेकिन एकौ सच सुने माने की तनिकौ क्षमता औकात नहीं है !……भारत खाऊ शैतानी दल्ली हर हालत में केवल सफेदपोश शैतानियत करेगी !…..”

भीखू चाचा ने आसरे को डपटा ……………..“…फिर फिर वही बात करना बंद करो ……सब अपना पूरा करमफल भुगतेंगे ,..लेकिन …हालात बद से बदतर हैं !…मानवता बहुत गहरे खतरे में है ,…..शैतानी ताकतें दुनिया से मानवता का नामोनिशान मिटाना चाहती हैं !….उनकी भयानक सफेदपोश साजिशों से दुनिया खौफनाक बीमारियों की चपेट में है ,..दिमागी शरीरी महामारी औ महायुद्ध दोनों का भयानक खतरा है !…….हमको फ़ौरन पूरा जोर अपने गुमशुदा मानव की खोज में लगाना चाहिए ! …….”

पुल्लू निराश हुआ …………………“… काका तमाम विकार हमको नकारा बनाए हैं ….. हमारा जोर जबानी जमाखर्च तक सीमित है !…..कहाँ से लगायेंगे !……..”

भीखू चाचा ने समझाया ………….“..सबको जोर शक्ति देने वाले भगवान् हैं ,…….हम उनसे भटकते हैं लेकिन उनका प्रेम अपार है ,….एकदिन उनका महान प्रेम बरसेगा ,…सब पाप विकार पाखण्ड धोये जायेंगे !……उनकी अपार कृपा होगी ,….सब सूखे बंजर दिल परमप्रेम से सराबोर होंगे !…नित जहरीली होती आबोहवा में फिर दिव्य सुगंध फैलेगी !….”

सब ख्यालों में सहमत दिखे …लल्लन सीधा मुझसे बोला ………….“…यार तुम केवल घूमफिर कर लिखने छापने का मौजी काम करते हो ,…..मानव की खोज में तनिक हमारा साथ दो !….कौनो सही काम के निमित्त तो बनो !…….”

मैं केवल मुस्करा सका !……भीखू काका ने मुस्कान को सहमति मानकर बेसब्र आदेश दिया !….. “…हर गाँव गली मुहल्ले बाग़ बगीचे खेत खलिहान में मानव की खोज करो ,…..मिलते ही पकड़ लाओ ,….पकड़ में न आये तो हमको सूचना करो ….जल्दी जाओ !…..तबतक हम सूखे में बिजली का इन्तजार करते हैं !…”

मैंने सिरहिलाकर सहमति दी और पुछा ………… “..इस चर्चा का शीर्षक क्या रखें !..”

आसरे काका शान्ति से बोले …………… “………हम कौनो नयी बात नहीं किये !….केवल सूखा नया है….”

शीर्षक पाकर मैंने धन्यवाद किया ,…..रामराम प्रणाम के साथ मंच विसर्जित हो गया !….

वन्देमातरम !

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